25 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : फाइटर जेट्स अक्सर ऊंची ऊंचाइयों पर उड़ते हैं, जहां तापमान माइनस में चला जाता है और सूरज की UV किरणें जमीन से दोगुनी तेज़ होती हैं. ऐसे में जेट की बॉडी पर अगर कोई सुरक्षा न हो, तो वह तेज़ी से जंग खा सकती है या कमजोर हो सकती है. यहां पेंट एक कवच की तरह काम करता है. खासकर ऐसा पेंट जो यूवी रेज और नमी से बचाए, वह जेट को करप्शन से बचाता है. इससे जेट की उम्र बढ़ती है और मेंटेनेंस कॉस्ट में भी लाखों-करोड़ों की बचत होती है.
आज के दौर में दुश्मन को चकमा देना सबसे बड़ी जीत मानी जाती है. इसके लिए जेट्स पर ऐसे स्पेशल रडार-एब्जॉर्बिंग पेंट लगाए जाते हैं जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स को सोख लेते हैं. इससे रडार पर जेट की ‘सिग्नेचर’ लगभग 97% तक घट जाती है. तुर्की के नए KAAN फाइटर जेट में इसी तरह का स्टील्थ कोटिंग इस्तेमाल किया गया है, जो उसे दुश्मन की नजरों से बचाता है. यही वजह है कि राफेल, एफ-22 और एफ-35 जैसे फाइटर जेट्स पर भी यह तकनीक अपनाई गई है.
ग्रे रंग सिर्फ स्टाइल नहीं, बल्कि रणनीति है. यह रंग जेट को आसमान और ज़मीन दोनों के बैकग्राउंड में घुलने में मदद करता है. F-5 टाइगर II जैसे जेट्स में दो या तीन शेड्स का इस्तेमाल होता है ताकि वे किसी भी बैकग्राउंड में आसानी से छिप सकें. युद्ध के समय, यह ‘आंख से बचाव’ की पहली परत होती है.
जेट जितना ज्यादा गर्म होगा, उतनी ही आसानी से वह थर्मल इमेजिंग और हीट-सीकिंग मिसाइलों की पकड़ में आएगा. नई पेंट टेक्नोलॉजी, जैसे लो-एमिसिविटी टॉपकोट्स, जेट की सतह के तापमान को कम करते हैं. इससे थर्मल सिग्नेचर घटता है और जेट दुश्मन के इंफ्रारेड सेंसर से बच सकता है.
2025 में यूके की ईज़ीजेट एयरलाइन ने एक नया हल्का पेंट अपनाया, जिससे हर विमान का वजन 27 किलो कम हुआ. अनुमान है कि इससे पूरे फ्लीट में सालाना 1200 टन फ्यूल की बचत होगी. हालांकि फाइटर जेट्स में यह इकोनॉमी के लिए नहीं, बल्कि ऑपरेशनल एफिशिएंसी के लिए किया जाता है. हल्का पेंट, वजन और ड्रैग को कम करता है, जिससे जेट तेज़ और ज्यादा दूरी तक उड़ सकता है.
अब सिर्फ रडार ही नहीं, बल्कि इंफ्रारेड, अल्ट्रावायलेट और यहां तक कि मल्टी-स्पेक्ट्रल सेंसर भी दुश्मन के पास हैं. इन्हें चकमा देने के लिए फाइटर जेट्स पर नई एंटी-थर्मल और मल्टी-स्पेक्ट्रल कोटिंग की जाती है. यह लाइट और हीट को अलग-अलग तरह से रिफ्लेक्ट करती हैं ताकि किसी भी सेंसिंग डिवाइस को धोखा दिया जा सके.
हर एयरफोर्स के अपने पेंटिंग नियम होते हैं. फाइटर जेट पर सिर्फ कलर नहीं, बल्कि सेफ्टी मार्किंग्स, मेंटेनेंस कोड और रिस्क जोन पेंटिंग भी अनिवार्य होती है. अगर कोई जेट इन मिलिट्री पेंटिंग स्टैंडर्ड का पालन नहीं करता, तो उसे उड़ान की अनुमति नहीं मिलती या वह सस्पेंड किया जा सकता है.
ग्रे रंग का चुनाव कोई संयोग नहीं. यह सूरज की रोशनी को संतुलित तरीके से रिफ्लेक्ट करता है, ज्यादा गर्म नहीं होता, आंखों को धोखा देता है और रडार पर कम दिखाई देता है. यही कारण है कि दुनिया के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स इस ‘बोरिंग से दिखने वाले’ रंग को सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं.
सारांश:
ज्यादातर फाइटर जेट जैसे राफेल, टाइफून, F-22, F-35 और J-20 ग्रे रंग के होते हैं क्योंकि यह रंग उन्हें हवा में और ऊंचाई पर कम दिखाई देने में मदद करता है। ग्रे रंग रडार और विजुअल डिटेक्शन से बचाने में कारगर होता है। साथ ही यह मौसम और वातावरण के साथ आसानी से घुलमिल जाता है, जिससे दुश्मन के लिए इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।