17 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर जिस हिसाब से बढ़ रहा है। हर मोर्चे पर अलर्ट रहने की जरूरत है। प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को खराब नहीं कर रहा बल्कि पूरे सेहत पर असर डाल रहा है। बच्चों पर प्रदूषण का असर घातक हो सकता है। सिर्फ बच्चे ही नहीं गर्भ में पल रहे शिशु पर भी प्रदूषण का असर हो सकता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां जिस तरह के वातावरण में रहती है, गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर उसका सीधा असर पड़ता है
गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी सकता है प्रदूषण का असर
आशा आयुर्वेदा की डाइरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर चंचल शर्मा ने बताया गर्भवती महिला जिस तरह के वातावरण में रहती है, जहां वह सांस लेती है, वहां की हवा अगर प्रदूषित है तो उसमें मौजूद हानिकारक कण और विषैले तत्व गर्भवती महिला के फेफड़े द्वारा उसके रक्त में घुल जाते हैं। यही ब्लड प्लेसेंटा द्वारा गर्भ में पल रहे शिशु तक पहुंचता है और वह उसके मानसिक और शारीरिक विकास पर असर डालता है।
गर्भावस्था में वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
प्रदूषित वायु में रहने से गर्भ में पल रहे शिशु के ऑवरऑल विकास पर प्रभाव पड़ता है। इससे समय से पहले डिलीवरी हो सकती है। बच्चे का वजन कम हो सकता है और गर्भपात है जोखिम भी बढ़ जाता है। कुछ शोधो में यह भी सामने आया है कि इस प्रदूषित हवा से बच्चे का फेफड़ा और मस्तिष्क का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता और कमजोर हो सकते हैं। जन्म के बाद ऐसे बच्चों में अस्थमा, एलर्जी जैसे रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
जल और ध्वनि प्रदूषण का असर
वायु प्रदूषण के बारे में तो लोग जानते हैं लेकिन क्या आपको प्रदूषित पानी और ध्वनि प्रदूषण से भी शिशु के विकास पर असर पड़ता है। प्रदूषित पानी के कई तरह के नुकसानदायक बैक्टीरिया और कीटनाशक पाए जाते हैं जो गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था के दौरान तेज आवाज के संपर्क में आने से महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और वह स्ट्रेस महसूस कर सकती है, जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इसलिए ध्वनि प्रदूषण को भी इग्नोर न करें।
गर्भावस्था में प्रदूषण से बचाव के उपाय
- गर्भावस्था के दौरान जितना हो सके घर में ही रहें। बाहर निकलने से बचें। घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- बाहर निकलने पर N95 मास्क का उपयोग जरूर करें और घर के अंदर हवा को स्वच्छ बनाने के लिए पौधे लगाएं।
- साफ और हल्के गुनगुने पानी का सेवन करें।
- आपने खाने में पौष्टिक चीजें और विटामिन सी से भरपूर भोजन को शामिल करें।
आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्था में आपका मन शांत और वातावरण स्वच्छ होना चाहिए, इससे शिशु का विकास अच्छे से होता है और तनाव भी कम होता है।
सारांश:
हां, प्रदूषण का असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5), धुआं और जहरीली गैसें गर्भवती महिला के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकती हैं, जिससे समय से पहले प्रसव, कम वजन, सांस से जुड़ी समस्याएं और विकास पर असर का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान मां को प्रदूषित इलाकों में जाने से बचना चाहिए, घर के अंदर साफ हवा बनाए रखनी चाहिए, मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। साथ ही नियमित जांच, पर्याप्त पानी पीना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना बेहद जरूरी है।
