17 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) सीरिया के दक्षिणी हिस्से में कई दिनों तक चले खूनी संघर्ष और जातीय झड़पों के बाद इजरायल ने बुधवार को राजधानी दमिश्क स्थित सीरियाई सेना के मुख्यालय पर हवाई हमला कर दिया. ड्रूज समुदाय और सीरियाई अधिकारियों के बीच नए सिरे से युद्धविराम हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद इजरायल और सीरिया में संघर्ष बढ़ने की आशंका है. इजरायल का दावा है कि यह कार्रवाई सीरिया में रहने वाले अल्पसंख्यक ड्रूज समुदाय की रक्षा के लिए की गई है. ड्रूज समुदाय हाल के दिनों में सरकारी बलों और सुन्नी बेदौइन जनजातियों के बीच हिंसक झड़पों में बुरी तरह फंस गया है. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक सीरियाई स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमलों में कम से कम तीन लोग मारे गए और 34 अन्य घायल हो गए. इस हमले से पहले इजरायली रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था, ‘ड्रूज को छोड़ दो, वरना अंजाम भुगतना पड़ेगा.’
सीरिया के स्वैदा प्रांत में पिछले कुछ हफ्तों में ड्रूज समुदाय और सुन्नी बेदौइन जनजातियों के बीच झड़पों में अब तक 248 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें से 92 ड्रूज समुदाय से हैं. एक ड्रूज व्यापारी के अपहरण के बाद ये संघर्ष शुरू हुआ, लेकिन आरोप है कि सीरियाई सेना ने हिंसा में सीधे दखल देकर बेदौइन पक्ष का साथ दिया. ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के मुताबिक, सीरियाई सेना ने खुद ड्रूज समुदाय के कम से कम 21 लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया. कई वीडियो क्लिप्स और गवाहों ने भी सेना पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है.
इजरायल ने क्यों लिया एक्शन?
इजरायल की सीमा से सटे इस इलाके में ड्रूज समुदाय की उपस्थिति पुरानी है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि ‘दक्षिणी सीरिया से पूरी तरह सेना हटाई जानी चाहिए और अल-शरा की सेनाएं वहां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. ड्रूज नेता शेख मवाफक तारीफ ने इस संघर्ष को ‘ड्रूज समुदाय के अस्तित्व की लड़ाई’ बताया है और इजरायल से मदद मांगी थी. इसके बाद इजरायली सेना ने न सिर्फ दमिश्क में रक्षा मंत्रालय सहित कई सरकारी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि गोलान हाइट्स की सीमा पर अतिरिक्त सैन्य तैनाती भी शुरू कर दी.
राष्ट्रपति ने कही एकता की बात
सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने अब इमोशनल संकेत दिया है. उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘सीरिया के लोगों ने हमेशा बंटवारे की कोशिशों को नकारा है. हम इस जमीन के बेटे हैं और हमें बांटने की इजरायली कोशिशों को मात देने में सबसे ज्यादा सक्षम हैं. हमारे ड्रूज समुदाय इस वतन के ताने-बाने का अहम हिस्सा हैं और उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. इजरायली तत्व पुराने शासन के पतन के बाद से हमारी जमीन को संघर्ष का मैदान बनाने और हमारे समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सीरिया किसी विदेशी साजिश या लालच की प्रयोगशाला नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा ‘हम युद्ध से नहीं डरते, लेकिन जनता के हित में अराजकता से दूरी बनाए रखते हैं और देश की एकता की रक्षा को ही अपना सर्वोच्च विकल्प मानते हैं. स्वैदा में हुए आंतरिक संघर्ष को रोकने और हालात पर काबू पाने के लिए सीरियाई राज्य ने अपने सभी संस्थानों के साथ हस्तक्षेप किया और सफलता पाई. हमने प्रांत की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय गुटों और समझदार बुज़ुर्गों को सौंप दी, ताकि बाहरी संघर्षों में फंसे बिना देश की शांति बनी रहे.’
क्या रुक पाएगा संघर्ष विराम
सीरियाई सरकार के अधिकारियों और ड्रूज धार्मिक अल्पसंख्यक नेताओं के बीच नये सिरे से संघर्षविराम की घोषणा की गई है. संघर्ष के कारण देश में राजनीतिक बदलाव के प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है और सीरिया के शक्तिशाली पड़ोसी इजराइल को हस्तक्षेप करना पड़ा है. नये संघर्षविराम की घोषणा सरकारी समाचार एजेंसी ‘सना’ और एक ड्रूज धार्मिक नेता के वीडियो संदेश में की गई. हालांकि, यह समझौता कितना लंबा चल सकेगा, इसे लेकर संशय बरकरार है क्योंकि एक दिन पहले घोषित युद्धविराम जल्द ही टूट गया था. ड्रूज धार्मिक संप्रदाय की शुरुआत 10वीं शताब्दी में हुई थी और यह शिया संप्रदाय की शाखा, ‘इस्माइलवाद’ को मानते हैं. दुनिया भर में लगभग 10 लाख ड्रूज हैं जिनमें से आधे से ज्यादा सीरिया में रहते हैं.
सारांश:
मिडिल ईस्ट में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इजरायल ने हाल ही में सीरिया को कड़ी चेतावनी दी थी, जिसके बाद सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद ने बयान देकर एकता और शांति की अपील की है। इजरायल का आरोप है कि सीरिया की जमीन से ईरान समर्थित आतंकियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
सीरिया फिलहाल पीछे हटा है, लेकिन यह माना जा रहा है कि हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय तनाव घटाने की कोशिश में जुटा है।