नई दिल्ली 17 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चेन्नई में सैन्य क्वार्टर के अंदर स्थित एक मस्जिद में नागरिकों को नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दिए जाने की शिकायत वाली एक याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इसमें सुरक्षा संबंधी मुद्दे हो सकते हैं. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के अप्रैल 2025 के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. मद्रास हाईकोर्ट ने सिंगल जज के आदेश के खिलाफ एक अपील खारिज कर दी थी.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि वह सैन्य अधिकारियों द्वारा बाहरी लोगों को पूजा या अन्य किसी उद्देश्य से सेना परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं देने के प्रशासनिक निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि ‘मस्जिद-ए-आलीशान’ में बाहरी लोगों के प्रवेश पर केवल कोविड-19 महामारी के दौरान ही प्रतिबंध लगाया गया था. पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से कहा, “सुरक्षा संबंधी मुद्दे और कई अन्य बातें हैं. हम इसकी अनुमति कैसे दे सकते हैं.”
वकील ने कहा कि 1877 से 2022 तक वहां सुरक्षा संबंधी कोई समस्या नहीं थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा था कि आर्मी अथॉरिटी सैन्य क्वार्टर के अंदर स्थित मस्जिद में नागरिकों को नमाज़ अदा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
खंडपीठ ने कहा था कि स्टेशन कमांडर ने जून 2021 में एक मौखिक आदेश में याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था, और यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि ‘मस्जिद-ए-आलीशान’ मुख्य रूप से यूनिट से जुड़े लोगों के उपयोग के लिए है और छावनी भूमि प्रशासन नियम, 1937 के अनुसार बाहरी लोगों के लिए बिल्कुल नहीं है.
हाईकोर्ट ने कहा था, “बाहरी लोगों को अनुमति दी जाए या नहीं, यह निर्णय लेना प्रशासन का विशेषाधिकार है. वर्तमान मामले में, छावनी भूमि प्रशासन नियम, 1937 का हवाला देते हुए, प्राधिकारी ने बाहरी लोगों को अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है.” और एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने याचिका खारिज कर दी थी.
सारांश:
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद-ए-आलीशान’ में नमाज़ की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह क्षेत्र सैन्य जोन में आता है, जहां आम नागरिकों की एंट्री प्रतिबंधित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मिलिट्री ज़ोन में सुरक्षा नियमों का पालन अनिवार्य है और धार्मिक स्थलों के लिए भी कोई रियायत नहीं दी जा सकती। इस फैसले ने सुरक्षा बनाम धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
