11 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) पांच साल पहले कुछ लोगों ने मिलकर रेलवे टिकट बेचने के लिए एक ऐसा जाल बिछाया, जो देखने में असली लगता था लेकिन असल में फर्जी था. इन लोगों ने कई वेबसाइट्स बनाई थीं, जिनके जरिए पूरे देश में लोगों को टिकट बेचे गए. ज्यादातर लोगों को ये पता ही नहीं था कि ये वेबसाइट्स असली नहीं हैं और न ही इन्हें IRCTC यानी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन की तरफ से कोई इजाजत मिली थी. जबकि IRCTC ही असली सरकारी एजेंसी है जो रेलवे टिकट, खाने-पीने और टूरिज्म की सेवाएं देती है.
कोर्ट में पेश हुई CBI की चार्जशीट
मंगलवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने इस मामले में CBI की जांच पर ध्यान देते हुए केस की सुनवाई शुरू करने का फैसला किया. कोर्ट में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर विकास खत्री ने CBI की तरफ से जांच रिपोर्ट पेश की. राउस एवेन्यू कोर्ट के चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट दीपक कुमार ने 8 जुलाई को दिए अपने आदेश में कहा, “सभी तथ्यों और सबूतों को देखते हुए मैं इस मामले को स्वीकार करता हूं. सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजा जाए.” अब अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी.
शुरुआत हुई एक शिकायत से
इस पूरे मामले की जांच तब शुरू हुई जब साल 2020 में IRCTC के IT सेंटर, नई दिल्ली में काम करने वाले एंटी फ्रॉड मैनेजर राकेश कुमार मिश्रा ने साइबर क्राइम सेल, द्वारका में शिकायत दी. उन्होंने बताया कि कुछ वेबसाइट्स पर एक ऐसा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल हो रहा है जिससे रेलवे की रिज़र्व टिकटें बिना इजाज़त बेची जा रही हैं.
CBI की शुरुआती जांच और वेबसाइट्स का पता
जैसे ही शिकायत मिली, CBI ने तुरंत FIR दर्ज कर ली. जांच में पता चला कि कुल पांच वेबसाइट्स — www.tatkalsoftware.asia, redmirchie.com, irctctatkalsoftware.co.in, freetatkalsoftware.com और tatkalsoftwarebest.in — इन फर्जी टिकटों की बिक्री में शामिल थीं. ये वेबसाइट्स एक खास सॉफ्टवेयर के ज़रिए टिकट बुक कर रही थीं, जो पूरी तरह से गैरकानूनी था.
कई लोगों के नाम आए सामने
CBI की जांच में एक राकेश कुमावत का नाम सामने आया, जिसने कबूला कि उसने ये सॉफ्टवेयर किसी अजॉय नाम के व्यक्ति से लिया था. इसी कड़ी में एक और शख्स आसिफ अली का नाम सामने आया, जो इनमें से एक वेबसाइट को चला रहा था.
छापे और गिरफ्तारियां
CBI ने 1 सितंबर 2021 को आसिफ अली से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से तीन मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, छह सिम कार्ड, बैंक के दस्तावेज़ और एक डायरी मिली, जिसमें इस अवैध सॉफ्टवेयर से जुड़ी जानकारियां दर्ज थीं. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. जांच में ये भी सामने आया कि आसिफ ने पांच अलग-अलग बैंक खातों और ई-वॉलेट्स के ज़रिए एजेंट्स और सॉफ्टवेयर बेचने वालों से लेन-देन किया था. वह IRCTC का अधिकृत एजेंट नहीं था, फिर भी टिकट बेचकर अपना फायदा कमा रहा था.
जांच में जुड़े और नाम
19 अप्रैल 2023 को CBI ने रोहित कुमार मौर्य और राजीव कुमार मौर्य के ठिकानों पर भी छापे मारे. वहां से एक लैपटॉप, कई IRCTC आईडी वाली चिट्ठियां, एजेंट ID के डिजिटल सिग्नेचर वाली CD और एक डायरी बरामद हुई, जिससे पता चला कि ये दोनों भी इस पूरे रैकेट का हिस्सा थे.
ज्यादा पैसे लेकर बेचे जा रहे थे टिकट
CBI का कहना है कि इन वेबसाइट्स के ज़रिए कुछ एजेंट टिकट बुक कर रहे थे और बदले में आम लोगों से ज्यादा पैसे वसूल रहे थे. FIR में बताया गया है कि इससे आम जनता को नुकसान हो रहा था और एजेंट्स, वेबसाइट चलाने वाले, सॉफ्टवेयर बनाने वाले और बाकी जुड़े लोग इसका गलत फायदा उठा रहे थे. ये वेबसाइट्स बैंक और IRCTC के OTP सिस्टम को भी चकमा दे रही थीं और हाई-टेक तरीके से ये सारा खेल चल रहा था. CBI ने इसे एक बड़ा साइबर और आर्थिक अपराध बताया है.
सारांश:
IRCTC ने यात्रियों को फर्जी वेबसाइट्स से टिकट बुकिंग को लेकर चेतावनी जारी की है। एक नकली वेबसाइट असली जैसी दिखती है लेकिन इसका इस्तेमाल कर साइबर ठग लोगों की निजी जानकारी और पैसे चुरा रहे हैं। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे केवल आधिकारिक IRCTC वेबसाइट या ऐप से ही टिकट बुक करें।