21 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) संवत 2081 निवेश की दुनिया में सोना और चांदी के नाम रहा। दोनों धातुओं ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि हर दूसरा निवेश साधन पीछे छूट गया। पिछले दो सालों में लगातार तेजी के बाद भी कीमती धातुओं ने इस बार भी निवेशकों को चौंका दिया, जबकि शेयर बाजार में रफ्तार कुछ धीमी रही। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने मामूली बढ़त दर्ज की, जिससे यह साफ दिखा कि निवेशकों की नजरें इस बार शेयरों से हटकर सुरक्षित पनाहगाह माने जाने वाले सोना-चांदी की ओर मुड़ गईं। यह वह साल था जब एक तरफ कीमती धातुएं आसमान छूती रहीं, तो दूसरी ओर इक्विटी निवेशकों को इंतजार करना पड़ा कि कब बाजार फिर से जोश दिखाएगा।
सोना-चांदी में इतनी जोरदार बढ़त क्यों आई?
संवत 2081 में सोना करीब 60 फीसदी और चांदी लगभग 68 फीसदी बढ़ी। सोने का भाव ₹79,238 प्रति 10 ग्राम से छलांग लगाकर ₹1.27 लाख तक पहुंच गया, जबकि चांदी ₹96,670 प्रति किलो से बढ़कर ₹1.63 लाख प्रति किलो हो गई। इन दोनों ने न सिर्फ शेयर बाजार को पछाड़ा बल्कि लगभग हर प्रमुख निवेश कैटेगरी को मात दे दी। लगातार दो सालों की तेजी के बावजूद इन धातुओं का जोश कम नहीं हुआ। आर्थिक अनिश्चितता, वैश्विक तनाव और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग ने इन्हें निवेशकों की पहली पसंद बना दिया।
शेयर बाजार क्यों हुआ धीमा?
जब सोना-चांदी नई ऊंचाइयों पर पहुंचे, तब शेयर बाजार ने इस बार सुस्त रफ्तार दिखाई। निफ्टी में केवल 6.8 प्रतिशत और सेंसेक्स में 5.8 प्रतिशत की बढ़त रही। बीते सालों की तुलना में यह आंकड़ा बेहद मामूली था। निफ्टी मिडकैप 100 ने केवल 5.8 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की, जबकि स्मॉलकैप 100 में तो 2.1 प्रतिशत की गिरावट आ गई। पिछले दो सालों में इन दोनों इंडेक्स ने 30 प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई थी, लेकिन इस बार निवेशकों की जोश भरी भावनाएं ठंडी पड़ गईं। जानकारों का कहना है कि यह साल बाजार के संतुलन लौटाने का साल रहा। पिछले दो साल की तेजी के बाद शेयरों की कीमतें बहुत बढ़ गई थीं और निवेशकों का उत्साह थोड़ा कम हो गया, इसलिए बाजार कुछ समय के लिए रुक सा गया।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
पीएल कैपिटल की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर अमीषा वोरा का कहना है कि पिछला साल निवेशकों के धैर्य की परीक्षा जैसा रहा। भारत की आर्थिक स्थिति मज़बूत थी, लेकिन वैश्विक बाजारों की रफ्तार से देश थोड़ा पीछे रह गया। अब हालात ऐसे हैं कि कमाई यानी अर्निंग्स में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है। वोरा के अनुसार, सरकार के सुधारों, जीएसटी 2.0, टैक्स में राहत और ढीली मौद्रिक नीति ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
वहीं एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पूर्व प्रमुख (रिटेल रिसर्च) दीपक जसानी का कहना है कि इस साल मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में सामान्य स्थिति लौटती दिखी। पिछले दो साल में इन शेयरों की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ गई थीं, जो उनकी असली कीमत से ज्यादा थीं। इसलिए इस बार बाजार ने खुद को संभाला और थोड़ी रफ्तार धीमी कर ली।
सोना-चांदी में अब निवेश करना कितना सही रहेगा?
दो साल की जबरदस्त तेजी के बाद अब विशेषज्ञ सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। ग्रो ऐप के सह-संस्थापक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा कि सोना और चांदी फिलहाल सबके ध्यान में हैं, लेकिन निवेश करते वक्त सावधानी जरूरी है। इनकी कीमतें कभी भी ऊपर-नीचे हो सकती हैं। तेज बढ़त के बाद अक्सर गिरावट भी आती है। इसलिए इस दिवाली एक साथ बड़ा निवेश करने के बजाय, गोल्ड या सिल्वर ईटीएफ में एसआईपी के जरिए थोड़ा-थोड़ा निवेश करना बेहतर रहेगा।
अब निवेशक क्या करें – स्टॉक चुनें या सोना थामें?
फिलहाल इक्विटी के वैल्यूएशन अभी भी ऊंचे हैं। निफ्टी अपने 10 साल के औसत से करीब 10 प्रतिशत ऊपर ट्रेड कर रहा है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों के दाम और भी अधिक हैं। स्वतंत्र विश्लेषक अंबरीश बालिगा का कहना है कि अगर आप सही शेयर चुनना जानते हैं और धैर्य रख सकते हैं, तो अभी भी कमाई का मौका है। जिन्होंने फरवरी से अप्रैल के बीच निवेश किया, उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ है। लेकिन यह साल याद दिलाता है कि बाजार में सुधार आने में समय लग सकता है, इसलिए धैर्य ही निवेशक की सबसे बड़ी ताकत है।