09 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : म्युचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2035 तक 300 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है, जबकि डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स भी इसी अवधि में 250 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती हैं। यह अनुमान कंसल्टेंसी कंपनी बैन एंड कंपनी (Bain & Company) और निवेश प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) की संयुक्त रिपोर्ट में जताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह बढ़ोतरी रिटेल भागीदारी में तेजी और डिजिटल अपनाने के चलते हो रही है।

‘हाउ इंडिया इन्वेस्ट्स’ रिपोर्ट कहती है कि भारत में म्युचुअल फंड की पहुंच अगले दशक में 10 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी तक हो सकती है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के अगले फेज के ग्रोथ को हाउसहोल्ड में बढ़ती पहुंच, मजबूत डिजिटल इकोसिस्टम, आसान रेगुलेशन और निवेशकों के बढ़ते भरोसे से बूस्ट मिलेगा।

दूसरी ओर, इक्विटी में भागीदारी बढ़ने की बड़ी वजह अटकलों वाली ट्रेडिंग से लॉन्ग टर्म निवेश की ओर बदलाव, डिजिटाइजेशन में तेजी और मजबूत मार्केट परफॉर्मेंस हो सकती है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डेरिवेटिव बाजार में अत्यधिक अटकलों को नियंत्रित करने और रिस्क मैनेजमेंट के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। इन नियमों से रिटेल निवेशकों के लिए फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग कम सुलभ और महंगी हो गई है, जिससे निवेशकों का रुझान स्थिर और वेल्थ बनाने वाले साधनों की ओर बढ़ रहा है। सेबी के एक हालिया अध्ययन में खुलासा हुआ कि FY22 और FY24 के बीच 93 फीसदी इंडिविजुअल ट्रेडर्स ने इक्विटी F&O में नुकसान उठाया।

जेन-जी और मिलेनियल्स का रहेगा दबदबा!

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 9 करोड़ नए खुदरा निवेशक जेन-जी और मिलेनियल्स से आएंगे, जिनकी डिजिटल अपनाने की दर तेज और वित्तीय साक्षरता अधिक है।

बैन इंडिया के वित्तीय सेवाओं के प्रमुख और पार्टनर सौरभ त्रेहन ने कहा, “भारतीय परिवार धीरे-धीरे पारंपरिक बचत मानसिकता से अधिक निवेश-ओरिएंटे दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें म्युचुअल फंड और डायरेक्ट इक्विटी हाल के वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली एसेट कैटेगरी बन गई हैं।”

उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे अधिक परिवार खासकर युवा, नए निवेशक और टॉप 30 शहरों से बाहर के लोग मार्केट-लिंक्ड उत्पादों और लॉन्ग टर्म निवेश को अपनाते हैं, एक अधिक गहरा और मजबूत घरेलू निवेशक बेस देखने को मिलेगा।

रिपोर्ट ने बताया कि लॉन्ग टर्म निवेश का नजरिया मजबूत हो रहा है। पांच वर्ष से अधिक अवधि वाले म्युचुअल फंड होल्डिंग 7% से बढ़कर 16% हो गई। वहीं, पांच वर्ष से अधिक अवधि वाले SIP होल्डिंग 12% से बढ़कर 21% हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, युवा निवेशक, महिलाएं और छोटे शहरों के परिवार देश के निवेशक आधार के विस्तार को गति दे रहे हैं।

म्युचुअल फंड फोलियो पिछले पांच वर्षों में 2.5 गुना बढ़े हैं, हालांकि इंडिविजुअल ग्रॉस फ्लो सिर्फ 7 फीसदी बढ़े, जो दिखाता है कि नए निवेशक छोटे निवेश के साथ बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। पिछले एक दशक में SIP इनफ्लो 25 फीसदी CAGR की दर से बढ़े हैं। 30 वर्ष से कम उम्र के निवेशक अब NSE-रजिस्टर्ड प्रतिभागियों का 40 फीसदी हैं, जबकि FY19 में यह 23 फीसदी था।

टॉप 110 शहरों से नीचे के नगरों ने FY25 में म्युचुअल फंड AUM में 19 फीसदी का योगदान दिया, जबकि FY19 में यह 10 फीसदी था। नए SIP रजिस्ट्रेशन का 55–60 फीसदी B30 शहरों से आ रहा है। अब महिलाएं इन्वेस्टर बेस का 25 फीसदी हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से रिटेल निवेश को बूस्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल प्लेटफॉर्म लगातार खुदरा निवेश व्यवहार को बदल रहे हैं। लगभग 80 फीसदी इक्विटी निवेशक और 35 फीसदी म्युचुअल फंड निवेशक डिजिटल रूप से ऑनबोर्ड हुए हैं, और टियर-2+ शहर डिजिटल निवेश ए​​​क्टिविटी का करीब आधा योगदान दे रहे हैं।

ग्रो के सह-संस्थापक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा, “हम भारतीयों में सेविंग्स फर्स्ट इन्वेस्ट फर्स्ट मानसिकता की ओर एक ठोस संरचनात्मक बदलाव देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और नियामकीय सुधार ने पहुंच को लोकतांत्रिक बनाया है और निवेश इकोसिस्टम में गहरा भरोसा पैदा किया है, जिसमें टियर-2+ शहरों और युवा आबादी से डायवर्सिफाइड और फ्लै​क्सिबल इन्वेस्टर बेस उभर रहा है।

रिपोर्ट ने रिटेल निवेश को भारत की 10 लाख करोड़ डॉलर अर्थव्यवस्था की यात्रा का प्रमुख कारक बताया और कहा कि इससे फाइनैंशल इकोसिस्टम और कैपिटल तक पहुंच प्राप्त करने वाले व्यावसायिक क्षेत्रों में 7 लाख से अधिक नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं। एसएमई से IPO के जरिए जुटाई गई राशि FY19 के लगभग 1,800 करोड़ रुपये से बढ़कर FY24 में लगभग 6,000 करोड़ रुपये हो गई है, जो बढ़ती लि​क्विडिटी और निवेशकों के रुझान को दर्शाती है।

रिटेल इन्वेस्टमेंट, जो प्रति व्यक्ति GDP के साथ-साथ चलता है जैसा कि US, UK और ब्राजीज जैसी विकसित और विकासशील इकॉनमी में देखा गया है, भारत के आ​र्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा।

विकसित भारत मिशन को पूरा करने के लिए भारत को 2047 तक अपनी प्रति व्यक्ति GDP को छह गुना बढ़ाना है। रिटेल इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी में बढ़ोतरी से कैपिटल मार्केट में ग्रोथ, इस लक्ष्य को पाने के लिए बहुत जरूरी होगी। GDP के हिस्से के तौर पर रिटेल म्युचुअल फंड AUM के भी अगले दो दशकों में छह गुना बढ़ने की उम्मीद है, जो 2047 तक 80% से ज्यादा हो जाएगा।

सारांश

Mutual Funds में रिटेल निवेशक तेजी से शामिल हो रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि FY35 तक कुल AUM (Assets Under Management) ₹300 लाख करोड़ को पार कर सकता है। यह रिटेल भागीदारी वित्तीय बाजारों में निवेश और बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगी।

Bharat Baani Bureau

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