25 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : जगदीप धनखड़ को इस्तीफा दिए 4 दिन हो गए, मगर हलचल कम नहीं हुई है. जगदीप धनखड़ ने सेहत का हवाला देकर सोमवार यानी 21 जुलाई को इस्तीफा दिया. मगर उनके इस्तीफे की कहानी अब सामने आने लगी हैं. ऐसा लग रहा है कि सेहत बहाना था. उन्हें फ्यूचर की भनक लग गई थी. इसलिए आनन-फानन में मानसून सत्र के पहले दिन ही रात को अपना इस्तीफा सौंपा. जी हां, सूत्रों का दावा है कि राज्यसभा में खुद जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी.

टीओआई की खबर के मुताबिक, जगदीप धनखड़ के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे थे. जगदीप धनखड़ के खिलाफ अगले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव आना था. यह फैसला तब हुआ जब सरकार को पता चला कि उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ 63 विपक्षी सांसदों की ओर से साइन किए महाभियोग वाले नोटिस को स्वीकार कर लिया.

क्या था अंदरखाने वाला प्लान

सूत्रों की मानें तो जगदीप धनखड़ का कदम सरकार के लिए चौंकाने वाला था. जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के नोटिस स्वीकार किया था. जबकि सरकार लोकसभा में प्रस्ताव लाना चाहती थी. उसके पास सभी दलों के सदस्यों के हस्ताक्षर भी थे. सरकार के कई मंत्री इसी बात से परेशान और नाराज थे. जगदीप धनखड़ के इस कदम से एनडीए सांसदों और मंत्रियों को ऐसा आघात लगा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद कार्यालय में सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र करने के लिए दौड़ लगाई ताकि अगले दिन राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके.
धनखड़ को मिली थी सीक्रेट सूचना

जगदीप धनखड़ को इस बात की भनक लग गई थी कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव साधारण बहुमत से पारित किया जा सकता है और एनडीए के पास आवश्यक संख्या से अधिक है. सूत्रों ने दावा दिया कि सोमवार को राज्यसभा सचिवालय के एक अधिकारी ने जगदीप धनखड़ को संदेश दिया कि या तो तुरंत इस्तीफा दें वरना अगले दिन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही उसी रात को आनन-फानन में जगदीप धनखड़ राष्ट्रपति भवन पहुंचे. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद की तस्वीर पूरी दुनिया को पता है.

25 मिनट तक किया इंतजार

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में सेहत का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि वह अपनी सेहत को अब प्राथमिकता देना चाहते हैं. मगर कांग्रेस को शुरू से ही दाल में काला नजर आ रहा था. अब तस्वीर साफ हो गई है. सूत्रों का कहना है कि जगदीप धनखड़ को करीब 25 मिनट तक राष्ट्रपति भवन में इंतजार करना पड़ा था. उनके लिए विदाई भाषण का भी आयोजन नहीं किया गया. कांग्रेस ने सरकार से उनके इस्तीफे की वजह की मांग की.

मंत्रियों संग अच्छा नहीं था धनखड़ का व्यवहार

सूत्रों का कहना है कि जगदीप धनखड़ का केंद्रीय मंत्रियों संग व्यवहार अच्छा नहीं था. अक्सर वह उन लोगों के साथ कठोरता से पेश आते थे. बैठकों के दौरान डांट-डपट देते थे और अपमानित करते थे. इससे सीनियर मंत्री सब नाराज थे. शिवराज सिंह चौहान को तो जगदीप धनखड़ ने सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया था. सूत्रों का यह भी कहना है कि जगदीप धनखड़ विपक्ष पर खूब बरसते थे, मगर विपक्ष की ओर से लाए गए महाभियोग वाले प्रस्ताव के बाद उनका विपक्ष के प्रति रवैया थोड़ा बदला था.

सारांश:
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को एक महत्वपूर्ण फैसले के चलते अपनी स्थिति से पीछे हटना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं थे, क्योंकि अगर वह खुद नहीं हटते तो उन्हें हटाया जा सकता था। अंदरखाने में पहले से ही एक प्लान तैयार किया गया था, जिससे यह तय हो गया था कि बदलाव किसी भी सूरत में होना है।

Bharat Baani Bureau

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