06 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : अमेरिका की सेना वेनेजुएला के करीब तैनात है. लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि ट्रंप कभी भी हमला कर सकते हैं. हालांकि ट्रंप इसे नकार चुके हैं, लेकिन फिर भी खतरा बना हुआ है. इसे देखते हुए अब रूस अपने दोस्त के लिए मैदान में आ गया है. रूस का एक सीक्रेट सैन्य विमान रविवार को वेनेजुएला की राजधानी कराकस में उतरा, जिसके बाद हड़कंप मच गया. रूस का ये कदम अमेरिका को सीधे चुनौती थी. अमेरिका पहले ही कैरिबियन सागर में 10 हजार सैनिक, युद्धपोत, सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर, एफ 35 विमान और विशेष बल तैनात है.
ये उड़ान बेहद खुफिया रही. IL-72 प्लेन 22 अक्टूबर को येकातेरिनबर्ग से रवाना हुआ और आर्मेनिया, अल्जीरिया, मोरक्को, सेनेगल और मॉरिटानिया जैसे देशों से होते हुए कराकस पहुंचा. ये विमान रूस की भाड़े वाली सेना वैग्नर ग्रुप से भी जुड़ा है. इस विमान का संचालन रूस की कंपनी एवियाकॉन जिटोट्रांस कर रही थी, जिसे अमेरिका ने 2023 में अपने प्रतिबंध सूची में डाला था. अमेरिकी सरकार ने आरोप लगाया था कि यह कंपनी रूस के रक्षा मंत्रालय के लिए हथियार और सैन्य उपकरण प्रतिबंधित देशों तक पहुंचाती है.
अमेरिका ने भेजा सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहन है कि कैरिबियन में यह सैन्य तैनाती ‘ड्रग माफिया से निपटने’ के लिए है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के तख्तापलट की कोशिश है. ट्रंप ने सीआईए को भी वेनेजुएला में सीक्रेट ऑपरेशन की इजाजत दी है. वहीं मादुरो का कहना है कि अमेरिका एक ‘झूठा युद्ध’ रच रहा है ताकि उन्हें सत्ता से हटाया जा सके. तनाव तब और बढ़ गया जब 24 अक्टूबर को अमेरिका ने अपने सबसे बड़े विमानवाहक पोत USS गेराल्ड फोर्ड को कैरिबियन भेजने का आदेश दिया.
रूस ने क्या मदद भेजी?
दूसरी ओर, रूस और वेनेजुएला के बीच रिश्ते पहले से ही मजबूत हैं. मई 2025 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति मादुरो ने मास्को में 25 अनुच्छेदों वाला रणनीतिक साझेदारी समझौता साइन किया जिसमें ऊर्जा, व्यापार और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं. रूस अब तक वेनेजुएला को 4 अरब डॉलर से ज्यादा के हथियार जैसे- टैंक, जेट और ड्रोन दे चुका है. इसके अलावा रूसी सैनिकों ने वेनेजुएला के सैनिकों को ट्रेन भी किया. DD न्यूज पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि ‘वैग्नर ग्रुप’ से जुड़े सैनिक भी वेनेजुएला में सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. अटकलें यह भी हैं कि राष्ट्रपति मादुरो की सुरक्षा भी यही कर रहा है. ये वही वैग्नर ग्रुप है जो पहले अफ्रीका में रूस के मिशनों के लिए काम करता था और अब रूस की सेना के ‘अफ्रीका कॉर्प्स’ के तहत काम करता है.
सारांश:
वेनेजुएला में रूस का एक सीक्रेट मिलिट्री प्लेन उतरने से अंतरराष्ट्रीय हलचल तेज हो गई है। रिपोर्टों के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह कदम अमेरिका की संभावित कार्रवाई से पहले रणनीतिक रूप से उठाया है। माना जा रहा है कि रूस वेनेजुएला में अपनी सैन्य उपस्थिति मजबूत करना चाहता है। इस कदम पर अमेरिकी राजनीति में भी बहस छिड़ गई है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “खतरनाक संकेत” बताया है।
