31 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारत-अमेरिका संबंधों में नई मजबूती का संकेत देते हुए दोनों देशों ने 10 वर्षीय डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता न केवल रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को भी मजबूत करेगा.अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह रूपरेखा समन्वय, सूचना साझा करने और तकनीकी सहयोग को नए स्तर पर ले जाएगी. कुआलालंपुर में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और हेगसेथ की मुलाकात के दौरान यह समझौता हुआ. राजनाथ सिंह ने कहा कि डिफेंस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर के साथ आज एक नया अध्याय शुरू होगा. मुझे विश्वास है कि भारत-अमेरिका संबंध और सशक्त होंगे. यह बैठक दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा स्तर के संवादों का प्रतीक है, जो बीते कुछ वर्षों में लगातार गहराते गए हैं.
यह डील ऐसे समय आई है जब हाल ही में भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत मिली है और चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट को लेकर वाशिंगटन की स्थिति में नरमी आई है. इससे यह संकेत मिला कि दोनों देशों के रिश्ते न केवल सामरिक मोर्चे पर, बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी तेजी से प्रगाढ़ हो रहे हैं. सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि विदेश नीति के मोर्चे पर भी भारत-अमेरिका के बीच संवाद बढ़ा है. 27 अक्टूबर को कुआलालंपुर में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय घटनाक्रम और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की. जयशंकर ने कहा था, ‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए यह एक उपयोगी मुलाकात रही.’
संबंध हो रहे मजबूत
रक्षा और कूटनीति के इन समानांतर संवादों के बीच भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं भी जारी हैं, जिनसे व्यापक आर्थिक साझेदारी की दिशा में प्रगति के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि, भारत इस मामले में सतर्क रुख बनाए हुए है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में कहा था कि भारत किसी भी व्यापार समझौते में जल्दबाजी नहीं करेगा और ऐसी कोई शर्त नहीं मानेगा जो देश के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ हो. गोयल ने कहा था कि व्यापार समझौते केवल टैरिफ या बाजार पहुंच तक सीमित नहीं होते, बल्कि विश्वास और दीर्घकालिक साझेदारी पर आधारित होते हैं. उनका यह बयान दर्शाता है कि भारत अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करते हुए ही साझेदारी को विस्तार देने के पक्ष में है.
तीन मोर्चों पर एक साथ वार्ता
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने भी कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही हैं और अधिकांश मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनती दिख रही है. इससे संकेत मिलते हैं कि एक संतुलित और दीर्घकालिक व्यापार समझौता अब दूर नहीं है. रक्षा, कूटनीति और व्यापार तीनों मोर्चों पर भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तालमेल ने द्विपक्षीय रिश्तों को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है. चाबहार पोर्ट पर राहत के बाद यह डील दर्शाती है कि दोनों देश अब भरोसे और साझा हितों के आधार पर एक लॉन्ग टर्म साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
सारांश:
भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता हुआ है, जिससे दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों में और मजबूती आई है। चाबहार पोर्ट पर अमेरिका की ओर से मिली राहत के बाद यह डील भारत की कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है। इस समझौते से रक्षा सहयोग, तकनीकी हस्तांतरण और सैन्य अभ्यासों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को और सशक्त करेगा।

 
                         
 