29 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम में “लॉयल्टी” अब नई करेंसी बनती जा रही है। डिजिटल पेमेंट कंपनी फी कॉमर्स (Phi Commerce) द्वारा जारी “पेमेंट पल्स रिपोर्ट” (H1 2025) के मुताबिक, हर 5 में से 1 ई-कॉमर्स और फूड एंड बेवरेज (F&B) लेनदेन अब लॉयल्टी प्वॉइंट्स या रिवॉर्ड्स के जरिए किया जा रहा है। 20,000 से ज्यादा व्यापारियों के जनवरी से जून 2025 के आंकड़ों पर आधारित यह रिपोर्ट दिखाती है कि अब लोग सोच-समझकर और वैल्यू के हिसाब से खर्च कर रहे हैं, न कि सिर्फ झटके में या आकर्षण में खरीदारी कर रहे हैं। खासकर दिवाली जैसे बड़े त्योहारों के समय, यह ट्रेंड और भी ज्यादा देखने को मिला।
लॉयल्टी पेमेंट की हिस्सेदारी 17.06%
ई-कॉमर्स (ऑनलाइन खरीदारी) में लॉयल्टी का इस्तेमाल तेजी से बहुत बढ़ा है, क्योंकि बड़ी ऑनलाइन कंपनियों (मार्केटप्लेस) ने अपने ऑफर और प्रमोशन को एक साथ चलाना शुरू किया और एक क्लिक में रिवॉर्ड इस्तेमाल करने की सुविधा दी, जिससे लोगों की खरीदारी बढ़ी। रिपोर्ट के अनुसार, रिवार्ड या लॉयल्टी प्वॉइंट्स से किए जाने वाले पेमेंट में सालाना आधार पर 6.2% की बहुत बड़ी ग्रोथ देखी गई है। साल 2024 के पहले 6 महीने में कुल डिजिटल लेनदेन में रिवार्ड आधारित पेमेंट का हिस्सा 10.86% था, जो बढ़कर साल 2025 के पहले 6 महीने में 17.06% हो गया।
लॉयल्टी अब सिर्फ एक मार्केटिंग टूल नहीं
फूड एंड बेवरेज (खान-पान) सेक्टर में, लॉयल्टी से जुड़े लेनदेन साल 2025 के पहले 6 महीने में बढ़कर 17.1% हो गए हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में 15.4% थे। इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह यह है कि रेस्तरां चेन और क्विक-सर्विस ब्रांड (QSR) सीधे अपने भुगतान के तरीके में ही डिजिटल रिवार्ड को जोड़ रहे हैं। कैशबैक वाले ऑर्डर से लेकर गेम जैसे प्वॉइंट सिस्टम तक, लॉयल्टी अब सिर्फ एक मार्केटिंग टूल नहीं रही, यह अब खरीदारी का बड़ा कारण बन गई है।
फी कॉमर्स के को-फाउंडर और हेड ऑफ पेमेंट्स राजेश लोंधे ने कहा कि, “यह रिपोर्ट दिखाती है कि भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम अब एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है, जहां हर लेनदेन में वैल्यू (मूल्य) उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी स्पीड और आसानी। आज के ग्राहक सिर्फ सुविधा नहीं चाहते, वे वैल्यू भी ढूंढते हैं। लॉयल्टी अब उस वैल्यू का अहम हिस्सा बन चुकी है।”
जरूरी खर्चों के लिए भी EMI का बढ़ता चलन
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब ईएमआई (EMI – किस्तों में भुगतान) का इस्तेमाल सिर्फ महंगे या शौक वाले सामान के लिए नहीं, बल्कि जरूरी खर्चों, जैसे हेल्थकेयर और एजुकेशन (शिक्षा) में भी तेजी से बढ़ रहा है।
हेल्थकेयर सेक्टर में, ईएमआई से किए गए डिजिटल पेमेंट्स का हिस्सा कुल लेनदेन का 17.2% हो गया है, जो पिछले साल से 2.1% ज्यादा है। इसका मतलब है कि अब अधिक से अधिक परिवार बड़े मेडिकल इलाज के लिए लचीले फाइनेंसिंग विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में, ईएमआई का हिस्सा अब 7.4% तक पहुंच गया है। यह दिखाता है कि फीस का बोझ बढ़ने के कारण अब स्कूल और कॉलेज भी किस्तों में भुगतान की सुविधा दे रहे हैं।
