14 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) पाकिस्तान और अमेरिका के बीच इस वक्त जो यारी चल रही है, उसकी वजह अगर आप सोच रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप और आसिम मुनीर के बीच बढ़िया समीकरण है, तो आप गलत हैं. एक अमेरिकी अखबार ने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच जंग और उसमें डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका से लेकर नोबल पुरस्कार के लिए सिफारिश तक, सब कुछ धंधे का खेल है. अखबार की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान ने व्हाइट हाउस तक अपनी पैठ बनाने में उसने करोड़ों डॉलर उड़ा दिए हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान ने अप्रैल से लेकर मई तक यानि 2 महीने के अंदर लाखों-करोड़ों डॉलर उड़ा दिए, ताकि उन्हें व्हाइट हाउस में भारत से ज्यादा एक्सेस मिल सके. आपको याद दिला दें कि ये वही समय था, जब भारत में पहलगाम में पाकिस्तान के पाले आतंकियों ने हमला किया था और जबह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, तो पाकिस्तान के कहने पर डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर कराने में अपनी ताकत झोंक दी.
मुनीर को यूं ही नहीं वॉशिंगटन बुलाते थे ट्रंप
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने जो करोड़ों डॉलर लॉबींग यानि अपनी हवा बनाने में खर्चा किए हैं, उसकी का नतीजा है कि अमेरिका में पॉलिसी शिफ्टिंग दिखाई दे रही है. जो अमेरिका आतंकवादी देश मानकर पाकिस्तान को फंडिंग देना भी बंद कर चुका था, वो उससे बड़ी-बड़ी डील कर रहा है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख की मेजबानी कर रहा है. पाकिस्तान और डोनाल्ड ट्रंप के बीत रिश्ते अगर ठीक हुए हैं, तो ये पाकिस्तान के भारी-भरकम खर्चे और बेपनाह चापलूसी की कीमत पर हुआ है.
ऑपरेशन सिंदूर में ‘सीजफायर गेम’ क्यों?
जिस पाकिस्तान में अपनी अवाम को रोटी खिलाने के पैसे नहीं हैं, जो अपनी अंदरूनी सरक्षा करने में नाकाम है, उसने कर्जे के पैसे को कूटनीति पर खर्चा कर दिया. रिपोर्ट बताती हैं कि अप्रैल-मई में सबसे ज्यादा पैसे पाकिस्तान ने लॉबी बनाने में उड़ाए हैं. इतना ही नहीं दावा ये भी किया गया है कि भारत इस काम में जितने पैसे खर्च करता है, पाकिस्तान ने उसका तीन गुना खर्चा वॉशिंगटन तक पहुंच बनाने में उड़ाए हैं. इसी का असर है कि डोनाल्ड ट्रंप सीजफायर-सीजफायर का पहाड़ा आज तक रट रहे हैं और पाकिस्तान डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया का सबसे महान इंसान बताता है.
सारांश:
रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान ने अमेरिका और ट्रंप प्रशासन को खुश करने के लिए कूटनीतिक लॉबिंग, यात्राओं और प्रचार अभियानों पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इन प्रयासों का खास प्रभाव नहीं पड़ा। माना जा रहा है कि आर्मी चीफ जनरल मुनीर के नेतृत्व में की गई कोशिशों के बावजूद ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को सीमित ही महत्व दिया। यह मामला पाकिस्तान की विदेश नीति और अमेरिका पर उसकी निर्भरता को लेकर फिर चर्चा में आ गया है।
