30 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बाद भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं. दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट आई है. इसके बाद अब रिश्तों में सुधार से जुड़ी एक और अच्छी खबर आई है. दरअसल, भारत ने ईरान के रणनीतिक चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की अवधि को अगले साल की शुरुआत तक बढ़ाने में सफलता हासिल की है. मंगलवार को समाप्त हो रही छूट की नई मोहलत से नई दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट को निरंतरता मिलेगी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह छूट भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) को शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास और संचालन की अनुमति देगी.
अमेरिका ने पहले ईरान से जुड़े पोर्ट पर प्रतिबंध छूट रद्द करने की समय सीमा 29 सितंबर तय की थी, लेकिन अब इसे कुछ महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है. यह राहत भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चाबहार पोर्ट के जरिए वह पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और आवश्यक सामग्री भेजता रहा है. पोर्ट मध्य एशियाई देशों जैसे उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान के लिए भी हिंद महासागर तक सीधी पहुंच का महत्वपूर्ण द्वार है. वर्ष 2024 में भारत ने ईरान के साथ शहीद बेहेश्ती टर्मिनल संचालित करने के लिए 10 साल का अनुबंध किया था, जो परियोजना के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
चाबहार कितना अहम
इस समझौते के तहत IPGL पोर्ट संचालन, बुनियादी ढांचा विकास और समुद्र-थल मार्गों से व्यापार को बढ़ावा दे रहा है. चाबहार भारत के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से अहम है. यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच का वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, जिससे पाकिस्तान पर निर्भरता कम होती है. पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) से भी जोड़ा जा रहा है, जो भारत, ईरान, रूस और अन्य मध्य एशियाई देशों को जोड़ने वाला बहु-माध्यम व्यापार मार्ग है. INSTC से माल ढुलाई समय और लागत में भारी कटौती की उम्मीद है. चाबहार के जरिए भारत ने अब तक अफगानिस्तान को गेहूं, दालें, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं भेजी हैं, जो तालिबान शासन के बाद भी मानवीय सहायता का प्रमुख चैनल बना हुआ है.
अमेरिका के ईरान पर लगाए प्रतिबंध मुख्य रूप से ऊर्जा और बैंकिंग क्षेत्रों को निशाना बनाते हैं, जिससे ईरानी बुनियादी ढांचे में विदेशी निवेश जटिल हो जाता है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता कार्यालय ने 16 सितंबर को जारी बयान में कहा था कि छूट रद्द करना राष्ट्रपति ट्रंप की अधिकतम दबाव नीति का हिस्सा है, जो ईरानी शासन को अलग-थलग करने पर केंद्रित है. बयान में चेतावनी दी गई थी कि चाबहार में काम जारी रखने या संबंधित गतिविधियों में शामिल होने वाले प्रतिबंधों के जोखिम में रहेंगे. हालांकि, 2018 से चाबहार परियोजना को बार-बार छूट मिलती रही है, क्योंकि अमेरिका भी इसकी रणनीतिक और मानवीय महत्ता को स्वीकार करता है.
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य वापसी के बाद भी चाबहार ने क्षेत्रीय स्थिरता और मानवीय पहुंच में योगदान दिया है. भारत ने विश्वास जताया है कि छूट में यह बढ़ोतरी मध्य एशिया के साथ व्यापार और कनेक्टिविटी को गहरा करने में मदद करेगा, साथ ही वाशिंगटन और तेहरान दोनों के साथ रणनीतिक संबंधों को संतुलित रखेगा.
सारांश:
अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत एक बार फिर दिखे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को एक और मौका देते हुए संवाद और सहयोग जारी रखने की बात कही। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और भविष्य में बेहतर कूटनीतिक संबंधों की दिशा में अहम माना जा रहा है।
