03 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : देश के लगभग सभी हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है और झमाझम बारिश हो रही है। कुछ जगहों पर भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मौसम विज्ञान विभाग ने भी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अगले छह से सात दिनों में बहुत भारी बारिश की संभावना है। इस अवधि के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में मानसून सक्रिय रहेगा।
इसके अलावा महाराष्ट्र के विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, सिक्किम और झारखंड में अत्यधिक बारिश की संभावना है। मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में कुछ दिनों में भी भारी बारिश हो सकती है। जबकि महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र और गोवा, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। इस अवधि में पूर्वोत्तर भारत में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का अनुमान है कि मानसून के मौसम में पूर्वोत्तर का क्षेत्र सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में शामिल है। इस सप्ताह भारी बारिश का दौर इस क्षेत्र में आने की संभावना है। वीकेंड में पहाड़ी राज्यों में तेज बारिश देखने को मिल सकती है। हालांकि झारखंड और आसपास के क्षेत्रों पर बना निम्न दबाव अब कमजोर पड़ गया है, लेकिन इससे जुड़ा हुआ मजबूत चक्रवाती परिसंचरण ऊपरी स्तरों तक सक्रिय है। यही प्रणाली इस सप्ताह पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में भारी मौसम गतिविधियों उत्पन्न करेगी। इस वजह से वीकेंड में मेघालय, दक्षिण-पूर्व असम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के इलाकों में भारी बारिश देखने को मिल सकती है।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश की संभावना व्यक्त की गई है। मैदानी इलाकों की अपेक्षा पर्वतीय जिलों में अधिक बारिश हो सकती है। भूस्खलन और छोटी-बड़ी नदियों में उफान का खतरा बना हुआ है, जिससे पहाड़ों पर फसल, सड़कों एवं बस्तियों को नुकसान हो सकता है। जबकि पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना बनी रहेगी।
दिल्ली में ऐसा रहेगा मौसम का मिजाज
हालांकि इस बीच दिल्ली-एनसीआर वाले के लिए एक राहत की खबर है। अगले एक हफ्ते तक मौसम सुहावना बना रहेगा और लगातार हल्की बारिश की फुहार लोगों को गर्मी और उमस से निजात दिलाएंगी। 3 जुलाई से लेकर 7 जुलाई तक गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताई गई है। इस दौरान मौसम विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की चेतावनी या अलर्ट जारी नहीं किया गया है। मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का कहना है कि, जुलाई दिल्ली में अगस्त के बाद दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला महीना है। दिल्ली में मानसून की वर्षा मुख्य रूप से मानसून ट्रफ (न्यून दबाव की रेखा) पर निर्भर करती है, जो सामान्यतः गंगानगर से कोलकाता तक जाती है और दिल्ली के नजदीक दक्षिण में बनी रहती है। वर्तमान में यह ट्रफ देश के दोनों छोर पर स्थित दो चक्रवातीय परिसंचरणों को जोड़ रही है। एक परिसंचरण मध्य और दक्षिण राजस्थान पर स्थित है, जबकि दूसरा परिसंचरण झारखंड और छत्तीसगढ़ में बने पुराने निम्न दबाव क्षेत्र का शेष भाग है। जैसे-जैसे पूर्वी परिसंचरण पश्चिम की ओर बढ़ेगा, यह ट्रफ के साथ उत्तर-दक्षिण दिशा में डोलता रहेगा।
पूर्वानुमान के अनुसार, 3 जुलाई तक ट्रफ दिल्ली से कुछ दूरी पर बनी रहेगी, इसलिए बारिश की संभावना कम ही रहेगी। अगर होगी भी तो बहुत हल्की छिटपुट और बहुत कम समय के लिए होगी। शुक्रवार (4 जुलाई) से यह ट्रफ उत्तर की ओर खिसकने लगेगी। इसके बाद बादलों बढ़ेंगे और घने होते जाएंगे। शनिवार और रविवार (5-6 जुलाई) को मौसम प्रणाली दिल्ली के अधिक अनुकूल होगी, जिससे अच्छी बारिश की संभावना बनेगी। यह बरसात की गतिविधि अगले सप्ताह की शुरुआत तक भी बनी रह सकती है। 5 से 9 जुलाई के बीच लगातार बादलों और रुक-रुक कर बारिश से तापमान में गिरावट आएगी, जिससे गर्मी से राहत मिलेगी।
दक्षिण भारत में कमजोर पड़ा मानसून
इन दिनों देश के पूर्वी, मध्य, पश्चिमी और उत्तरी भागों में मानसून अच्छी गति से सक्रिय है। उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के ज्यादातर उपमंडलों में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। लेकिन दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत की बात करें तो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और लक्षद्वीप में मौसमी वर्षा की कमी देखी जा रही है। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में पहले हुई अधिशेष वर्षा अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। पिछले 10 दिनों से इन क्षेत्रों में कोई बड़ी मानसूनी गतिविधि नहीं देखी गई है और यह स्थिति आने वाले दिनों में भी बनी रह सकती है।
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काई मेट वेदर का अनुमान है कि दक्षिण भारत में सुस्त मानसून का प्रमुख कारण बंगाल की खाड़ी से उठने वाले निम्न दबावों का उत्तर की ओर रुख करना है। हाल के दिनों में अधिकतर मौसमी सिस्टम उत्तर दिशा की ओर, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं के समांतर, इंडो-गंगेटिक मैदानों के साथ बढ़ते गए हैं। इससे पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पहले की कमी से उबरने में मदद मिली है। हालांकि बिहार अब भी 35 प्रतिशत वर्षा की भारी कमी से जूझ रहा है। एजेंसी का अनुमान है कि,दक्षिण भारत में मौसम प्रणाली की दिशा से कोई खास ऊर्जा नहीं मिल रही है जिससे इस क्षेत्र की मानसूनी गतिविधियां पुनः सक्रिय हो सकें। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में बारिश की स्थिति शांत बनी रहेगी। इस कारण आने वाले सप्ताह में यहां वर्षा की कमी और बढ़ सकती है। किसानों के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि फसल बुवाई के समय में वर्षा का न होना गंभीर संकट ला सकता है। यहां अच्छी बारिश के लिए इंतजार और लंबा हो सकता है।