23 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) ; भारत में कई निवेशकों को यह नहीं पता होता कि उनके पुराने शेयर और बिना लिए गए डिविडेंड आज भी वापस पाए जा सकते हैं। इनवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) पोर्टल, जिसे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) द्वारा संचालित किया जाता है, निवेशकों की इन्हीं रकमों और शेयरों को वापस दिलाने के लिए बनाया गया है।

पैसा IEPF में क्यों जाता है?

अगर कोई निवेशक सात साल तक अपने शेयर, डिविडेंड या डिबेंचर क्लेम नहीं करता, तो वह रकम या शेयर कंपनी द्वारा IEPF में ट्रांसफर कर दिया जाता है। यह अक्सर तब होता है जब निवेशक शहर बदल लेते हैं, बैंक खाता बंद कर देते हैं या अपने पुराने निवेशों की जानकारी खो देते हैं। हालांकि यह रकम पूरी तरह सुरक्षित रहती है, लेकिन जब तक निवेशक स्वयं दावा नहीं करते, तब तक वह पैसा या शेयर उनके लिए निष्क्रिय (dormant) बना रहता है।

कैसे पता लगाएं कि आपके नाम पर कोई बकाया राशि है या नहीं?

अगर आपको लगता है कि आपके नाम पर पुराने शेयर या डिविडेंड हो सकते हैं, तो इसे जांचने का सबसे आसान तरीका है IEPF की वेबसाइट पर जाना। वेबसाइट www.iepf.gov.in पर ‘Unclaimed Amounts’ सेक्शन में जाकर आप अपने नाम या कंपनी के नाम से खोज सकते हैं। यहां आपको यह जानकारी मिल जाएगी कि आपके नाम पर कोई क्लेम पेंडिंग है या नहीं। इसके बाद वेबसाइट से Form IEPF-5 डाउनलोड किया जा सकता है, जो क्लेम प्रोसेस का पहला कदम है।

क्लेम करने की प्रक्रिया क्या है?

Form IEPF-5 को ध्यानपूर्वक भरना जरूरी है, क्योंकि इसी आधार पर आपका क्लेम स्वीकार या अस्वीकार किया जाएगा। फॉर्म के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज लगाने होते हैं, जैसे पैन कार्ड की कॉपी, पहचान पत्र, बैंक खाते का प्रमाण, और यदि उपलब्ध हो तो मूल शेयर सर्टिफिकेट। अगर पहले कंपनी से डिविडेंड या शेयर से जुड़ा कोई पत्राचार हुआ है, तो उसकी कॉपी भी साथ लगानी चाहिए। फॉर्म को ऑनलाइन सबमिट किया जा सकता है या पोस्ट द्वारा IEPF प्राधिकरण को भेजा जा सकता है।

कितना समय लगता है और स्टेटस कैसे ट्रैक करें?

दावा जमा होने के बाद IEPF अधिकारी सभी दस्तावेजों की जांच करते हैं। प्रक्रिया आम तौर पर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक चल सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि जांच में कितना समय लगता है। निवेशक अपने आवेदन की स्थिति IEPF पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं।

क्लेम करते समय किन बातों का ध्यान रखें?

क्लेम की प्रक्रिया में देरी से बचने के लिए जरूरी है कि सभी दस्तावेज सही और साफ हों। गलत जानकारी या अस्पष्ट दस्तावेज के कारण दावा रुक सकता है। साथ ही, किसी निवेशक की मृत्यु की स्थिति में केवल उनके कानूनी उत्तराधिकारी ही क्लेम कर सकते हैं।

सारांश:
सालों पुराने शेयर और उनका डिविडेंड अब निवेशक वापस पा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि संबंधित प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा किया जाए।

Bharat Baani Bureau

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