25 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) अमेरिका में इमिग्रेशन को लेकर सोशल मीडिया पर दो लोगों में बहस छिड़ गई है. यह विवाद अमेरिका की पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत और रिपब्लिकन नेता निक्की हेली के बेटे नलिन हेली और ब्रिटिश-अमेरिकी पत्रकार मेहदी हसन के बीच शुरू हुआ. नलिन हेली ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि अमेरिका में अब बड़े पैमाने पर प्रवासियों को आने से रोकना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब कंपनियां भर्ती नहीं कर रहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नौकरियां ले रही है और अर्थव्यवस्था कमजोर है, तो विदेशी श्रमिकों को लाना गैरजिम्मेदाराना है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राज्यों को विदेशी कामगारों के लिए H-1B वीजा देने से मना करने का अधिकार होना चाहिए.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा के लिए आवेदन शुल्क 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) करने की घोषणा की है. पत्रकार मेहदी हसन ने नलिन के बयान का जवाब देते हुए कहा कि उनके अपने दादा अजीत सिंह रंधावा 1969 में भारत से अमेरिका आए थे. उन्होंने लिखा कि अगर उस समय ऐसी नीतियां होतीं, तो नलिन का परिवार कभी अमेरिका नहीं पहुंच पाता. अजीत सिंह रंधावा पंजाब से थे और अमेरिका में वूर्हीज कॉलेज में जीवविज्ञान के प्रोफेसर रहे. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया से पीएचडी की थी. उनका निधन जून 2024 में हुआ.
नलिन की क्यों हुई आलोचना?
हसन की टिप्पणी के जवाब में नलिन हेली ने लिखा कि यह 1969 नहीं है और उन्होंने कहा कि हसन को नागरिकता से वंचित कर देना चाहिए क्योंकि वे अमेरिका की आलोचना करते हैं. इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर नलिन की आलोचना शुरू हो गई. कई यूजर्स ने उन्हें याद दिलाया कि उनका परिवार भी प्रवासी बैकग्राउंड से आता है. एक यूजर ने लिखा, ‘तुम उन्हीं लोगों की भाषा बोल रहे हो जिन्होंने कभी तुम्हारे दादा-दादी का अपमान किया था.’ दूसरे ने कहा, ‘अगर तुम्हारी बताई नीति तब होती, तो तुम्हारा परिवार आज अमेरिका में नहीं होता.’
निक्की हेली हे बेटे हैं नलिन
ट्रंप की पार्टी से आने वाली निक्की हेली साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में थीं. नलिन हेली, निक्की हेली और उनके पति माइकल हेली के छोटे बेटे हैं. उन्होंने 2024 में विलाजर्व यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. अमेरिका में यह विवाद ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई तेज कर दी है. भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस साल जुलाई तक अमेरिका से 1,563 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया जा चुका है.
