राजकोट 24 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – : सुनने की शक्ति प्रकृति का अनमोल उपहार है, लेकिन आजकल के युवा तेज आवाज में संगीत सुनना, लंबे समय तक हेडफोन का उपयोग करना, और डीजे जैसे ऊंचे आवाज के संपर्क में रहना जैसी आदतों के कारण अपनी सुनने की शक्ति को खतरे में डाल रहे हैं. गौरतलब है कि कान का आंतरिक भाग सबसे संवेदनशील होता है और तेज आवाज स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है

कान की संरचना समझाते हुए कान विशेषज्ञ डॉ. ठक्कर (Ear specialist Dr. Thakkar) ने कहा कि कान के तीन मुख्य भाग – बाहरी कान, मध्य कान और आंतरिक कान में से आंतरिक कान सबसे अधिक संवेदनशील होता है. तेज आवाज का सीधा असर इस आंतरिक कान पर पड़ता है, जो स्थायी नुकसान की ओर ले जाता है.

63 मिलियन से अधिक लोग सुनने की समस्या से पीड़ित
बता दें कि इस समस्या की गंभीरता को समझने के लिए आंकड़े देखें तो, भारत में 63 मिलियन से अधिक लोग सुनने की समस्या से पीड़ित हैं, जबकि विश्वभर में यह आंकड़ा 1.5 बिलियन तक पहुंच गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार 2050 तक यह संख्या बढ़कर 2.5 बिलियन हो सकती है.

तेज आवाज संगीत से दूर रहें
डॉ. ठक्कर ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि कान की किसी भी समस्या को हल्के में न लें. एक बार सुनने की शक्ति खोने के बाद उसे वापस पाना असंभव है. उन्होंने युवाओं को डीजे, तेज आवाज वाला संगीत और हेडफोन के अत्यधिक उपयोग से दूर रहने की सलाह दी है.

अंत में उन्होंने जोर देकर कहा कि सुनने की शक्ति मानव जीवन का अनमोल हिस्सा है और एक बार इसे खोने के बाद इसे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता. इसलिए युवाओं को अपनी सुनने की शक्ति की देखभाल के लिए सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक है.

सारांश:
अगर आप दिनभर हेडफोन लगाकर तेज आवाज में गाने सुनते हैं, तो यह आपकी सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, लाउड म्यूजिक सुनने की आदत से बहरापन का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में कानों की सुरक्षा के लिए आवाज को नियंत्रित रखना जरूरी है।

Bharat Baani Bureau

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