27 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : आज के समय में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक बन गया है। पहले यह समस्या ज्यादातर 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में देखी जाती थी, लेकिन अब 30 से 40 वर्ष की आयु में भी इसके मामले सामने आ रहे हैं। आर्ट ऑफ़ हीलिंग कैंसर में ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मंदीप सिंह मल्होत्रा कहते हैं कि इसका कारण सिर्फ जेनेटिक नहीं बल्कि बदलती जीवनशैली, तनाव, और खान-पान की आदतें भी हैं।

कोशिकाओं के बढ़ने से बढ़ती है ब्रेस्ट कैंसर की संभावना:

डॉक्टरों के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब स्तन की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। इस रोग का खतरा उन महिलाओं में अधिक होता है जिनके परिवार में पहले से कैंसर का इतिहास रहा हो। इसके अलावा देर से शादी, देर से बच्चा होना, स्तनपान न कराना, मोटापा, और हार्मोनल असंतुलन भी इसके प्रमुख कारण हैं।

खराब जीवनशैली भी है वजह

आधुनिक जीवनशैली भी ब्रेस्ट कैंसर का एक बड़ा कारण बन रही है। लंबे समय तक बैठे रहना, व्यायाम की कमी, जंक फूड का सेवन, नींद की कमी और लगातार तनाव हार्मोनल बदलाव को प्रभावित करते हैं, जिससे शरीर में कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा प्रदूषण और शराब या तंबाकू का सेवन भी जोखिम को बढ़ाता है।

कैसे करें पता?

डॉक्टर सलाह देते हैं कि महिलाओं को 30 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए। महीने में एक बार शीशे के सामने स्तन की जांच करना, किसी भी गांठ, दर्द, या स्राव को नोटिस करना और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। 40 वर्ष के बाद हर साल एक मैमोग्राफी टेस्ट करवाना भी लाभदायक होता है।

संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव पर नियंत्रण और पर्याप्त नींद ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में मदद कर सकते हैं। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए नियमित चेकअप कराना चाहिए, क्योंकि शुरुआती स्टेज पर कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है। याद रखें — जागरूकता ही इस रोग के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।

सारांश:
डॉक्टरों के अनुसार, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसका कारण बदलती जीवनशैली, हार्मोनल असंतुलन, देर से विवाह और तनावपूर्ण दिनचर्या बताया जा रहा है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि नियमित जांच, स्वस्थ खानपान और व्यायाम से इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Bharat Baani Bureau

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