पटना 19 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों को लेकर एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है. महागठबंधन ने जहां अपनी सीट मुश्किल से बचाई उन 35 सीटों में से 22 पर इतने कम मतों का अंतर रहा कि अगर थोड़ा भी इधर-उधर हो जाता तो महागठबंधन को और शर्मनाक हार झेलना पड़ता. दरअसल, इन सीटों को महागठबंधन ने नजदीकी अंतर से जीत हासिल की है. वहीं, एनडीए ने कुल 202 सीटों में से 41 पर कम अंतर से विजय पाई. ये आंकड़े बताते हैं कि मुकाबला कई जगहों पर बेहद कांटे का रहा और कई उम्मीदवार हजार से भी कम मतों से सदन पहुंचे.
महागठबंधन की 35 में 22 सीटों पर ‘थिन मार्जिन’ की जीत
महागठबंधन ने कुल 35 सीटें जीतीं, लेकिन इनमें से 22 सीटों पर जीत का अंतर 10,000 मतों से भी कम रहा. इन 22 में राजद की 16, कांग्रेस की तीन, भाकपा-माले की दो और आईआईपी की एक सीट शामिल रहीं. हैरत की बात यह रही कि महागठबंधन के 62% विधायक बेहद करीब के मुकाबले में विजयी हुए, वहीं एनडीए में यह अनुपात मात्र 20% था.
हजार से भी कम अंतर वाली सीटों में आधी सीटें महागठबंधन की
कुल नौ सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत का अंतर एक हजार से कम था. इनमें से पांच सीटों पर राजद-कांग्रेस के उम्मीदवार जीते, जबकि शेष चार में तीन पर एनडीए और एक पर बसपा विजयी रही. यह नतीजे बतलाते हैं कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में अंतिम राउंड तक सस्पेंस बना रहा और जीत-हार का फैसला बेहद कम वोटों पर टिका.
भाकपा-माले की दोनों जीतें भी नजदीकी
महागठबंधन की सहयोगी भाकपा-माले की दोनों सीटें भी करीबी रहीं. काराकाट से अरुण सिंह ने मात्र 2836 वोटों से जीत हासिल की और पालीगंज में संदीप सौरव ने 6655 मतों से जीत दर्ज की. यह साफ संकेत है कि इन इलाकों में विपक्ष ने कड़ा मुकाबला दिया.
कांग्रेस ने छह में तीन सीटें बेहद मामूली अंतर से जीती
कांग्रेस की छह सीटों में से आधी पर जीत बहुत कम अंतर से रही. चनपटिया से अभिषेक रंजन 602 वोट से जीत पाए, जबकि फारबिसगंज से मनोज बिश्वास को 221 वोट से जीत मिली. वाल्मीकिनगर से सुरेन्द्र प्रसाद ने महज 1675 वोट से जीत प्राप्त की. बाकी तीन सीटों पर भी कांग्रेस की जीत 16 हजार के भीतर रही जो यह जताती है कि पार्टी की जमीन पर पकड़ कमजोर रही, मगर स्थानीय समीकरणों ने मदद की.
IIP प्रमुख भी मामूली अंतर से जीते
महागठबंधन में शामिल नए दल इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) के प्रमुख आईपी गुप्ता ने सहरसा से सिर्फ 2038 मतों से जीत दर्ज की. उनके लिए यह जीत राजनीतिक अस्तित्व का पहला अहम कदम मानी जा रही है.
राजद ने 25 में 16 सीटें कम अंतर से जीतीं
राजद अपनी कुल 25 सीटों में से 16 पर 10,000 से कम अंतर से जीती, जबकि तीन सीटों पर जीत का अंतर तो 1000 से भी कम रहा. ढाका से फैसल रहमान 178 मतों से, जहानाबाद से राहुल कुमार 793 वोटों से, बोधगया से कुमार सर्वजीत 881 मतों से और शेष 13 सीटों पर भी अंतर 2000 से 9000 के बीच रहा. इनमें मटिहानी, फतुहा, रानीगंज, बिस्फी, मधेपुरा, टिकारी और वारसलीगंज जैसी सीटें शामिल हैं.
एनडीए की 202 में 41 नजदीकी जीतें
एनडीए की शानदार जीत के बावजूद 41 सीटें ऐसी रहीं, जहां मुकाबला कड़ा था. इसमें भाजपा और जदयू- 17-17, लोजपा (रा)- 5, हम- 1 और रालोमो- 1 सीट पर कम अंतर से जीत मिली.
भाजपा की 17 सीटों पर ‘स्लिम मार्जिन’
भाजपा के कई बड़े चेहरे कम अंतर से जीते, जिनमें मधुबनी के राणा रणधीर, सीतामढ़ी के सुनील कुमार पिंटू, केवटी के मुरारी मोहन, छपरा की छोटी कुमारी, पीरपैंती के मुरारी पासवान और बिक्रम के सिद्धार्थ सौरभ शामिल हैं.
जदयू भी 17 सीटों पर बाल-बाल बची
जदयू के विशाल कुमार (नरकटिया), सोनम रानी (त्रिवेणीगंज), जमा खान (चैनपुर) और मनोरमा देवी (बेलागंज) सहित कई उम्मीदवारों को भी कम अंतर में जीत मिली.
लोजपा (रा), हम और रालोमो की नजदीकी जीत
लोजपा (रा) की संगीता देवी (बलरामपुर) से लेकर विष्णुदेव पासवान (दरौली) तक पांच उम्मीदवार कम अंतर से जीते. वहीं हम की ज्योति देवी (बाराचट्टी) और रालोमो के रामेश्वर महतो (बाजपट्टी) भी मुश्किल जीत दर्ज कर पाए.
सारांश:
बिहार चुनाव में कुछ सीटों पर बेहद कम अंतर से मुकाबला हुआ। अगर वोटों में थोड़ा और इधर-उधर होता, तो राजद 9 सीटों पर जीत सकती थी और कांग्रेस सिर्फ 3 सीटों पर सिमट सकती थी। बेहद करीबी अंतर ने दोनों दलों की प्रतिष्ठा को बड़ी हार से बचा लिया।
