Cricket News 17 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) : आपने फिल्म पुष्पा में साउथ के उभरते हुए सुपर-स्टार अल्लू अर्जुन का कभी ना छुकने वाला अंदाज तो देखा ही होगा. टीम इंडिया के एक कप्तान ऐसे भी रहे जो ब्लू जर्सी में कभी नहीं छुकने के अंदाज में ही नजर आए. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद अजहरुद्दीन की. हमने जब भी अजहर को बैटिंग या फील्डिंग करते देखा, तब उनके कॉलर खड़े ही नजर आए. मैदान के बाहर पर्सनल लाइफ में भी अजहर का पुष्पा वाला अंदाज ही दिखा. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान हर प्राइवेट इवेंट भी खड़े कॉलर के साथ ही दिखते हैं. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर अजहरुद्दीन के इस अंदाज के पीछे का सीक्रेट क्या था. चलिए हम आपको इससे जुड़े मजेदार किस्से के बारे में बताते हैं.
मोहम्मद अजहरुद्दीन का खड़े कॉलर वाला स्टाइल फैन्स के बीच काफी पसंद किया गया. उन्हें चाहने वालों की लिस्ट में फीमेल फैन्स की कमी नहीं थी. क्रिकेट डायरीज नामक एक यूट्यूब शो में मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपने कॉलर खड़े रखने की वजह का खुलासा किया. अजहर ने बताया “साल 1993 या 1994 से मैंने कॉलर खड़े करके खेलना शुरू कर दिया था. तब टीम के खिलाड़ी मेरा मजाक उड़ाते थे कि पता नहीं कौन उनकी जिंदगी में आया होगा, जिसकी वजह से मैंने कॉलर खड़े कर लिए हैं. एक्चुअली, मैं हमेशा टीम में सिली प्वाइंट पर फील्डिंग करता था. पीछे से तेज धूप गर्दन में आकर लगती थी. जिसके कारण मुझे अनकंफर्टेबल फील होता था.”
अनइजीनेस से थे परेशान
अजहर ने आगे बताया, “ अनइजीनेस के कारण मैंने कॉलर खड़े करके क्रिकेट खेलना शुरू किया. यह कॉलर अभी तक भी ऐसे ही खड़े रह गए. कल मैं कही से आ रहा था तो किसी ने कहा अजहर भाई आपके कॉलर तक भी उपर खड़े ही हैं. मैंने उन्हें पूछा कि नीचे कर दूं. उन्होंने हंसते हुए कहा- नहीं-नहीं आप इसमें भी अच्छे लगते हैं.“
शुरुआती 3 मैचों में ठोका शतक
मोहम्मद अजहरद्दीन ने अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत साल 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच से की थी. अपने डेब्यू मुकाबले में ही उन्होंने कोलकाता के इंडन गार्ड्न्स में शतक जड़ दिया था. इसके बाद अगले दो टेस्ट में भी उनके बल्ले से सैकड़ा आया. वो दुनिया के उन चुनिन्दा बैटर्स में से एक हैं, जिन्होंने अपने करियर के शुरुआती तीन मैचों में शतक ठोका. अपने करियर के दौरान उन्होंने 99 टेस्ट में 45 की औसत से 6,215 रन बनाए. उन्होंने 334 वनडे मैच खेले. 50 ओवर फॉर्मेट में उनके बैट से करीब 37 की औसत से 9,378 रन आए. उन्होंने टेस्ट में 22 और वनडे में 7 शतक लगाए. साल 1990 में उन्होंने कप्तान के तौर पर नई पारी की शुरुआत की. न्यूजीलैंड दौरे पर उन्होंने कप्तान के तौर पर डेब्यू किया. इसके बाद अगले एक दशक तक वो लीडरशिप की भूमिका में नजर आए.