17 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अगले वित्त वर्ष में डेट-टू-GDP रेश्यो को कम करना सरकार का मुख्य फोकस रहेगा। टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में सीतारमण ने कहा कि डेट-टू-GDP रेश्यो को नीचे लाना बेहद जरूरी है, जो कोविड काल के दौरान 60 फीसदी से ऊपर चला गया था। उन्होंने कहा, “यह पहले ही नीचे आ रहा है, लेकिन हमें इसे और कम करने की जरूरत है और अगले वित्त वर्ष में यह हमारा मुख्य फोकस होगा।”
वित्त मंत्री ने राज्यों से भी अपने डेट-टू-GDP रेश्यो को कम करने पर ध्यान देने का आग्रह किया। आंकड़ों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में कर्ज का स्तर चिंता का विषय है, हालांकि उन्होंने किसी राज्य का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा,“जब तक ऊंची ब्याज दरों पर जमा हो रहे कर्ज के भंडार को स्वीकार्य स्तर तक नहीं लाया जाता, तब तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा।”
बॉन्ड मार्केट को बेहतर करने पर भी काम
सीतारमण ने कहा कि सरकार बॉन्ड मार्केट को बेहतर और मजबूत करने पर भी काम कर रही है, ताकि ज्यादा फंड अर्थव्यवस्था में आ सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्थिर नीतियों के जरिए केंद्र सरकार ने जो अनुशासन दिखाया है, उससे यह संभव हुआ है। उन्होंने कहा, “एक स्थिर सरकार ने हाई लेवल मीटिंग करने का भरोसा दिया है।” वित्त मंत्री ने जोर दिया कि राजकोषीय प्रबंधन सरकार की प्राथमिकता बना हुआ है और इसे हर साल लगातार बनाए रखना जरूरी है।
टैरिफ को बनाया जा रहा हथियार
भारत के वैश्विक व्यापार में योगदान का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश करीब 25 प्रतिशत वैश्विक व्यापार में हिस्सा देता है और मौजूदा जियोपॉलिटिकल में सावधानी से बातचीत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “व्यापार न तो निष्पक्ष है और न ही पूरी तरह फ्री। लोग कहते हैं कि आप टैरिफ किंग हैं, लेकिन आज टैरिफ को हथियार बनाया जा रहा है। भारत का इरादा कभी टैरिफ को हथियार बनाने का नहीं था।”
उन्होंने आगे कहा,“हमें अपनी अर्थव्यवस्था को प्रोटेक्ट करना है और अपने उद्योगों को सुरक्षित रखना है, लेकिन आज बिना किसी आलोचना के टैरिफ का इस्तेमाल हथियार के तौर पर हो रहा है। नए खिलाड़ी टैरिफ बाधाएं खड़ी कर रहे हैं और कोई सवाल नहीं उठा रहा। यह नया सामान्य बनता जा रहा है। भारत को इस स्थिति में बहुत सोच-समझकर आगे बढ़ना होगा।”
सेवा क्षेत्र की भूमिका की सराहना
वित्त मंत्री ने सेवा क्षेत्र की सराहना करते हुए कहा कि यह GDP वृद्धि में करीब 60 प्रतिशत का योगदान देता है। हालांकि उन्होंने कहा कि सेवाएं केवल सूचना प्रौद्योगिकी (IT) तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पर्यटन और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों को भी योगदान देना होगा।
उन्होंने कहा, “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि हर क्षेत्र को अपनी गति से बढ़ने और वैश्विक स्तर तक पहुंचने के लिए जरूरी सुविधाएं मिलें।” उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र में आ रही तेजी पर भी ध्यान देने की जरूरत बताई।
निजी क्षेत्र को बढ़ावा जरूरी
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने पर बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि निजी उद्यमों को बढ़ने में मदद करना जरूरी है, ताकि वे अधिक रोजगार पैदा कर सकें और GDP में योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती एक अहम और जरूरी कदम था। उन्होंने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) और डेटा सेंटर्स की बढ़ती संख्या का स्वागत किया और कहा कि इसके लिए ऊर्जा सुरक्षा बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा, “सरकार परमाणु ऊर्जा पर काम कर रही है और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर बना रही है। इसे बड़े स्तर पर समर्थन दिया जाएगा, ताकि भारत स्वच्छ ऊर्जा के रूप में इस पर निर्भर रह सके, अन्य नवीकरणीय स्रोतों के साथ।”
आंत्रप्रेन्योरशिप को सपोर्ट देने की जरूरत
सीतारमण ने कहा कि जहां भी आंत्रप्रेन्योरशिप की क्षमता है, चाहे वह छोटे शहर हों या गांव, उसे समर्थन मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशभर के छोटे शहरों में उद्यमशीलता तेजी से बढ़ी है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर रही है और वैश्विक मांग को पूरा करने की आकांक्षा रखती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने क्षेत्रीय प्रतिभा को मजबूत करने पर ध्यान दिया है, ताकि निर्यात को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा, “जहां भी उद्यमशील भावना है, हमें उसका साथ देना चाहिए। हम उद्यमियों को आगे बढ़ने के लिए ताकत और सुविधाएं देने पर काम कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में लोगों की क्रेडिट पहुंच बढ़ी है, जिससे ज्यादा लोग सीधे बैंक क्रेडिट तक पहुंच बना पा रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि भारत भू-आर्थिक चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपट रहा है और आलोचकों को इसे स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “कोविड हो या न हो, भारत के लोग मजबूत बने रहे और इस लचीलापन को सराहा जाना चाहिए।”
सारांश:
भारत सरकार का मुख्य फोकस अब देश के डेट-टू-GDP रेश्यो को घटाने पर होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आर्थिक मजबूती और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है। सरकार मुद्रास्फीति नियंत्रण, राजकोषीय अनुशासन और निवेश को बढ़ावा देने के उपायों पर काम कर रही है। इसका मकसद देश की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक रूप से मजबूत बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय विश्वसनीयता बनाए रखना है।
