10 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) समंदर में लंबे और नॉनस्टॉप ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सबसे जरूरी होता है सपोर्ट शिप. इसका काम होता है तेल, पानी, हथियार, गोलाबारूद और अन्य जरूरी चीजें बीच समंदर में ही मुहैया कराना. भारतीय नौसेना ने इस तरह के पांच फ्लीट सपोर्ट शिप को शामिल करने का प्लान बनाया है. यह शिप भी पूरी तरह से स्वदेशी हैं. पांच में से 2 का तो पहले ही निर्माण जारी है. 9 जुलाई को तीसरे शिप का निर्माण भी शुरू हो गया है. चेन्नई के पास कट्टुपल्ली स्थित एलएंडटी शिपयार्ड में तीसरे फ्लीट सपोर्ट शिप (FSS) की कील लेइंग समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर कंट्रोलर वारशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजीशन वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) और L&T के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

क्यों जरूरी है सपोर्ट फ्लीट शिप?
जैसे कि नाम से ही साफ है, इसका मुख्य काम है समंदर में नौसेना के फ्लीट को सपोर्ट करना. हर शिप अपने ऑपरेशन में तैनाती के हिसाब से ही पानी, खाना, ईंधन, हथियार, गोला-बारूद और अन्य जरूरी सामान लेकर चलता है. ऑपरेशन खत्म होने के बाद शिप वापस नेवल बेस में आ जाता है. लेकिन अगर जंग के दौरान या फिर किसी बड़े राहत-बचाव ऑपरेशन के दौरान वॉरशिप को लंबे समय तक तैनात रहना हो या फिर किसी तरह की तकनीकी खामी या ईंधन की जरूरत हो, तो उस वक्त उस शिप की जरूरत का सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी सपोर्ट फ्लीट शिप की. नेवी के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा के मुताबिक, यह किसी भी ऑपरेशन को लगातार चलाए रखने के लिए सबसे ज्यादा कारगर होगा. फिलहाल नौसेना के पास एक भी फ्लीट सपोर्ट शिप नहीं है. यह कैरियर बैटल ग्रुप या दूसरी किसी फ्लीट के साथ भी मूव करेंगे और जैसे ही किसी भी शिप को जरूरत पड़ेगी, उसकी मदद करेंगे. इस शिप में पानी, खाना, ईंधन, हथियार, गोला-बारूद के अलावा एक वर्कशॉप और क्रिटिकल सामान मौजूद रहेंगे. FSS के नौसेना में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की ‘ब्लू वॉटर’ क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा होगा. यह जरूरी सामग्री लेकर समंदर में तैनात फ्लीट को लगातार ऑपरेशन को अंजाम देने में कारगर होगा.

FSS की खासियत
ये जहाज 40,000 टन से ज्यादा वजनी होंगे. इसकी रफ्तार 20 नॉटिकल मील प्रति घंटे के करीब होगी. एंटी सर्फेस, एंटी सबमरीन वॉरफेयर की क्षमता के साथ ही क्लोज इन वेपन सिस्टम से लैस होगा. साल 2023 में सरकार ने नेवी के लिए 5 सपोर्ट फ्लीट शिप की खरीद को मंजूरी दी थी. उसी साल भारतीय नौसेना और हिंदुस्तान शिपयार्ड के साथ करार भी हुआ. करार के मुताबिक पहला शिप 4 साल के बाद यानी साल 2027 में भारतीय नौसेना को मिल जाएगा और बाकी हर शिप 10 से 12 महीने के बीच मिलते रहेंगे. 8 साल के अंदर सभी 5 सपोर्ट फ्लीट शिप नौसेना को दिए जाने की डेडलाइन है. समय पर इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके, इसके लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड ने 2 जहाजों के निर्माण के लिए एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के साथ सब कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. पहले शिप का काम पिछले साल हिंदुस्तान शिपयार्ड में शुरू हुआ. दूसरा शिप इस साल और अब तीसरा शिप भी एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में बनना शुरू हो चुका है.

सारांश:
भारतीय नौसेना अब समंदर में बिना रुके ऑपरेशन चलाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। इसके तहत कैरियर बैटल ग्रुप को सपोर्ट देने के लिए जल्द ही एक आधुनिक फ्लीट सपोर्ट शिप शामिल किया जाएगा। इस शिप की मदद से ईंधन, गोला-बारूद और जरूरी सामग्री समुद्र में ही पहुंचाई जा सकेगी, जिससे नेवी की ऑपरेशनल क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। यह रणनीतिक योजना भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेगी।

Bharat Baani Bureau

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