मॉस्को 31 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : कुछ महीने पहले जियो पॉलिटिक्स में एक बड़ी हलचल पैदा हुई थी, जब 3 सुपर पावर्स भारत, रूस और चीन ने सिर उठाया था. तीन ताकतवर देशों को एक साथ देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी हिल गए थे. ये सब हुआ था एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान और इसके पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन का ‘चाणक्य दिमाग’ था. सम्मेलन में पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाथों में हाथ डाले नई दोस्ती का सबूत देते नजर आए थे. तीनों देशों के बीच ट्रेड से लेकर सैन्य डील तक कई वादे-इरादे हुए थे लेकिन साल खत्म होते-होते हालात किसी और दिशा में जाते दिख रहे हैं.

भारत, चीन और रूस के बीच सुहाने वादे

पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग की दोस्ती देखते हुए एक्सपर्ट्स ने कयास लगाने शुरू कर दिए थे कि किस तरह ये 3 सुपर पावर्स जियो पॉलिटिक्स का नक्शा बदलकर रख देंगी. डी-डॉलराइजेशन से लेकर ग्लोबल ट्रेड की बदलती सूरत तक को लेकर बात होने लगी थी, कुछ हद तक इस पर काम भी शुरू हो गया था. हालांकि, साल के आखिरी दिनों में तीनों के बीच तनाव की स्थित पैदा होती दिख रही है.

चीन ने बिगाड़े रिश्ते

शुरुआत चीन ने की, जहां एक तरफ भारत और चीन के बीच 5 सालों बाद डायरेक्ट फ्लाइट दोबारा शुरू की गई. वहीं दूसरी तरफ चीन ने चोरी-छिपे भारत के बॉर्डर पर युद्ध की तैयारी शुरू कर दी. शी जिनपिंग ने पैंगोंग झील के पास मिसाइल बंकर बना डाला है. सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं तब चीन की चालाकी खुली, दावा किया जा रहा है कि इन मिसाइलों का मुंह भारत की तरफ रखा गया है.

अमेरिका की चाल

भारत और रूस के बीच दरार डालने के लिए ट्रंप ने भी चाल चली. रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ थोप दिया था. इसके बाद भी दोनों देशों के ट्रेड संबंधों को तोड़ने का प्रेशर जारी रखा गया है. भारत के कुछ बोलने से पहले ही ट्रंप ने खुद ही ऐलान कर दिया है कि भारत जल्द ही रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा.

रूस-चीन की मिली-भगत से भारत को नुकसान

इसके अलावा हाल ही में ताजिकिस्तान में बंद हुए भारतीय एयरबेस को लेकर भी एक चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है. भारत और ताजिकिस्तान के बीच हुए समझौते की लीज अवधि 2022 में खत्म हो गई थी, जिसे आगे बढ़ाने से मना कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि इस फैसले के पीछे रूस और चीन का दबाव है क्योंकि दोनों देश नहीं चाहते हैं कि ताजिकिस्तान पर ‘गैर-क्षेत्रीय सैन्य उपस्थिति’ हो. भारत के खाली करते ही रूसी सेनाओं ने इस बेस पर कंट्रोल कर लिया है.

भारत के लिए क्यों है बड़ा झटका?

आयनी एयरबेस से नियत्रंण खोना भारत के लिए बड़ा झटका है क्योंकि ये भारत की सुरक्षा नीति के लिए भी बेहद अहम था. इसकी मदद से भारत पेशावर जैसे शहरों तक निगरानी रख सकता था, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बनता था. इसके अलावा यह ठिकाना भारत की सेंट्रल एशिया में रणनीतिक पकड़ का प्रतीक था, जहां रूस और चीन का दबदबा है. यह एयरबेस भारत के लिए कश्मीर (PoK) पर नजर रखने के भी जरूरी था क्योंकि ये अफगानिस्तान की वखान कॉरिडोर से महज 20 किलोमीटर दूर है, जो पीओके के काफी करीब है.

अभी भी बाकी है उम्मीद

चीन से पहले ही मिले धोखे के बाद अब आयनी एयरबेस वाले कांड ने 3 सुपर पावर्स के बीच हालात बिगड़ दिए हैं. हालांकि, अभी भी तीनों देशों के बीच बात पूरी तरह उखड़ी नहीं है. हाल ही में चीन ने रेयर अर्थ इम्‍पोर्ट को लेकर भारतीय कंपनियों को लाइसेंस दिया है. इसके अलावा भारत और रूस के बीच सैन्य डील अभी भी जारी है.

सारांश:
भारत, चीन और रूस के बीच हाल के दिनों में कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है। वैश्विक मंचों पर मतभेद, आर्थिक नीतियों में असहमति और सुरक्षा मुद्दों पर अलग-अलग रुख के कारण तीनों देशों के रिश्तों में दरार दिखाई दे रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति विश्व राजनीति के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। कभी सहयोगी माने जाने वाले ये देश अब रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं।

Bharat Baani Bureau

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