12 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) Su-57E Stealth Fighter Jet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के शुरुआत में जब अमेरिका के दौरे पर गए थे तो डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने भारत को 5th जेनरेशन का फाइटर जेट F-35 लाइटनिंग-2 मुहैया कराने की बात कही थी. देश के सिक्योरिटी एक्सपर्ट समेत टॉप ऑफिशियल ने ऑफर मिलने की बात कही थी. वहीं, डीआरडीओ और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) स्वदेशी तकनीक के साथ पांचवीं पीढ़ी का विमान डेवलप करने में जुटा है. अब पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को लेकर भारत को एक और आकर्षक ऑफर मिला है. नई दिल्ली के ऑल-वेदर फ्रेंड रूस ने भारत को 5th जेनरेशन फाइटर जेट Su-57E देने का ऑफर दिया है. Su-57E अमेरिकी एफ-35 की तरह ही स्टील्थ फाइटर जेट है, जो दुश्मनों के रडार सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है. यह मिस्टर इंडिया बनकर दुश्मनों को तबाह करने में उस्ताद है. रूसी पांचवीं पीढ़ी का जेट स्पीड और ऑपरेशनल रेंज में भी अन्य समकक्ष फाइटर जेट अव्वल है. ऐसे में भारत को अब फैसला करना है कि वह Su-57E या फिर एफ-35 फाइटर को खरीदे. बता दें कि भारत के आर्म्ड फोर्सेज का रूसी विमान और हथियार से दशकों पुराना नाता रहा है.
भारत की सीमाएं एक तरफ से पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन से लगती है. चीन इंडियन बॉर्डर के करीब पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट तैनात कर चुका है. चीन अब पाकिस्तान को भी 5th जेनरेशन का लड़ाकू विमान मुहैया कराने की योजना बना रहा है, ऐसे में भारत के लिए अपग्रेडेड पांचवीं पीढ़ी का जेट हासिल करना जरूरी हो गया है, तकि दुश्मनों को उसकी हद में रखा जा सके. पहलगाम अटैक के बाद भारत की ओर से लॉन्च ऑपरेशन सिंदूर में करारी शिकस्त मिलने के बाद पाकिस्तान अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में जुटा है. पड़ोसी देश के बजट में भी इसकी झलक मिली है. शहबाज शरीफ की सरकार ने नाक तक कर्ज होने के बावजूद डिफेंस बजट को तकरीबन 20 फीसद तक बढ़ाकर साफ संकेत दे दिया है. मौजूदा हालात को देखते हुए भारत के लिए पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट की तकनीक हासिल करना आवश्यक हो गया है. इस दिशा में स्वदेशी स्तर पर लगातार काम चल रहा है. वहीं, पांचवीं पीढ़ी का उन्नत फाइटर जेट इंपोर्ट करने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है.
रूस का Su-57E का ऑफर
इन सब रक्षा परिस्थितियों के बीच रूस ने भारत को पांचवीं पीढ़ी का Su-57E फाइटर जेट देने का ऑफर दिया है. रूस ने टेक्नोलॉजी के साथ ही सोर्स कोड ट्रांसफर की भी बात कही है, ताकि भारत देश में ही पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट डेवलप कर सके. रूस का भारत को Su-57E स्टील्थ फाइटर की आपूर्ति करने के अभूतपूर्व प्रस्ताव में सोर्स कोड एक्सेस और स्थानीय उत्पादन की शर्तें भी शामिल हैं. रूस के यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन की ओर से पेश यह व्यापक प्रस्ताव न केवल पांचवीं पीढ़ी के फाइटर टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर को शामिल करता है, बल्कि भारत को स्वदेशी सिस्टम के तहत इसे इंटिग्रेट करने की क्षमता भी प्रदान करता है. अमेरिका समेत अन्य वेस्टर्न सप्लायर की ओर से अभी तक भारत को इस तरह का ऑफर नहीं दिया गया है. यह प्रस्ताव पारंपरिक हथियार सौदों से आगे बढ़कर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की मौजूदा सुविधाओं में स्थानीय उत्पादन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को शामिल करता है जो भारत के अपने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान कार्यक्रम को गति दे सकता है.
Su-57E क्यों है इतना खास
Su-57E रूस का अल्ट्रा मॉडर्न पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है. रडार की पकड़ से दूर होने की वजह से यह राफेल से और भी घातक हो जाता है. रूस की सुखोई कंपनी द्वारा विकसित Su-57, एक ट्विन-इंजन पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. इसे हवाई श्रेष्ठता (Air Superiority) और स्ट्राइक मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसकी अधिकतम गति मैक 2 है. यानी Su-57E फाइटर जेट तकरीबन 2450 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इस लड़ाकू विमान की कॉम्बेट रेंज लगभग 1,900 किलोमीटर है. बता दें कि Su-57 को बनाने में उसकी एजिलिटी और स्पीड पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. सुखोई ने Su-57 को हवा, जमीन और मैरीटाइम टारगेट को ध्वस्त करने में सक्षम बनाया है. इसकी इसी खासियत से दुश्मन भी खौफ खाते हैं. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ इस विमान का भारत में आनाकई मायनों में महत्वपूर्ण होगा. साथ ही दुश्मनों पर भारत की श्रेष्ठता भी हासिल होगी.
F-35A लाइटनिंग-2
लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित F-35 एक सिंगल-इंजन, सिंगल-सीटर स्टील्थ मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. यह तीन वैरिएंट में आता है: अमेरिकी एयरफोर्स के लिए F-35A, अमेरिकी मरीन कोर के लिए F-35B और अमेरिकी नेवी के लिए F-35C. यह फाइटर जेट मैक 1.6 यानी तकरीबन 1975 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. साथ ही इसकी कॉम्बेट रेंज लगभग 1,500 किलोमीटर की है. एफ-35 फाइटर जेट स्टील्थ क्षमताओं से भी लैस है. रडार को चकमा देने की यह क्षमता इस फाइटर जेट को दुनियाभर में ज्यादा घातक और खतरनाक बनाता है. लॉकहीड मार्टिन का कहना है कि F-35A युद्धक्षेत्र में एक निर्णायक भूमिका निभाने में कैपेबेल है. यह मल्टी-डोमेन स्पेक्ट्रम में इसका कोई जोर नहीं है. F-35A में जिन क्षमताओं को शामिल किया गया है, वह पायलटों को किसी भी हालात में और किसी भी खतरे के खिलाफ काम करने में सक्षम बनाती हैं.
सारांश:
भारत को जल्द ही एक ऐसा फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट मिल सकता है जो राफेल से भी ज्यादा घातक है और अमेरिका के F-35 से टक्कर ले सकता है। इस एडवांस्ड जेट की रफ्तार, स्टील्थ तकनीक और युद्धक क्षमताएं इसे खास बनाती हैं। भारत की सैन्य ताकत को इससे बड़ा बढ़ावा मिल सकता है और देश की वायुसेना के पास अब तकनीक और ताकत दोनों में संतुलन होगा — यानी भारत के दोनों हाथ में लड्डू हैं।