इन सब बदलावों से यह साफ होता है कि भारत में डिजिटल वित्तीय व्यवहार और भी परिपक्व (मैच्योर) हो रहा है। अब उपभोक्ता क्रेडिट, लॉयल्टी और ऑटोमेशन का इस्तेमाल सिर्फ सुविधा के लिए नहीं, बल्कि अपने रोजमर्रा के खर्चों पर बेहतर नियंत्रण और स्थिरता के लिए भी कर रहे हैं।
भारत में भुगतान के सबसे व्यस्त घंटे
‘पेमेंट पल्स’ रिपोर्ट भारत के नए “भुगतान के व्यस्त घंटों” (‘पेमेंट रश ऑवर्स’) को भी दिखाती है। यह बताती है कि अलग-अलग सेक्टर में डिजिटल पेमेंट का एक तय दैनिक समय बन गया है।
- सुबह 8 बजे से 11 बजे के बीच हेल्थ केयर सर्विसेज से जुड़े भुगतान में तेजी आती है। इस समय मरीज डॉक्टर से मिलने का समय लेते हैं या दिन की शुरुआत में दवाइयां खरीदते हैं।
- सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक, शिक्षा, सरकारी और ई-कॉमर्स क्षेत्रों में सबसे ज्यादा भुगतान होते हैं। जब लोग फीस, बिल या ऑनलाइन खरीदारी जैसी चीजें पूरी करते हैं।
- शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक फूड एंड बेवरेज (खान-पान) का सेक्टर इस मामले में सबसे आगे रहता है। यह खाने-पीने, टेक-आउट और वीकेंड के ऑर्डर का समय होता है।
रिपोर्ट बताती है कि ये समय व्यापारी, फिनटेक कंपनियां और मार्केटिंग टीमों के लिए बहुत उपयोगी जानकारी है। अगर ऑफर या रिमाइंडर इन्हीं व्यस्त समय के अनुसार भेजे जाएं, तो ग्राहकों की भागीदारी और बिक्री दोनों बढ़ सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अब सही समय पर ऑफर देना ही नई प्रतिस्पर्धात्मक ताकत बन गया है। यानी जो अभियान पेमेंट के पीक समय पर चलाए जाते हैं, वे ज्यादा अच्छे नतीजे देते हैं।
UPI को रोकना नामुमकिन
भले ही लोग लॉयल्टी और क्रेडिट पर आधारित लेन-देन ज्यादा कर रहे हैं, लेकिन यूपीआई (UPI) भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब शिक्षा, सरकारी सेवाओं, बिजली-पानी बिल (यूटिलिटीज), ई-कॉमर्स और स्वास्थ्य सेवा जैसे मुख्य क्षेत्रों में 70% से 90% तक लेन-देन सिर्फ यूपीआई से ही हो रहे हैं।
सबसे बड़ी बढ़ोतरी सरकारी और यूटिलिटी सेक्टर में देखी गई, जहां यूपीआई का इस्तेमाल साल 2024 के पहले 6 महीने के 74.9% से बढ़कर साल 2025 के पहले 6 महीने में 89.7% हो गया। यह बढ़ोतरी ऑटो-डेबिट सुविधा और फीस माफी जैसे प्रोत्साहनों की वजह से हुई।
शिक्षा के क्षेत्र में भी यूपीआई का हिस्सा बढ़कर 77.7% हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि शिक्षण संस्थानों ने फीस जमा करने को आसान बनाने के लिए QR-कोड और ऑटोपे (AutoPay) वाली सुविधाएं अपनाई हैं।
सारांश:
भारत में डिजिटल पेमेंट का स्वरूप तेजी से बदल रहा है और अब ‘लॉयल्टी करेंसी’ नई ट्रेंड बनती जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में हर पांच में से एक डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी न किसी लॉयल्टी पॉइंट या रिवॉर्ड के जरिए हो रहा है। इससे उपभोक्ताओं की खर्च करने की आदतें बदल रही हैं और कंपनियां भी ग्राहकों को जोड़ने के लिए लॉयल्टी प्रोग्राम्स पर अधिक निवेश कर रही हैं।
