12 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : दुनियाभर में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर ऐसी बीमारी बन गई है जिसका नाम सुनते ही इंसान डर जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि कैंसर का जितनी जल्दी पता चल जाए मरीज के बचने की संभावना उतनी बढ़ जाती है। शरीर में कैंसर पनप रहा है या कैंसर होने का खतरा है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए एचआरसी टेस्ट को लेकर काफी चर्चा हो रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो HRC एक Blood Test है जिसकी मदद से कैंसर सेल्स का पता लगाया जा सकता है। इसमें स्टेम सेल्स के जरिए शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर सेल्स के होने का पता लगाया जा सकता है। लेकिन अभी भी डॉक्टर इसे पूरी तरह सटीक जांच नहीं मानते हैं। डॉक्टर वैशाली जमरे (डायरेक्टर एंड चीफ ब्रेस्ट कैंसर सेंटर, एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल) से इस बारे में हमने बात की और जाना कि क्या इससे प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
क्या है HRC टेस्ट?
डॉक्टर वैशाली जमरे ने बताया कि HRC टेस्ट जिसे हिमांशु रॉय कैंसर परीक्षण भी कहा जाता है एक नया ब्लड टेस्ट है। जिससे कैंसर के होने या खतरे का शुरुआती स्टेज में पता लगाया जा सकता है। ये ब्लड में स्पेशल सेल्स जिन्हें बहुत छोटी एम्ब्रोयोनिक जैसे स्टेम सेल्स की पहचान कर काम करता है, ये सेल्स शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर होने पर प्रकट हो सकती हैं। ये टेस्ट एक एचआरसी स्कोर देता है जो बताता है कि कैंसर की संभावना है या नहीं।
प्रोस्टेट कैंसर का कैसे पता करें?
हालांकि, एचआरसी टेस्ट को एक पैन कैंसर स्क्रीनिंग टूल के रूप में दिखाया जा रहा है लेकिन अभी भी ये एक्सपेरीमेंटल है, जिसके सभी नतीजे पूरी तरह से सटीक साबित नहीं हो रहे हैं। प्रोस्टेट कैंसर में इसे बायोप्सी का विकल्प नहीं माना जा सकता है। बायोप्सी कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति की पुष्टि करने का एकमात्र विश्वसनीय तरीका है। इसके अलावा पीएसए ब्लड टेस्ट, एमआरआई और बायोप्सी जैसे परीक्षण अभी भी प्रोस्टेट कैंसर का पता लहाने के लिए बेस्ट तरीका माना जाता है। एचआरसी टेस्ट एक एडीशनल टेस्ट हो सकता है। लेकिन इसको आधार मानकर कोई रिजल्ट पर नहीं पहुंचा जा सकता है।
सारांश:
हाल के वर्षों में चिकित्सा जगत में ब्लड टेस्ट के ज़रिए कैंसर का पता लगाने की तकनीक पर तेजी से शोध हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, HRC टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर की पहचान में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन यह अभी पूरी तरह निर्णायक नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि सटीक निदान के लिए बायोप्सी और अन्य जांच जरूरी हैं।
