08 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के मैनेजिंग डायरेक्टर और को-हेड संजीव प्रसाद का कहना है कि सोने में निवेश गहनों के रूप में करना समझदारी नहीं है। उनके अनुसार, जेवर के बजाय गोल्ड ETFs या भौतिक सोना जैसे सिक्के, बार या ईंटें खरीदना अधिक लाभदायक होता है।
गहनों में नुकसान क्यों?
KIE की हाल की रिपोर्ट (जिसे संजीव प्रसाद, अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदावा ने मिलकर लिखा है) के मुताबिक, गहनों की खरीद कीमत का केवल 60–70% ही असली सोने का मूल्य होता है। बाकी हिस्सा हीरे और मेकिंग चार्ज में चला जाता है। हीरों की कीमत में हाल के समय में कमी आई है, जिससे कुल रिटर्न पर असर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की कीमतों को 25–30% बढ़ना पड़ेगा ताकि खरीदार अपनी लागत निकाल सकें। वह भी तभी, जब हीरों की कीमतें स्थिर रहें।
भारतीय घरों की बड़ी होल्डिंग
KIE के मुताबिक, भारतीय परिवारों ने अब तक लगभग 500 अरब डॉलर का सोना और कीमती पत्थर खरीदा है। इसके मुकाबले विदेशी निवेशकों (FPIs) ने 200 अरब डॉलर का इक्विटी खरीदा है। भारतीय परिवारों की सोने की कुल होल्डिंग FY15 के 694 अरब डॉलर से बढ़कर FY25 में 2,113 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।
वैश्विक मांग में गिरावट
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही (Q3-CY25) में वैश्विक स्तर पर सोने के गहनों की मांग घट गई है। हालांकि भारत और चीन में मौसमी रूप से थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन साल-दर-साल (y/y) के आधार पर मांग कमजोर रही।
WGC के आंकड़ों के अनुसार, सोने के गहनों की खपत अब तक 18% घटकर 1,095 टन रही है, लेकिन अब भी यह 2020 के निचले स्तर (894 टन) से ऊपर है। वैश्विक स्तर पर गहनों की कुल कीमत $112 अरब तक पहुंच गई है। जो 2024 के $99 अरब से 14% अधिक है।
ETF में निवेश बढ़ा
WGC के मुताबिक आने वाले समय में गोल्ड ETF में निवेश बढ़ता रहेगा। इससे गहनों और तकनीक में सोने की कम होती मांग की भरपाई हो सकती है। अब तक दुनिया भर के गोल्ड ETF में 77 अरब डॉलर का निवेश आया है, जिससे 700 टन से ज्यादा सोना इनके पास जुड़ गया है। अगर मई 2024 से देखें, तो गोल्ड ETF की होल्डिंग 850 टन बढ़ी है। यह बढ़त पिछले गोल्ड बुल रन यानी तेजी के दौर से कम है, इसका मतलब है कि अभी भी आगे और बढ़ने की काफी गुंजाइश है।
सारांश:
ब्रोकरेज फर्म ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि गहनों के रूप में सोना खरीदना हमेशा लाभदायक नहीं होता। मार्केट की कीमतों, ज्वेलरी पर चार्ज और रिसाइक्लिंग की लागत के कारण निवेशकों को नुकसान भी हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गोल्ड इन्वेस्टमेंट के लिए सही माध्यम और समय का चुनाव जरूरी है।
