22 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -: मणिपुर में शिरुई लिली महोत्सव में जा रहे पत्रकारों को रोकने की घटना का पूरे प्रदेश में चौतरफा विरोध हो रहा है। समाजिक संगठन, राजनीतिक पार्टियां और अन्य संगठन इसमें कूद गए हैं और जमकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन रक्षा सूत्रों के मुताबिक जो जानकारी निकल कर सामने आ रही हैं, उसके मुताबिक यह घटना पूरी तरह से संवाद की कमी के चलते उत्पन्न गलतफहमी के कारण हुई। क्योंकि जो बस पत्रकारों को लेकर शिरुई लिली महोत्सव कवर करने जा रही थी, उसकी पूर्व सूचना सुरक्षाबलों के पास नहीं थी। सूत्र बताते हैं कि इस घटना के मदद से एक बार फिर से प्रदेश का माहौल को खराब करने और राज्यपाल शासन को तानाशाह बताने का प्रयास हो रहा है। इस बीच, पत्रकारों की मांग पर इस मामले की जांच के लिए गृह विभाग ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसे 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
सुरक्षाबलों ने केवल आदेश का किया पालन
वरिष्ठ रक्षा सूत्र बताते हैं कि सुरक्षाबलों ने तो केवल आदेश का पालन किया है। हिंसा के दौरान राज्य परिवहन की बसों पर हमले के के चलते उच्चाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि हिंसा के दौरान मणिपुर राज्य परिवहन की बसें चलाईं नहीं जाएंगी। अगर चलाई जाएंगी तो इसकी जानकारी पहले ही सुरक्षाबलों को देनी होगी। मंगलवार को ग्वालताबी चेक पोस्ट (इंफाल से लगभग 25 किमी दूर) पर जिस बस को सुरक्षाबलों ने रोका, वह बस मणिपुर राज्य परिवहन की थी। इसमें सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर) के कर्मचारी और पत्रकार शामिल थे। लेकिन सुरक्षाबलों के पास इस बस के शिरुई लिली महोत्सव में जाने की कोई पूर्व सूचना नहीं थी। आदेश और लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर सुरक्षाबलों ने केवल नाम को ढकने को कहा था, महोत्सव में जाने से रोका नहीं था।
रक्षा सूत्र बताते हैं कि अगर सुरक्षाबलों को पूर्व सूचना होती तो अन्य वाहनों की तरह ही इस बस को भी सुरक्षाबल नहीं रोकते। उल्लेखनीय है कि छात्रों, कलाकारों और अन्य पर्यटकों को लेकर लगातार बसें और अन्य वाहन उखरुल जा रहे हैं, उनमें से किसी वाहन को सुरक्षाबलों ने नहीं रोका क्योंकि इनकी सूचना पहले से ही सुरक्षाबलों के पास थी। सूत्र बताते हैं कि शायद संवाद में कहीं कमी रह गई, जिस कारण यह घटना घटी। थोड़ी सी सजगता से इस घटना को रोका जा सकता था। सुरक्षाबलों की बस को रोकने, या फिर पत्रकारों को महोत्सव में शामिल होने से रोकने की कोई मंशा नहीं थी।
राष्ट्रपति शासन को बदनाम और तानाशाह बताने की कोशिश
सूत्र बताते हैं कि क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। इस दौरान दो वर्षों के अंतराल के बाद राज्य में थोड़ी शांति लौट रही है। शिरुई लिली जैसे बड़ा कार्यक्रम राष्ट्रपति शासन के दौरान हो रहा है। कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है, इसलिए इस घटना को मुद्दा बनाकर राष्ट्रपति शासन को बदनाम और तानाशाह बताने की कोशिश कर रहे हैं।
दो सदस्यीय जांच समिति गठित
इस बीच, इस घटना को लेकर दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो पत्रकारों को ‘शिरुई लिली’ पर्यटन महोत्सव में ले जा रही बस से राज्य का नाम ढकने के आरोपों की जांच करेगी। गृह विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया, समिति 20 मई को ग्वालताबी चेकपोस्ट के पास मणिपुर शिरुई महोत्सव की कवरेज के लिए मीडिया कर्मियों को ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस और सुरक्षा बलों से जुड़ी परिस्थितियों और तथ्यों की जांच करेगी। समिति यह देखेगी कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। इस समिति में गृह आयुक्त एन. अशोक कुमार और सचिव टी. किरणकुमार सिंह शामिल हैं। उन्हें अपनी रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
सारांश: मणिपुर में बस रोकने के मामले में रक्षा सूत्रों ने बताया कि जिस बस को सुरक्षाबलों ने रोका, उसकी पूर्व सूचना नहीं थी। इस कारण उसे नियमों के मुताबिक रोका गया। इस मामले में दो सदस्यीय समिति गठित की गई है। इस समिति को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी होगी।