17 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) देश में राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी के नाम पर इस समय केवल तीन योजनाएं ही चल रही हैं. एक को कई साल पहले बंद किया जा चुका है. इसमें उनके नाम पर सबसे बड़ी योजना मनरेगा ही है. जिसका पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट है. ये योजना उनके निधन के 61 सालों बाद शुरू की गई थी. अब इसे बदलकर वीबी-जी राम जी (Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission) करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने संसद में पेश कर दिया गया है.

इसकी भी एक कहानी है. कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने 2005 में एक कानून पेश किया. इसका नाम था राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानि NREGA. ये पहले वर्ष 2006 में 200 जिलों में लागू हुआ. फिर 2008 में पूरे देश में पूरे देश में लागू कर दी गई. तब भारतीय जनता पार्टी मुख्य विपक्षी दल थी. उसने संसद के भीतर और बाहर इस योजना का विरोध किया.

बीजेपी ने उस समय कहा, यह “रोज़गार नहीं, राहत योजना” है. इससे आलस्य बढ़ेगा. ग्रामीण मज़दूर खेती से हटेंगे. राजकोषीय बोझ बहुत ज़्यादा होगा. राज्यों में भ्रष्टाचार और फर्जी जॉब कार्ड बढ़ेंगे. उस दौर में इसे “खड्डा खोदो–भर दो योजना” कहकर भी इसकी आलोचना की गई.

मनमोहन सरकार ने इसे गांधी का नाम दिया
संसद में इस योजना पर बीजेपी ने कई संशोधन सुझाए. खर्च और जवाबदेही पर सवाल उठाए लेकिन कांग्रेस, वाम दल और कुछ क्षेत्रीय दलों के समर्थन से कानून पारित हो गया. 02 अक्टूबर 2009 में मनमोहन की ही अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने दूसरे टर्म में इसका नाम बदलकर इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून बना दिया. इसे गांधीजी के ग्राम स्वराज से जोड़ा गया.

तब बीजेपी ने भी इस योजना को बढ़ाया

वर्ष 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो ये योजना बंद नहीं की गई बल्कि इसका बजट बढ़ाया गया. 2015 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा, मनरेगा कांग्रेस की नाकामी का स्मारक है लेकिन योजना चलती रही. अब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने इसका नाम बदलकर इसे वीबी-जी राम जी कानून बनाने का प्रस्ताव 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया है. अलबत्ता ये सवाल जरूर उठ रहा है कि सरकार गांधीजी के नाम पर बनाई सबसे बड़ी योजना का नाम क्यों बदलना चाहती है.

तो क्या ये नाम अभी बदला नहीं है

नहीं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) का नाम अभी “जी राम जी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट” नहीं बदला गया है. केंद्र सरकार ने “विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)” या “वीबी-जी राम जी” (Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission)  विधेयक लोकसभा में पेश किया है, जो मनरेगा 2005 की जगह लेगा. यह बिल अभी संसद में विचाराधीन है. इसको 16 दिसंबर 2025 को पेश किए जाने पर हंगामा हुआ.​

बदलाव कब होगा

नाम बदलाव और नई योजना लागू तभी होगी जब बिल संसद से पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त कर ले. तब मनरेगा पूरी तरह खत्म हो जाएगा, जिसमें रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 करने जैसे बदलाव प्रस्तावित हैं. विपक्ष इसे गांधीजी का अपमान बता रहा है.

गांधी के नाम की कौन सी योजना बंद हुई

वैसे आपको बता दें कि महात्मा गांधी के नाम से मनरेगा के साथ कुल कुछ तीन योजनाएं अभी चल रही हैं. महात्मा गांधी शिल्प बाजार योजना, महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना और तीसरी तो फिलहाल मनरेगा है ही. जिस योजना को एनडीए सरकार ने वर्ष 2017 में बंद किया, उसका नाम महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना था, जिसको वर्ष 2012 में शुरू किया गया था.

सारांश:
देश में महात्मा गांधी के नाम पर शुरू की गई योजनाओं की संख्या अब केवल तीन रह गई है। समय के साथ कई योजनाएं बंद कर दी गईं, जबकि कुछ का विलय अन्य कार्यक्रमों में हो गया। इसी बीच मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) का नाम बदले जाने को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक बहस जारी है, क्योंकि मनरेगा को ग्रामीण रोजगार की रीढ़ माना जाता है।

Bharat Baani Bureau

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