महाराष्ट्र चुनाव से पहले एनसीपी नेता अजित पवार ने बड़ा खुलासा किया है. बताया कि जिस वक्त बीजेपी और एकनाथ शिंदे मिलकर सरकार बना रहे थे, उस वक्त हम भी पूरी तरह तैयार थे. हम सरकार बनाने वाले थे. सारे विधायकों के सिग्नेचर कराए लिए गए थे, लेकिन ऐन वक्त पर कुछ ऐसा हुआ कि हम सरकार में शामिल नहीं हो पाए. अजित पवार ने ये भी बताया कि क्यों उन्हें अलग होने की जरूरत पड़ी.
नासिक में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, उस वक्त कुछ राजनीतिक स्थिति बनी थी. तब एकनाथ शिंदे ने एक भूमिका निभाई और फिर सरकार में चले गए. एकनाथराव और देवेन्द्र फडणवीस ने मिलकर सरकार बनाई. उसी समय हमारे सभी एनसीपी विधायकों ने भी निर्णय लिया था. हमने सिग्नेचर भी कर दिए थे. दिलीप बुनकर, नरहरि जिरवाल, माणिकराव कोकाटे, सरोज अहिरे और छगन भुजबल और नितिन पवार समेत सभी विधायकों के सिग्नेचर हमारे पास थे, लेकिन तभी कुछ ऐसी घटनाएं घटीं कि संभव नहीं हो पाया.
तो शरद पवार को पता था?
अजित पवार का यह दावा काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि उनके दावे की मानें तो शरद पवार को इसके बारे में जानकारी थी. क्योंकि इसके काफी दिनों बाद एनसीपी में विभाजन हुआ. और अजित पवार अभी जिन लोगों के नाम ले रहे हैं, वे सारे लोग शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए थे. इससे ये भी साफ है कि एनसीपी में काफी पहले से बीजेपी के साथ जाने को लेकर खिचड़ी पक रही थी. शायद शरद पवार उसे समय से भांप नहीं पाए.
शरद गुट पर सीधा हमला
कुछ दिनों पहले शरद गुट के नेताओं ने आरोप लगाया था कि लड़की बहिन योजना से महाराष्ट्र दीवालिया हो जाएगा. इस पर जवाब देते हुए अजित पवार ने कहा, मैं पैसे का मोल समझता हूं. यह पैसा गरीबों को दिया जा रहा है. उसकी जाति नहीं देखी जाती. सिर्फ गरीब बहनों को इसका लाभ दे रहे हैं. वे इतने वक्त तक सत्ता में रहे, क्या किया. सवा रुपया दक्षिणा तक नहीं देते थे. अब हम सीधे बहनों के खाते में पैसे दे रहे हैं. कोई बिचौलिया नहीं है. टिकटों के बंटवारे पर अजित पवार ने कहा, साढ़े बारह प्रतिशत सीटें पिछड़े वर्ग को दी गईं. 10 फीसदी सीटें मुस्लिम समुदाय को दी गईं. हम सबको साथ लेकर चलते हैं, भेदभाव नहीं करते. साहू फुले अंबेडकर की विचारधारा पर चल रहे हैं. वो लोग इसे समझ नहीं पाएंगे.