16 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारतीय रुपया पिछले एक महीने से करीब 2.5 फीसदी की गिरावट के साथ लगातार नीचे की ओर सरक रहा है। चाहे एशियाई बाजारों में हलचल कैसी भी हो, रुपया बार-बार नए रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंचता रहा। इस वजह से बैंकिंग सर्किल में अब केंद्रीय बैंक, RBI से अधिक कड़ा एक्शन उठाने की उम्मीद बढ़ गई है। रुपए की यह कमजोरी डॉलर के फ्लो में असंतुलन, अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील न होने और निवेशकों की सतर्कता से बढ़ी है। इंपोर्ट करने वाले लोग पहले से ही हेजिंग कर रहे हैं और विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में सतर्क बने हुए हैं, जिससे मुद्रा पर निरंतर दबाव है।

रुपया अब एशियाई करेंसी के रोज़ाना उतार-चढ़ाव से भी कम प्रभावित हो रहा है। फ्लोज का प्रभुत्व इतना बढ़ गया है कि गिरावट की गति बढ़ती जा रही है। इसके चलते आगे और मूल्यह्रास (Depreciation) की संभावना और सट्टेबाजी भी बढ़ रही है। मंगलवार को रुपया पहली बार 91 के पार गिर गया, जो दिन भर में 0.3 फीसदी की गिरावट के साथ दर्ज किया गया। इस दौरान थाई बात पिछले एक महीने में 3 फीसदी से अधिक मजबूत हुई, जबकि चीनी युआन, मलेशियन रिंगिट और सिंगापुर डॉलर कम से कम 1 फीसदी बढ़े। इससे रुपया अपने एशियाई साथियों की तुलना में कमजोर नजर आया।

RBI पहले भी कर चुकी है कोशिश! 

इस साल रुपए की ऐसी ही कमजोरी के दौर में, जब मुद्रा एशियाई संकेतों से अलग कमजोर हुई और सट्टेबाजों की पोजीशन बनने लगी, RBI ने हस्तक्षेप किया था। उदाहरण के तौर पर, पिछले महीने दो बार स्पॉट और नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड मार्केट में RBI ने जोरदार तरीके से दखल दिया, ताकि गिरावट पर ब्रेक लगाया जा सके। अक्टूबर और फरवरी के शुरुआती दौर में भी ऐसा ही हुआ था।

एक बैंक अधिकारी ने कहा, “ये सामान्य इंटरवेंशन नहीं थे। RBI ने बड़े पैमाने पर आकर गिरावट को तोड़ा और बाजार में दो-तरफा ट्रेडिंग वापस लाया।”

अब फिर वैसी ही स्थिति बन रही है। रुपया लगातार नीचे जा रहा है, इसलिए बैंकिंग सर्किल के लोग मान रहे हैं कि RBI इसी तरह फिर से कदम उठा सकता है। एक सरकारी बैंक के ट्रेडर ने भी कहा कि बाजार में आगे गिरावट की उम्मीद बन रही है, इसलिए RBI के भारी हस्तक्षेप की संभावना बढ़ गई है।

सारांश:
बैंकर्स का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरती कीमत पर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बड़ा कदम उठा सकता है। रुपये में कमजोरी को रोकने और विदेशी निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए RBI विभिन्न मौद्रिक और नीतिगत उपायों पर विचार कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम आर्थिक स्थिरता और मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण के लिए अहम हो सकता है।

Bharat Baani Bureau

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