30 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) ‘हमने उन्हें जमींदोज कर दिया. ईरान के न्यूक्लियर बंकर अब मिट्टी में‍ मिल गए हैं. अमेरिकी सैन्य शक्ति ने फिर दुनिया को दिखा दिया कि वो क्या कर सकती है…’ डोनाल्‍ड ट्रंप से लेकर ह्वाइट हाउस का हर एक शख्‍स आजकल यही बात कर रहा. लेकिन हकीकत यही है? 13000 KG का वो बम जो माउंट एवरेस्ट के वजन जैसा लगता है. ज‍िसे बम की दुन‍िया में दैत्‍य का दर्जा मिला हुआ, जो धरती के कई सौ फीट नीचे तक जाकर कंक्रीट और स्टील से बने दुश्मन के बंकरों को फाड़ डालने के लिए बनाया गया था, उसके ईरान में अटैक पर इतने सवाल क्‍यों उठ रहे हैं? पूरी कहानी जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

अमेर‍िका पर अटैक क‍िया, मिशन था क‍ि ईरान के सारे बंकर ध्‍वस्‍त कर देंगे. मिशन पूरा भी हुआ. लेकिन पूरी दु‍न‍िया में सवाल उठ रहा क‍ि क्‍या अमेर‍िका फोर्दो और नतांज पर हमले सफल रहे? अमेर‍िकी प्रशासन दावा कर रहा क‍ि उसने ईरान की सबसे सुरक्ष‍ित और दो बड़े न्यूक्लियर सेंटर्स फोर्डो और नतांज पर भारी हमले क‍िए. 14 GBU-57 बमों और 30 टॉमहॉक मिसाइलों के जर‍िये उन्‍हें मलबा बना द‍िया गया. व्हाइट हाउस ने इसे क्लीन हिट बताया, लेकिन एक्‍सपर्ट कह रहे हैं, यह इतना आसान नहीं. एक्‍सपर्ट कह रहे क‍ि GBU-57 ने शायद कुछ नुकसान पहुंचाया हो, लेक‍िन पूरी तरह तबाह कर द‍िया, हो ऐसा नहीं लगता. अब तो अमेरिका के पास केवल 6 बचे हुए बम है. क्‍योंक‍ि अमेर‍िका ने सिर्फ 20 GBU-57 बम बनाए थे. इनमें से 14 GBU-57 बम तो वह ईरान में फोड़ चुका है. ऐसे में अगर अगली स्‍ट्राइक की जरूरत हुई तो क्‍या इतनी जल्‍दी तैयार हो पाएंगे?

तो अब क्या होगा?
nationalinterest.orgकी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी एयरफोर्स अब चाहती है कि सुपर-हैवी बंकर बस्टर बम को ही रिटायर कर दिया जाए. इसकी जगह अब नेक्‍स्‍ट जेनरेशन पेनेट्रेटर लेकर आएं. यह 22000 पाउंड यानी तकरीबन 10000 क‍िलो का होगा. रॉकेट बूस्ट के साथ यह आएगा. ‘स्टैंड-ऑफ’ यानी दूरी से ही टारगेट मार सकेगी, जिससे पायलट खतरे में न पड़े. यानी पुराने बम के मुकाबले यह हल्का, स्मार्ट और ज्यादा सुरक्षित होगा.

आख‍िर बदला क्‍यों जा रहा?
यही सवाल अब उठ रहा है क‍ि अगर GBU-57 इतना गेम चेंजिंग था तो तो उसे तुरंत क्यों बदलने की जरूरत पड़ गई? क्या ट्रंप टीम जो दावा कर रही है, वो महज प्रचार पाने का एक तरीका था? यह कहानी सिर्फ बमों की नहीं है, पूरी रणनीत‍ि की है. हकीकत ये है क‍ि ईरान के बंकर पूरी तरह तबाह नहीं हुए. और अब अमेरिका के पास उन्हें फिर से मारने के हथियार भी नहीं हैं. यानी जो बनाया था, वो तो खत्‍म हो गए, और अब नई रणनीत‍ि पर काम करने का वक्‍त है, क्‍योंक‍ि उसमें कई तरह की खामियां हैं और पायलट के ल‍िए जोख‍िम भी बहुत है.

सारांश:
ईरान पर हमले की आशंका के बीच अमेरिका के 13,000 किलो वजनी ‘बंकर बस्टर’ बम ने सनसनी फैला दी है। यह बम भूमिगत ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है और इसका इस्तेमाल ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। हालांकि अब यही बम अमेरिका के लिए संकट का कारण बनता दिख रहा है, क्योंकि इसके उपयोग को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी विवाद और आलोचना शुरू हो गई है। इससे पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ गया है।

Bharat Baani Bureau

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