26 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : 24 फरवरी, 2022 …वो तारीख है, जब रूस ने यूक्रेन को दहलाकर रख दिया. राजधानी कीव से लेकर खार्कीव, मारियुपोल और ओडेसा समेत कई इलाकों में रूस ने ऐसे ताबड़तोड़ हमले किए कि पूरी दुनिया सन्न रह गई. वैसे तो रूस पहले भी साल 2014 में यूक्रेन के क्राइमिया और डोनबास में सैन्य कार्रवाई कर चुका था लेकिन इस बार उसकी ताकत और इरादा दोनों ही मजबूत था. तभी तो युद्ध को करीब 4 साल बीतने के बाद भी हर तरफ से प्रेशर होने के बाद भी रूस पीछे नहीं हट रहा.
हालांकि अब इस मामले में उम्मीद की किरण जागी है क्योकि रूस ने पहली बार अमेरिका के बनाए हुए शांति मसौदे को कुछ हद तक अपना समर्थन दिया है. इस बात की पुष्टि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया आधिकारिक बयान में लिखा – ‘मेरी टीम ने पिछले हफ्ते रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण प्रगति की है. एक ऐसा युद्ध, जो मेरे राष्ट्रपति रहते कभी शुरू ही नहीं होता. 28 बिंदुओं वाले मूल प्रस्ताव को अब दोनों पक्षों के इनपुट के साथ फाइन-ट्यून किया गया है. मैंने अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ को मॉस्को जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मिलने का निर्देश दिया है… केवल कुछ मुद्दे ही अब बाकी हैं. मैं तभी पुतिन और जेलेंस्की से मिलूंगा जब यह शांति समझौता अंतिम रूप ले लेगा या अंतिम चरण में होगा.’
कैसे टेबल पर आया ये ऐतिहासिक समझौता?
अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ इन दिनों अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं, जिसकी वजह मॉस्को में क्रेमलिन अधिकारी यूरी उशाकोव से हुई उस फोन कॉल का खुलासा है, जिसमें विटकॉफ ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मनाया. उन्होंने सुझाव दिया कि वे डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली बातचीत में किस तरह से शांति प्रस्ताव की बात को आगे बढ़ाया जा सकता है. ब्लूमबर्ग की ओर से पब्लिश रिपोर्ट में बताया गया है – ‘विटकॉफ ने कहा कि उन्हें लगता है कि रूस हमेशा से शांति चाहता रहा है और उन्होंने पुतिन के लिए गहरे सम्मान भावना भी जताई.’ इसी बातचीत को कई विशेषज्ञ उस 28 सू्त्रीय शांति प्रस्ताव की शुरुआती रूपरेखा मान रहे हैं, जिसका ट्रंप ने समर्थन किया है.
कैसे करवाई ट्रंप-पुतिन कॉल की सेटिंग
विटकॉफ ने पुतिन को सलाह दी कि ट्रंप के साथ फोनकॉल में वे उन्हें पीस मेकिंग लीडर की तरह सराहें और यह भी कहें कि गाजा में हुआ संघर्षविराम दुनिया के लिए उम्मीद है. इसके अलावा सुझाव था कि यूक्रेन के लिए गाजा जैसा एक 20 सूत्रीय प्लान तैयार किया जाए और ट्रंप के सामने रखा जाए. उनकी सलाह पर ही 16 अक्टूबर को ट्रंप और पुतिन के बीच बात हुई और ट्रंप ने इसे काफी प्रोडक्टिव कहा था. बाद में इसी मसौदे में यूक्रेन की इच्छाओं को भी शामिल करके इसे 28 बिंदुओं में तैयार करके दिखाया गया. अब जेलेंस्की के साथ बैठने के बाद एक बार फिर मसौदे में परिवर्तन करके इसे 19 सू्त्रों में समेटा गया है. जल्दी ही विटकॉफ इस नए समझौते को लेकर मॉस्को जाने वाले हैं, उसके बाद ही क्रेमलिन अपनी बात फाइनल करेगा.
कौन हैं ट्रंप के चाणक्य स्टीव विटकॉफ?
स्टीव विटकॉफ वैसे तो कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं रखते लेकिन कारोबार की दुनिया का बड़ा नाम हैं. एक रियल एस्टेट टाइकून, जिनका अमेरिका में हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट्स विकसित करने का लंबा इतिहास है. रियल एस्टेट सेक्टर में कठिन से कठिन डील नेगोशिएट करने की कला और कई देशों में काम करने की वजह से उन्हें डील-मेकर कहा जाता है. ट्रंप के साथ विटकॉफ की दोस्ती पुरानी है, जिसका फायदा उन्हें अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में आने का मौका देता है. भले ही कूटनीति के जानकार नहीं हैं लेकिन ट्रंप का भरोसा, उनका नेटवर्क और उनकी बातचीत की शैली उन्हें एक प्रभावशाली मध्यस्थ बनाती है.
रूस के मामले में परफेक्ट हैं विटकॉफ
ट्रंप खुलकर कह चुके हैं कि वे विटकॉफ को बातचीत आगे बढ़ाने के लिए पूरी आजादी देंगे. विटकॉफ की उशाकोव से बातचीत से साफ है कि वे सिर्फ ट्रंप का पक्ष रखने नहीं बल्कि बल्कि रणनीति सुझाने की भी भूमिका निभा रहे हैं. विटकॉफ ने कई बार कहा है कि शांति तभी संभव है जब दोनों पक्षों की चिंताओं को सम्मानपूर्वक समझा जाए. उन पर कई बार रूस का पक्ष लेने के भी आरोप लग चुके हैं लेकिन अगर यह शांति योजना सफल होती है, तो इतिहास शायद उन्हें एक ऐसे बिजनेस लीडर के रूप में याद करेगी, जिसने अपने समय का बड़ा युद्ध रुकवा दिया.
सारांश :
रूस-यूक्रेन समझौते के पीछे किसका दिमाग काम कर रहा है, इसे लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता और पुतिन से हुई उनकी कथित ‘सेटिंग’ ने जेलेंस्की पर समझौते का दबाव बढ़ा दिया। कहा जा रहा है कि इस कूटनीतिक चाल के चलते यूक्रेन को झुककर बातचीत करनी पड़ी, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मोड़ देखने को मिल सकता है।
