वैश्विक मोर्चे से दो-तीन बड़ी खबरें आ रही हैं. रियो डी जेनेरियो से अच्छी खबर है कि दुनिया के सबसे ताकतवर 20 देशों के समूह जी20 के शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा पत्र में भुखमरी से लड़ने के लिए वैश्विक समझौते की बात कही गई है. साथ ही युद्धग्रस्त गाजा को ज्यादा मानवीय मदद और पश्चिम एशिया और यूक्रेन में संघर्ष विराम की अपील की गई है.
यह जानना भी बहुत जरूरी है कि जी20 के संयुक्त घोषणा पत्र पर दस्तखत करने वाले सदस्यों में रूस भी शामिल है और यूक्रेन के साथ उसका युद्ध चल रहा है. युद्ध विराम के संदेश से रूस की सहमति बड़ी खबर है. लगे हाथ बताते चलें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल भी शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए हैं. इस बार भी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने की है. पुतिन पिछले साल भारत में हुए शिखर सम्मेलन में भी नहीं आए थे.
दूसरी बड़ी खबर चिंता पैदा करने वाली है. यूक्रेन ने रूस के साथ युद्ध के 1000 वें दिन उस पर अमेरिका की लंबी दूरी की मिसाइल एटीएसीएमएस से हमला किया है. हम जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी है. तो क्या राष्ट्रपति जो बाइडेन कुर्सी छोड़ने से पहले ही ट्रंप के लिए मुश्किलें खड़ी करना चाहते हैं? अमेरिकी मिसाइल हमले के तुरंत बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को नई परमाणु नीति पर दस्तखत कर दिए.
इसके तहत अगर कोई परमाणु शक्ति संपन्न देश की मदद से रूस या उसके मददगार देश पर हमला करता है, तो इसे रूस पर संयुक्त हमला माना जाएगा. रूस ऐसे देश पर परमाणु हमला कर सकता है. अब यूक्रेन ने रूस पर अमेरिकी मिसाइलों से हमला किया है, तो नई नीति के तहत रूस उस पर और अमेरिका पर परमाणु हमला कर सकता है. यही चिंता की बात है.
लेकिन अच्छी बात यह है कि जिस वक्त पुतिन परमाणु हमले से जुड़ी नई नीति पर दस्तखत कर रहे थे, उसी समय रूस के प्रवक्ता कह रहे थे पुतिन ने रूस-यूक्रेन संकट में भारत की मध्यस्थ भूमिका का स्वागत किया है. प्रवक्ता पेसकोव ने कहा कि हम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को महत्व देते हैं और राष्ट्रपति पुतिन उनके आभारी हैं. पीएम मोदी के पुतिन के साथ बहुत विशेष और व्यावहारिक संबंध हैं और वे यूक्रेन के साथ भी संपर्क में हैं. महत्वपूर्ण खबर यह भी है पुतिन जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं.
अगले साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. वे कह चुके हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति कायम करना उनकी प्राथमिकता रहेगी. ऐसे में अगले दो-तीन महीने दुनिया में शांति या बर्बादी के पहलुओं को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे, ऐसा लग रहा है. ट्रंप और नरेंद्र मोदी की संयुक्त कोशिशें पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन के बीच शांति की स्थापना की दिशा में क्या रंग लाएंगी, यह देखने वाली बात होगी.
बहरहाल, इससे पहले रियो डी जेनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा- सम्मेलन में भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन शुरू करने के लिए ब्राजील ने सराहनीय पहल की है. यह सहयोगात्मक पहल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुनिया भर में कमज़ोर समुदायों के उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. भारत इस प्रयास को पूरा समर्थन देने का भरोसा देता है.
नरेंद्र मोदी ने कहा- नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में लिए गए जन-केंद्रित निर्णयों को ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान आगे बढ़ाया गया है. यह बहुत संतोष की बात है कि हमने एसडीजी लक्ष्यों को प्राथमिकता दी. यह स्पष्ट है कि एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य, इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले साल था. पिछले साल जी20 की अध्यक्षता भारत ने की थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाइजीरिया और ब्राजील के दौरे के बाद करीब तीन दिन गुयाना में बिताएंगे. किसी भारतीय पीएम का 56 साल में गुयाना का यह पहला दौरा है. मोदी गुयाना ऐसे वक्त पहुंच रहे हैं, जब भारत से खरीदे गए दो विमान वहां की सेना में सोमवार को ही शामिल किए गए हैं. गुयाना के प्रधानमंत्री मार्क फिलिप्स ने कमीशनिंग समारोह की अध्यक्षता की. इस दौरान भारतीय दूत अमित तेलंग भी मौजूद रहे. गुयाना ने इस साल की शुरुआत में भारत से दो डोर्नियर एचएएल-228 विमान खरीदे थे.
रक्षा क्षेत्र में भारतीय उत्पादों का निर्यात दुनिया भर में लगातार बढ़ रहा है. भारत और गुयाना के बीच कुल कारोबार की बात करें, तो साल 2023-24 में कुल 1060 लाख डॉलर का कारोबार हुआ. भारत से गुयाना को दवाएं, मशीनरी और दूरे मैकेनिकल उपकरण समेत वाहनों के पुर्जे भी भेजता है. दूसरी तरफ गुयाना से बाक्साइट और लकड़ी के सामान के साथ ही कच्चा तेल भी भारत भेजता है. भारत गुयाना को ऐसे मित्र देश के तौर पर देखता है, जो भारतीय रक्षा साज-ओ-सामान पर भरोसा करते हैं. पिछले साल भारत ने गुयाना को 100 मिलियन की क्रेडिट लाइन देने का फैसला किया था.
दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना की 40 फीसदी आबादी भारतीय मूल के लोगों की है. गुयाना की कुल आठ लाख की जनसंख्या में भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं. करीब 30 फीसदी आबादी वहां अफ्रीकियों की है. जानकारी के मुताबिक 186 साल पहले बंधुआ मजदूरों के तौर पर भारतीयों को गुयाना ले जाया गया था. पांच मई, 1838 को भारतीयों की पहली खेप ने गुयाना की धरती पर कदम रखे थे. उस पल को यादगार बनाए रखने के इरादे से हर साल पांच मई को वहां भारतीय आगमन दिवस मनाया जाता है.
भारत और गुयाना के कूटनैतिक संबंधों की नींव वहां 1965 में वहां भारतीय उच्चायोग की स्थापना के साथ पड़ी थी. तीन साल बाद 1968 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुयाना का दौरा किया था. गुयाना में भारत की संस्कृति के अनेक चिन्ह साफ नजर आते हैं. होली, दीपावली समेत सारे भारतीय त्योहार वहां धूमधाम से मनाए जाते हैं. गुयाना में युवाओं की जानकारी बढ़ाने के लिए भारत को जानो कार्यक्रम भी चलाया जाता है. भारत की ओर से गुयाना में छात्र-छात्राओँ को कई तरह की वजीफा योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा एक तरह से गुयाना में बसे मिनी इंडिया में नया जोश भरने वाला साबित होगा. मोदी के गुयाना दौरे से साफ है कि उन की सरकार न सिर्फ वैश्विक महाशक्तियों से संबंध मजबूत करने में जुटी है, बल्कि छोटे देशों को भी तवज्जो दे रही है. खास कर उन देशों को, जहां भारत और भारतीयता की जड़ें जमीन में मजबूती से जमी हुई हैं.