09 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया है, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है.

दरअसल आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिक बनने से करीब तीन साल पहले ही कथित रूप से वोटर लिस्ट में दर्ज कर लिया गया था. अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों से जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तय की है.

यह मामला विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने की अदालत में सुना गया, जहां याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नरंग ने शुरुआती दलीलें पेश कीं. अदालत ने इन दलीलों को सुनने के बाद सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस से इस पूरे मामले पर उनका पक्ष जानना जरूरी समझा और नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी का दावा है कि सोनिया गांधी का नाम वर्ष 1980 की नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज था, जबकि उन्होंने भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को हासिल की थी. याचिका में कहा गया है कि किसी ऐसे व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज होना, जो उस समय भारतीय नागरिक ही नहीं था, कानून के गंभीर उल्लंघन की श्रेणी में आता है.

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि सोनिया गांधी का नाम वर्ष 1982 में मतदाता सूची से हटा दिया गया था, लेकिन फिर 1983 में दोबारा सूची में शामिल कर लिया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह जानना जरूरी है कि 1980 में उनका नाम किस आधार पर जोड़ा गया और इसके लिए कौन से दस्तावेज जमा किए गए थे. याचिका में इस बात की भी आशंका जताई गई है कि इसके लिए जाली या गलत दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है.

मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने क्यों खारिज की थी याचिका?

इससे पहले 11 सितंबर को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACMM) वैभव चौरसिया ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अदालत इस तरह की जांच शुरू नहीं कर सकती, जैसा कि याचिकाकर्ता मांग कर रहा है.

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि किसी व्यक्ति की नागरिकता से जुड़े मामलों पर फैसला करने का अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के पास है. वहीं, किसी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में शामिल या हटाने का अधिकार चुनाव आयोग (ECI) के क्षेत्राधिकार में आता है. ऐसे में कोर्ट का इस मामले में जांच शुरू करना संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र में दखल होगा, जो संविधान के अनुच्छेद 329 का उल्लंघन माना जाएगा.

याचिकाकर्ता ने क्या दी दलील?

इसी आदेश को चुनौती देते हुए विकास त्रिपाठी ने अब सत्र न्यायालय में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दाखिल की है. मंगलवार की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नरंग ने अदालत में कहा कि अगर सोनिया गांधी का नाम 1980 में वोटर लिस्ट में दर्ज था, तो इसके लिए कुछ न कुछ दस्तावेज जरूर लगाए गए होंगे, और इस बात की भी पूरी संभावना है कि ये दस्तावेज जाली, फर्जी या गलत तरीके से तैयार किए गए हों.

उन्होंने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता इस पूरे मामले की जांच के लिए पहले ही पुलिस के पास गया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका मकसद तुरंत चार्जशीट दाखिल कराना नहीं है, बल्कि कम से कम इस मामले की जांच तो होनी ही चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके.

अब क्या होगा आगे?

सत्र न्यायालय ने इस पूरे मामले में सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस दोनों से जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि क्या मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले में कोई कानूनी खामी थी और क्या इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जा सकते हैं या नहीं.

फिलहाल सोनिया गांधी की ओर से इस नोटिस को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. वहीं, दिल्ली पुलिस भी कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है.

सारांश

एक याचिका में दावा किया गया है कि सोनिया गांधी भारतीय नागरिक बनने से पहले ही वोटर लिस्ट में शामिल थीं। इस मामले पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है और दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है। कोर्ट ने संबंधित रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि नाम कब और कैसे जोड़ा गया था।

Bharat Baani Bureau

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