सदियों से लोग गाय, भैंस, बकरी और ऊंट का दूध पीते आए हैं, लेकिन जब से वेगन डाइट का चलन बढ़ा है, लोग प्लांट-बेस्ड दूध की ओर रुख कर रहे हैं। बॉलीवुड सितारे जैसे सैफ अली खान और कियारा आडवाणी ने भी लैक्टोज इंटॉलरेंस का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें दूध पचता नहीं। 26 नवंबर को राष्ट्रीय दूध दिवस (National Milk Day) मनाया जाता है, और इस दिन हम जानेंगे कि इंसानों ने जानवरों का दूध पीना क्यों शुरू किया और क्या यह सच में हमारे शरीर के लिए जरूरी है।
11,000 साल पहले शुरू हुआ दूध पीने का सिलसिला
जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो डॉक्टर मां से उसे अपना दूध पिलाने की सलाह देते हैं, क्योंकि मां के दूध से बच्चे का शारीरिक विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लेकिन कुछ समय बाद, मां का दूध बंद हो जाता है और बच्चे को जानवरों का दूध पिलाया जाने लगता है। इंसानों ने लगभग 11,000 साल पहले जानवरों का दूध पीना शुरू किया, और यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब लोग पशुपालन करने लगे। गाय, भैंस, ऊंट और बकरियां पालने लगे, और उनका दूध पीने लगे। हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन की एक स्टडी के अनुसार, जानवरों का दूध इंसानों के लिए जरूरी नहीं है और इसे अन्य खाद्य पदार्थों से भी प्राप्त किया जा सकता है।
दूध के प्रकार
दूध को विभिन्न प्रकारों में बांटा जा सकता है। सबसे आम दूध जानवरों से प्राप्त होता है जैसे गाय, भैंस, बकरी, ऊंट और गधी का दूध, जो विभिन्न तापमान और स्थानों के आधार पर उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, नट मिल्क (बादाम, काजू, हेजलनट, अखरोट, मूंगफली से), और प्लांट-बेस्ड मिल्क (नारियल, ओट्स, भांग, तिल, केले, अलसी, सोया) भी प्रचलित हैं। राइस मिल्क, पी मिल्क और किनोवा मिल्क भी लोकप्रिय विकल्प हैं।
लैक्टोज इंटॉलरेंस
कुछ लोगों को दूध पीने के बाद पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी, ब्लोटिंग जैसी समस्याएं होती हैं, जो लैक्टोज इंटॉलरेंस का संकेत हो सकती हैं। लैक्टोज, दूध में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक शर्करा है, जिसे पचाने के लिए शरीर में लैक्टेज नामक एंजाइम की आवश्यकता होती है। यदि यह एंजाइम शरीर में नहीं बनता, तो व्यक्ति दूध को ठीक से पचा नहीं पाता। लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण, व्यक्ति को डेयरी उत्पादों से परहेज करना पड़ता है और वह प्लांट-बेस्ड मिल्क का सेवन कर सकते हैं।
दूध और त्वचा की समस्याएं
2016 में हेल्थलाइन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, दूध पीने से किशोरों में मुंहासे (एक्ने) की समस्या बढ़ सकती है। दूध इंसुलिन और इंसुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर 1 (IGF-1) जैसे हार्मोन को प्रभावित करता है, जो त्वचा पर मुंहासों को जन्म दे सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि अधिक दूध पीने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
दूध पीने के दौरान कुछ सावधानियां
जो लोग डेयरी उत्पादों को बिना किसी समस्या के लेते हैं, वे जानवरों का दूध पी सकते हैं। हालांकि, दूध पीने का सही समय होता है, और इसे रात में पीना अधिक लाभकारी होता है। दूध को हमेशा गर्म करके पीना चाहिए, क्योंकि ठंडा दूध शरीर को सही तरीके से लाभ नहीं पहुंचाता। दूध को फलों, खासकर खट्टे फलों के साथ मिलाकर नहीं पीना चाहिए, और इसमें चीनी या कोई अन्य स्वाद बढ़ाने वाला पदार्थ नहीं मिलाना चाहिए।
इसलिए, दूध का सेवन करते समय यह जरूरी है कि हम सही तरीके से और सही समय पर दूध का सेवन करें।