31 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : मॉर्गन स्टेनली के प्रबंध निदेशक और मुख्य भारत इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई ने शुक्रवार को कहा कि भले ही इस साल भारतीय बाजारों का प्रदर्शन वैश्विक बााजारों की तुलना में कमजोर रहा हो, लेकिन भारत की लॉन्ग टर्म इक्विटी स्टोरी अभी भी मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हुए स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स ने भारत को अधिक मजबूत बनाया है।
मुंबई में बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट 2025 में ‘Why am I bullish on India?’ शीर्षक पर फायरसाइड चैट में देसाई ने कहा,
“मैं 2014 से भारत पर बुलिश हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर साल इक्विटी से रिटर्न मिलेगा। इक्विटी सबसे लंबी अवधि का एसेट क्लास है, इसलिए नजरिया भी लंबी अवधि का होना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में भारत का ट्रांसफॉर्मेशन मौलिक रहा है, खासकर अपनी बाहरी कमजरियों को कम करने में। उन्होंने कहा कि इसके केंद्र में सेविंग डेफिसिट या करंट अकाउंट डेफिसिट है। भारत ने तेल पर निर्भरता घटाकर अपनी बाहरी कमजोरियों को काफी हद तक कम किया है। देसाई ने कहा कि हमारी तेल पर निर्भरता 60% तक कम हो गई है। 2008 से अब तक हमारी अर्थव्यवस्था चार गुना बढ़ी है, लेकिन तेल आयात बिल सिर्फ 80% बढ़ा है। यानी अब यह हमारे चालू खाते के लिए उतना अहम नहीं रहा।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स बने ग्रोथ का इंजन
देसाई ने कहा कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) भारत की आर्थिक मजबूती का बड़ा कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) ने सीखा कि घर से काम करना या मुंबई से काम करना भी मुमकिन है और यह फ्लोरिडा से सस्ता भी है। इसी वजह से GCCs का बूम आया। पिछले 12 महीनों में उन्होंने $70 बिलियन की सेवाओं का निर्यात किया है और यह अगले 4–5 साल में दोगुना हो जाएगा। इसके चलते भारत का चालू खाता घाटा (CAD) 1% से नीचे आ गया है और अब अर्थव्यवस्था विदेशी निवेश पर पहले जैसी निर्भर नहीं है।
भारत अब ‘डिफेंसिव मार्केट’ बन गया है
देसाई ने कहा कि हम अब वैश्विक कैपिटल मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर नहीं हैं। 2013 में भारत का मार्केट बीटा 1.3 था, जो अब 0.4 है। यह दिखाता है कि भारत अब एक क्विंटेसेंशियल डिफेंसिव मार्केट बन गया है। बता दें, बीटा किसी बाजार की अस्थिरता का सूचकांक है। यह जितना 1 से कम होता है, बाजार उतना स्थिर माना जाता है।
डाउनसाइकिल में भारत चमकेगा
देसाई ने कहा कि इस साल भारत का अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन वैश्विक ट्रेंड्स का नतीजा है। उनका कहना है कि हम एक ग्लोबल इक्विटी बुल मार्केट में हैं, और ऐसे समय में भारत अच्छा प्रदर्शन नहीं करता क्योंकि यह कंज्यूमर स्टेपल मार्केट की तरह व्यवहार करता है। लेकिन जब अगला बेयर मार्केट आएगा, भारत शानदार प्रदर्शन करेगा।
कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता
देसाई ने कहा कि बाजार के जोखिम भारत की सीमाओं के बाहर अधिक हैं, लेकिन घरेलू रूप से कृषि क्षेत्र को तत्काल सुधार की जरूरत है। हमारे पास लगभग 20 करोड़ किसान हैं। जिन कृषि सुधारों का प्रस्ताव कुछ साल पहले दिया गया था, वे बेहद जरूरी और दूरदर्शी थे। अगर हम किसानों को गरीबी से बाहर नहीं निकालेंगे, तो बाकी 1.1 अरब लोग आगे निकल जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत की कृषि उत्पादकता अभी भी कम है, और अगर भारत चीन की दक्षता हासिल कर ले, तो इसकी कृषि अर्थव्यवस्था $2 ट्रिलियन की हो सकती है और यह दुनिया की आधी आबादी को भोजन उपलब्ध करा सकता है।
सारांश:
मॉर्गन स्टेनली इंडिया के एमडी रिधम देसाई ने कहा है कि इक्विटी निवेश को हमेशा लंबी अवधि के नजरिए से देखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर साल रिटर्न मिलना जरूरी नहीं है, क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है। देसाई के अनुसार, दीर्घकालिक निवेशकों को धैर्य बनाए रखना चाहिए, क्योंकि समय के साथ इक्विटी सबसे ज्यादा मूल्यवर्धन देने वाला एसेट क्लास साबित होता है।

 
                         
 