29 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी राजनीतिक दलों का नजर स्थानीय निकाय चुनाव पर टिकी है. राज्य में मुंबई, ठाणे, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर नगर निगमों सहित जिला परिषदों, नगर पालिकाओं के लिए चुनाव होंगे. ऐसे में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक बार फिर अपने राजनीतिक विरोधी उद्धव ठाकरे को झटका देने की तैयारी में हैं. शिंदे गुट ठाकरे का गढ़ माने जाने वाले मुंबई नगर निगम पर अपना झंडा गाड़ने की तैयारी शुरू कर दी है.
करीब तीन साल पहले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में उद्धव ठाकरे को चुनौती दी और पार्टी को दोफाड़ कर उसपर कब्जा जमा लिया. इस विभाजन के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में शिंदे गुट को थोड़ी चुनौती मिली लेकिन बीते विधानसभा में वह काफी मजबूत होकर उभरी. दूसरी तरह उद्धव की शिवसेना का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा. शिंदे की शिवसेना ने विधानसभा में जोरदार वापसी की. अब एकनाथ शिंदे एक बार फिर उद्धव ठाकरे को गंभीर घाव देने की तैयारी में है.
शिंदे की नजर मुंबई के किले पर
शिवसेना के दोफाड़ होने के बाद एकनाथ शिंदे ने अपने दम पर ठाणे में अपना दबदबा कायम रखा. उन्होंने वहां लगभग पूरी पार्टी को अपनी ओर खींच लिया. अब एकनाथ शिंदे ने अपना रुख उद्धव ठाकरे के गढ़ माने जाने वाले मुंबई की ओर कर लिया है. एकनाथ शिंदे ने चुपचाप मुंबई से भी ठाकरे को बाहर करने के लिए अपनी चालें चलनी शुरू कर दी हैं. शिंदे के साथ-साथ यशवंत जाधव, परमेश्वर कदम, शीतल म्हात्रे, सुवर्णा करंजे, दिलीप लांडे जैसे कद्दावर नेता आ गए. इसके बाद अब फायर ब्रांड कहे जाने वाले पूर्व नगरसेवक राजुल पटेल ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का झंडा थाम लिया है.
मुंबई में ठाकरे गुट में बगावत
मुंबई में ठाकरे गुट में बगावत की स्थिति है. ठाकरे के एक-एक करीबी उनका साथ छोड़ रहे हैं. अब तक करीब 37 नगरसेवक ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में उद्धव सेना के सामने मुंबई का गढ़ बचाने की चुनौती है. राजुल पटेल का दलबदल ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका है. 2017 के मुंबई नगर निगम चुनाव में एकजुट शिवसेना के 84 पार्षद चुने गए थे. उनमें से 47 पार्षद अब ठाकरे के साथ हैं. इसलिए अब मुंबई नगर निगम चुनाव की घोषणा होने तक ठाकरे को और झटका लगने की संभावना है.
ठाकरे के सामने बड़ी चुनौती
एकीकृत शिवसेना के लगभग आधे पार्षद एकनाथ शिंदे के पास चले गए हैं. ठाकरे समूह को पार्टी छोड़ने वाले पार्षदों के स्थान पर उचित उम्मीदवार खोजने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. आगामी नगर निगम चुनावों की पृष्ठभूमि में ठाकरे समूह ने पार्टी निर्माण शुरू कर दिया है. ऐसे समय में महत्वपूर्ण पूर्व नगरसेवक शिंदे के साथ चले गए हैं. ऐसे में ठाकरे गुट के सामने बड़ी चुनौती होगी.
सारांश एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को फिर से अपनी ताकत दिखाई है। इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या शिवसेना यूबीटी अब मातोश्री तक सीमित हो जाएगी।