19 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : बांग्लादेश में चुनाव का ऐलान हो गया है. लेकिन साथ ही अब यह हिंसा की आग में भी जल रहा है. आम चुनाव से पहले माहौल तेजी से अस्थिर होता दिख रहा है. उस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में बवाल देखने को मिला. लेकिन ताजा रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी ISI इस बार ज्यादा सोची समझी और खतरनाक भूमिका निभा रही है. जुलाई 2024 में दिखे हालात से अलग इस बार पाकिस्तानी की एजेंसी सीधे नेतृत्व में सामने आए बिना हालात को भड़काने की रणनीति पर काम कर रही है. पाकिस्तान की ISI चाहती है कि जमात-ए-इस्लामी मजबूती में आए. लेकिन अभी वह कमजोर हैं और इलेक्शन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं. ऐसे प्रदर्शन या तो इलेक्शन का समय बढ़ा सकते हैं या फिर इनके जरिए वह नए समर्थक बना सकता है.

देश में यह माहौल छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया. हादी पिछले साल हुए आंदोलन के दौरान उभरे एक प्रमुख चेहरा थे, जिसके बाद शेख हसीना सरकार का पतन हुआ था. पिछले शुक्रवार को ढाका में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत के दौरान नकाबपोश हमलावरों ने उनके सिर में गोली मार दी. पहले बांग्लादेश में इलाज हुआ और फिर गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन तक लाइफ सपोर्ट पर रहने के बाद उनकी मौत हो गई.

बांग्लादेश में क्यों हुए प्रदर्शन?

हादी की मौत की खबर आते ही राजधानी ढाका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा गया कि भीड़ ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की. प्रोथोम आलो और डेली स्टार जैसे बड़े अखबारों से जुड़े दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया. पत्रकार भी किसी तरह अपनी जान बचा पाए. प्रदर्शनकारी हादी के नाम के नारे लगाते दिखे. इस दौरान एक हिंदू युवक को ईशनिंदा का आरोप लगाकर मार डाला गया. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक देर रात तक कई इलाकों में तनाव बना रहा, जिसके बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए.

रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि राजशाही में अवामी लीग के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया गया. अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने हादी की मौत को बांग्लादेश के राजनीतिक और लोकतांत्रिक जीवन के लिए बड़ा झटका बताया. उन्होंने पारदर्शी जांच का भरोसा दिलाया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.

बांग्लादेश में ISI क्या कर रही?

इसी अस्थिर माहौल में ISI की भूमिका को लेकर गंभीर दावे सामने आए हैं. कहा जा रहा है कि एजेंसी ने जमात-ए-इस्लामी और उससे जुड़े छात्र व मदरसा संगठनों को सीधे आंदोलन की अगुवाई न करने की हिदायत दी है. रणनीति यह बताई जा रही है कि स्थानीय चेहरों को आगे रखा जाए ताकि आंदोलन स्वाभाविक लगे, जबकि पर्दे के पीछे से इसे हवा दी जाए.

रिपोर्टों के मुताबिक ISI खुलकर हिंसा का निर्देशन नहीं कर रही, बल्कि हालात का फायदा उठा रही है. हिंसा के कुछ अहम मौकों पर इस्लामी नेटवर्क के सक्रिय होने और डिजिटल गतिविधियों के जरिए माहौल भड़काने के संकेत मिले हैं. दावा है कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे हैं और वे भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत को शेख हसीना का समर्थक बताकर पेश किया जा रहा है.

पाकिस्तान को क्या होगा फायदा?

यह तरीका ISI की पुरानी रणनीति से मेल खाता है, जिसमें स्थानीय समूह सामने रहते हैं और बाहरी ताकतें विचारधारा और ऑनलाइन प्रचार के जरिए दिशा तय करती हैं. इससे आंदोलन घरेलू दिखता है लेकिन असर बाहरी एजेंडे का होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में अस्थिरता भारत की पूर्वी सीमा पर दबाव बढ़ाती है, यही वजह है कि यह देश पाकिस्तान की रणनी

Bharat Baani Bureau

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