भारतीय उद्योग जगत के सितारे और टाटा समूह के दिग्गज रतन टाटा को अंतिम विदाई देने के लिए राजनेता, सिने जगत के सितारे, उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियां, पारिवारिक मित्र और कर्मचारी बड़ी संख्या में आज मुंबई में एकत्र हुए। 86 वर्षीय टाटा का बुधवार देर रात मुंबई में निधन हो गया था और आज राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। दिवंगत टाटा के भाई जिम्मी एन टाटा और सौतेले भाई नोएल टाटा भी मौजूद रहे। दुनिया भर से लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
तिरंगे में लिपटे टाटा के पार्थिव शरीर को मुंबई पुलिस द्वारा बैंड के साथ कोलाबा के उनके घर से नरीमन पॉइंट में नैशनल सेंटर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (टाटा द्वारा स्थापित एक सांस्कृतिक केंद्र) ले जाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि टाटा दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु ह्दय और असाधारण इंसान थे। मोदी ने बुधवार देर रात श्रद्धांजलि देते हुए कहा था, ‘उन्होंने भारत के एक सबसे पुराने और प्रतिष्ठित कारोबारी घराने को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्डरूम तक ही सीमति नहीं था। अपनी विनम्रता, दयालुता और समाज को बेहतर बनाने के अटूट संकल्प के कारण वह कई लोगों के बेहद प्रिय थे।’
प्रधानमंत्री के आसियान बैठक में भाग लेने के लिए लाओस दौरे पर होने के कारण उनकी ओर से श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि रतन टाटा के दुखद निधन पर शोक मनाने वाले लाखों भारतीयों में वह भी शामिल हैं।
शाह ने कहा, ‘टाटा ने साफ-सुथरे कारोबार संचालन, नियमों का पालन करते हुए टाटा समूह का नेतृत्व किया और टाटा ट्रस्ट के माध्यम से एक बेहतर समाज के निर्माण के प्रयास किया। रतन टाटा जी की विरासत लंबे समय तक देश के औद्योगिक क्षेत्र का नेतृत्व करने वालों का मार्गदर्शन करती रहेगी।’
रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ घंटों में हजारों लोग पहुंच गए। इससे उनके प्रति लोगों के दिलों में सम्मान का पता चलता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे। इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
महाराष्ट्र सरकार ने टाटा के सम्मान में एक दिन के शोक की घोषणा की और सरकारी दफ्तरों और इमारतों पर राष्ट्र ध्वज को झुका दिया। मुख्यमंत्री शिंदे ने केंद्र सरकार से टाटा को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिए जाने की अपील की।
क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर और फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर भी टाटा को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए कतार में नजर आए। उद्योग जगत की हस्तियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और लार्सन ऐंड टुब्रो के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमण्यन भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
अंबानी ने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर रतन टाटा के जाने से मुझे बुहत दु:ख हुआ है क्योंकि मैंने एक प्रिय मित्र खो दिया है। उनके साथ मेरी हर बातचीत मुझे प्रेरणा और ऊर्जा देती थी और उनके चरित्र की महानता और उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों ने उनके प्रति मेरे सम्मान को और बढ़ाया है।’
टाटा परिवार की ओर से रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ उनके बेटे नेविल और पत्नी अलू ने नम आंखों से टाटा को अंतिम विदाई दी। नोएल टाटा ट्रस्ट के न्यासी भी हैं और उन्हें रतन टाटा के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है।
टाटा के पुराने दोस्तों में टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन और टीपीएस समूह के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन भी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। आम तौर पर चर्चा से दूर रहने वाले रतन टाटा के छोटे भाई और टाटा ट्रस्ट्स के न्यासी जिमी एन टाटा भी वहां मौजूद रहे।
कुमारमंगलम बिड़ला ने कहा, ‘पिछले कई दशक से मेरे परिवार और मेरी कई पीढ़ियों का टाटा के साथ करीबी संबंध रहा है। रतन टाटा ने टाटा समूह के बेहतरीन आदर्शों को मूर्त रूप दिया। उनके निर्णयों ने वित्तीय मापदंडों से कहीं आगे जाकर जीवन और उद्योग को प्रभावित किया है। उनकी विरासत भावी पीढ़ी को ईमानदारी के साथ सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी। भारत और भारतीय उद्योग जगत ने एक सच्चे दूरदर्शी व्यक्तित्व को खो दिया है।’
सितंबर 2022 में टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार भी वर्ली के शवदाह गृह में ही किया गया था। मिस्त्री और टाटा के बीच तीखी कानूनी लड़ाई छिड़ गई थी। मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया और अंत में निर्णय टाटा के पक्ष में आया। एसपी समूह के चेयरमैन शापूरजी मिस्त्री ने कहा कि मिस्त्री परिवार के टाटा समूह और रतन टाटा के साथ पुराने संबंध है। एसपी समूह की टाटा संस में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘टाटा के निधन के साथ एक युग समाप्त हो गया है। वह हमेशा ऐसे शख्स के रूप में याद किए जाएंगे जिनकी टाटा समूह पर गहरी छाप रही है।’
मिस्त्री परिवार के साथ विवाद के अलावा रतन टाटा ने कई और लड़ाइयां भी लड़ीं। जब टाटा ने 1991 में समूह की कमान संभाली थी तब कई लोग उनके खिलाफ हो गए थे। जेआरडी के करीबी रहे टाटा समूह के कई शीर्ष लोग बाहर कर दिए गए और रतन टाटा ने नए लोगों को शामिल किया। रतन टाटा के नेतृत्व में समूह में कार्य शैली भी बदल गई। आर्थिक उदारीकरण के बाद समूह में कामकाज के सरकारी ढर्रे को बदलकर उसकी जगह आधुनिक कार्य पद्धति की शुरुआत हुई।
वर्ष 2012 तक अपने कार्यकाल में रतन टाटा ने टाटा समूह को भारत से बाहर भी पहचान दिलाई और दुनिया के दूसरे देशों में इसकी मौजूदगी बढ़ाई। समूह ने इस्पात निर्माता कंपनी कोरस का 13 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया। फिलहाल टाटा समूह के लगभग 165 अरब डॉलर के सालाना राजस्व में आधा हिस्सा विदेश से आता है। रतन टाटा आखिर तक टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रहे और समूह पर उनका काफी प्रभाव रहा।