03 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने आक्रामक रुख के कारण सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजीरिया को कड़ी चेतावनी दी है. ट्रंप ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अमेरिका इस मुस्लिम बहुल देश में सैन्य कार्रवाई या हवाई हमले कर सकता है.

फ्लोरिडा से लौटते वक्त ‘एयर फ़ोर्स वन’ विमान में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय को तेज़ सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं. राष्ट्रपति ने इस दौरान रक्षा मंत्रालय को ‘Department of War’ यानी युद्ध का विभाग तक कह डाला. ट्रंप ने कहा, ‘वे नाइजीरिया में रिकॉर्ड संख्या में ईसाइयों की हत्या कर रहे हैं. हम इसे होने नहीं देंगे. अगर ज़रूरत पड़ी तो कार्रवाई होगी… ज़मीनी हमला भी और हवाई हमले भी.’

इस पश्चिम अफ्रीकी देश में करीब 53 फीसदी लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं, जिन्हें से अधिकतर सुन्नी मतावलंबी है. वहीं 45% आबादी के साथ दूसरे नबंर पर ईसाई ही हैं. हालांकि वे प्रोटेस्टेंट और कैथलिक दो धड़ों में बंटे हुए हैं.

क्यों संकट में ईसाई?
इससे पहले शुक्रवार को ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर नाइजीरिया की सरकार अपने देश के ईसाई समुदाय की रक्षा करने में नाकाम रही, तो अमेरिका उसकी आर्थिक मदद रोक देगा और खुले युद्ध की नीति पर भी जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘नाइजीरिया में ईसाई धर्म अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है. इस हिंसा के पीछे कट्टर इस्लामी तत्व हैं.’

ट्रंप का यह बयान उस समय आया जब अमेरिका ने नाइजीरिया को फिर से उन देशों की सूची में शामिल किया है जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं. इस सूची में चीन, म्यांमार, उत्तर कोरिया, रूस और पाकिस्तान जैसे देश भी शामिल हैं.

क्या कह रही नाइजीरिया सरकार?

वहीं नाइजीरियाई सरकार ने कहा है कि वह अमेरिका की मदद का स्वागत करती है, लेकिन उसकी संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता से कोई समझौता नहीं होगा. राष्ट्रपति बोला टिनूबू के सलाहकार डैनियल बवाला ने कहा, ‘हम अमेरिकी मदद का स्वागत करते हैं, लेकिन यह हमारी सीमाओं और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए होनी चाहिए.’

बवाला ने ट्रंप के तीखे बयानों को लेकर स्थिति को हल्का करने की कोशिश भी की. उन्होंने कहा, ‘हम इसे शाब्दिक रूप से नहीं लेते, क्योंकि हमें पता है कि डोनाल्ड ट्रंप नाइजीरिया के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं. दोनों देशों के नेता जब मिलेंगे, तो आतंकवाद से निपटने के लिए बेहतर नतीजे सामने आएंगे.’

नाइजीरिया पिछले कई वर्षों से आतंकी संगठन बोको हराम और ISIS वेस्ट अफ्रीका प्रांत (ISWAP) की हिंसा से जूझ रहा है. साथ ही देश के उत्तर और मध्य हिस्सों में किसानों और चरवाहों के बीच टकराव ने धार्मिक और जातीय रंग भी ले लिया है.

ट्रंप की चेतावनी के बाद कूटनीतिक हलकों में चिंता तो बढ़ी है, लेकिन दोनों देशों के अधिकारी अब भी आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ के खिलाफ संयुक्त सहयोग की उम्मीद जता रहे हैं. नाइजीरिया की जमीनी स्थिति और वहां जारी धार्मिक हिंसा पर अमेरिका की यह सख्त प्रतिक्रिया आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा दे सकती है.

सारांश:
एक मुस्लिम बहुल देश में ईसाइयों के साथ हो रहे अत्याचारों को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए हैं। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया और चेतावनी दी कि अगर हालात नहीं सुधरे तो नई जंग शुरू हो सकती है। ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने की अपील की।

Bharat Baani Bureau

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