08 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सीमा पर होने वाला झगड़ा कोई नया नहीं है. ये विवाद लगभग 118 साल से यूं ही चल रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों देश जिस मंदिर को लेकर भिड़े हुए हैं, वो एक हिंदू राजा ने बनवाया था. ये मंदिर भी किसी और का नहीं बल्कि आदिदेव शंकर का है. आखिर थाईलैंड-कंबोडिया इस पर क्यों भिड़े हैं, ये जानने के लिए थोड़ा इतिहास में झांकना होगा. इसी मंदिर के चलते थाईलैंड-कंबोडिया की 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर तनाव बना हुआ है.

जुलाई में इस सीमा पर करीब 5 दिन तक युद्ध जैसे हालात बने हुए थे. एक बार फिर यहां हिंसा भड़क उठी है और अक्टूबर में हुआ सीजफायर फेल होता नजर आ रहा है. इस विवाद की वजह से सीमाई लोगों को विस्थापित होना पड़ता है. दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगते हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा है और विवाद के क्षेत्रों में 11वीं सदी का प्रीह विहेअर मंदिर भी शामिल है. वही मंदिर जिसमें हिंदुओं के पूज्य देवता भगवान शंकर मौजूद हैं.

क्यों शिव मंदिर पर भिड़े हैं थाईलैंड-कंबोडिया?

प्रीह विहियर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर डांगरेक पर्वत श्रृंखला की चोटी पर स्थित है. यह मंदिर कंबोडिया के प्रीह विहियर प्रांत और थाईलैंड के सिसाकेट प्रांत के बीच एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, जिस पर दोनों देश अपना दावा करते रहे हं. आधिकारिक तौर पर ये मामला सामने तब आया, जब 1907 में कंबोडिया पर फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाया गया नक्शा सामने आया. कंबोडिया इस नक्शे का इस्तेमाल मंदिर और उसके आसपास के इलाकों पर अपना दावा जताने के लिए करता है, पर थाईलैंड का कहना है कि यह नक्शा अस्पष्ट है और इसे कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा चुका है विवाद

साल 1962 में कंबोडिया ने यह मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उठाया, जिसने उसके पक्ष में फैसला सुनाया. न्यायालय ने घोषित किया कि मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में स्थित है, पर थाईलैंड का तर्त है कि मंदिर के आसपास का लगभग 4.6 वर्ग किलोमीटर का इलाका अनिर्धारित है. साल 2008 में, कंबोडिया ने प्रीह विहियर मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल करा लिया. इस कदम से थाईलैंड की नाराजगी बढ़ी. यही तनाव साल 2011 की झड़पों में बदला, जिनमें कम से कम 15 लोग मारे गए. साल 2013 में आईसीजे की ओर से मंदिर और आसपास की जमीन पर कंबोडिया की संप्रभुता की पुष्टि की. थाईलैंड ने न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार कर दिया और मुद्दा विवादित ही रहा.

किसने बनवाया था प्रीह विहियर मंदिर?

प्रीह विहियर मंदिर की ठीक उसी समय बना था, जब चार धामों में शामिल केदारनाथ मंदिर की स्थापना हुई थी. 9वीं शताब्दी ईस्वी में इसकी उत्पत्ति हुई, लेकिन आज दिखाई देने वाली संरचना 11वीं शताब्दी में खमेर साम्राज्य के राजा सूर्यवर्मन प्रथम ने कराई. हिस्ट्री साइट के मुताबिक सूर्यवर्मन प्रथम (1002-1050) के शासनकाल में ये बना था और बाद में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय (1113-1150) ने इसका विस्तार कराया. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर शास्त्रीय खमेर वास्तुकला का खूबसूरत उदाहरण है. इसमें शिवलिंग के साथ-साथ मुख्य मंदिर और पुस्तकालय भी हैं. मंदिर के बड़े परिसर में यात्रियों को शरण देने के लिए बनाया गया एक महायान बौद्ध स्थल है और स्थानीय समुदाय की सेवा करने वाला एक अस्पताल भी है. प्रीह विहिर मंदिर कंबोडिया और थाईलैंड दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कंबोडिया के लिए यह उसके समृद्ध इतिहास और खमेर संस्कृति का प्रतीक है और थाईलैंड के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न. साल 2018 में भारत ने कंबोडिया के साथ एक प्राचीन भगवान शिव मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण में सहायता के लिए एक एमओयू साइन किया था.

सारांश:
केदारनाथ मंदिर के पास प्राचीन एक देवालय की नींव मिली थी। भारत से करीब 4700 किलोमीटर दूर, थाईलैंड और कंबोडिया इस देवालय को लेकर विवाद में हैं, जिसका कारण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बताया जा रहा है।

Bharat Baani Bureau

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