Waqf Bill

02 अप्रैल 2025 ( (भारत बानी ब्यूरो): 1995 के वक्फ एक्ट में संशोधन और 1923 के मुसलमान वक्फ एक्ट को रद्द करना भाजपा के वैचारिक एजेंडे का हिस्सा है. यह ठीक वैसे ही है, जैसे जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण. वक्फ एक्ट में संशोधन वाला बिल मोदी सरकार 3.0 का अब तक का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है. पिछले साल 9 जून को सत्ता में आते ही सरकार ने वक्फ कानूनों से जुड़े मसलों पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया था.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को फौरन काम पर लगा दिया गया. उनके मंत्रालय ने सऊदी अरब, मिस्र, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की जैसे देशों में वक्फ मैनेजमेंट पर इंटरनेशनल प्रैक्टिसेस यानी अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का विश्लेषण किया. कानून मंत्रालय के साथ मिलकर और दिन-रात काम करके ठीक दो महीने के भीतर 8 अगस्त 2024 को वक्फ अधिनियम में संशोधन और मुस्लिम वक्फ अधिनियम को निरस्त करने के लिए विधेयक संसद में लाए गए.

मोदी सरकार की रणनीति
फिर एक सोची समझी रणनीति के तहत अगले पांच महीनों तक इन बिलों पर जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में चर्चा होती रही. बीजेपी के एक सूत्र ने बताया, ‘बीजेपी चाहती थी कि जेपीसी उसके उन सहयोगियों की चिंताओं को दूर करे जिनके पास मुस्लिम वोट बैंक हैं. जैसे कि JDU, TDP, LJP (रामविलास) और RLD.’ इसी बीच पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र में बड़ी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के इरादे बिल्कुल साफ कर दिए थे. उन्होंने कहा था, ‘वक्फ कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का नतीजा है और संविधान में इसकी कोई जगह नहीं है.’

क्यों अभी पास कराना चाहती है सरकार
वक्फ बोर्ड बिल पर जेपीसी रिपोर्ट इसी जनवरी में पेश की गई थी. बजट से जुड़े कानूनों को पारित किए जाने के बाद संसद के बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में दोनों विधेयकों को पेश किया जाना है. सरकार 4 अप्रैल तक दोनों विधेयकों को पारित कर इसे मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साल की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती है. आज लोकसभा में वक्फ बिल पेश होने जा रहा है.

कानून में क्या है खामी
मुस्लिम वक्फ एक्ट 1923 एक औपनिवेशिक युग का कानून है जो आधुनिक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए पुराना और अपर्याप्त हो गया है. वक्फ अधिनियम 1954 में 1995 में संशोधन किया गया था और इसे मुसलमानों के लिए और भी अधिक अनुकूल बनाया गया था, जो कि वास्तव में कानून को दरकिनार करते हुए बनाया गया था. एक टॉप सूत्र ने दावा किया कि कांग्रेस ने 2013 में 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन किया लेकिन वक्फ की कमियों को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया.

वक्फ बिल होकर रहेगा पास
भाजपा के एक सीनियर नेता ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि संसद में भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत नहीं होने के बावजूद विधेयकों को निश्चित रूप से पारित किया जाएगा. यह इस बात का प्रमाण है कि एनडीए खेमा विपक्षी खेमे की तुलना में कहीं अधिक एकजुट है.

मोदी 2.0 में ही शुरू हो गया था काम
मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में ही वक्फ संशोधन कानून पर काम शुरू कर दिया था. 24 जुलाई 2023 को लखनऊ में और 20 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में इसको लेकर दो बैठकें की गई थीं. लेकिन असली तेजी तो जून में नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के बाद देखने को मिली.

सारांश: वक्फ बिल आज लोकसभा में पेश होगा. मोदी सरकार 3.0 ने वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए दिन-रात काम किया है. यह भाजपा के वैचारिक एजेंडे का हिस्सा है. यह आर्टिकल 370 हटाने जैसा ही कदम है.

Bharat Baani Bureau

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