तेहरान 29 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : इजरायल के साथ युद्ध विराम होने के बाद भी ईरान हर मोड़ पर चौकन्ना होकर चल रहा है. उसने युद्ध के बाद अपनी नीतियों में बदलाव किया है. चाहे वो अफगानी नागरिकों को जासूसी के शक में बाहर का रास्ता दिखाना हो या फिर अमेरिका के नेविगेशन सिस्टम पर संदेह करना हो. अब उसने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे अमेरिका को मिर्ची लग जाएगा और चीन खुश हो जाएगा. दरअसल अब ईरान के निशाने पर अमेरिका का नेविगेशन सिस्टम है, जिसे वो अपने सिस्टम से आउट करना चाहता है.
अमेरिका-इजरायल हमलों के बाद ईरान ने पश्चिमी तकनीकी प्रभुत्व को चुनौती देते हुए चीन के BeiDou नेविगेशन सिस्टम को अपनाने का बड़ा फैसला किया है. जून 2025 में हुए 12 दिन के संघर्ष के दौरान GPS सिग्नल्स में लगातार रुकावटें ईरान के लिए गंभीर चिंता का विषय बनीं. ईरानी संचार उपमंत्री एहसान चितसाज ने इस बात को उठाते हुए कहा कि हम दूसरे विकल्प की ओर जा रहे हैं.
अमेरिकी सिस्टम आउट, चाइनीज इन!
ईरानी संचार मंत्री ने ये भी कहा है कि GPS में आने वाली दिक्कतों ने हमें BeiDou जैसे वैकल्पिक नेविगेशन सिस्टम की ओर मोड़ा. सरकार ने अपने परिवहन, कृषि और इंटरनेट नेटवर्क को BeiDou सिस्टम से जोड़ने की योजना बनाई है, जो बड़ा कदम है. जून में अमेरिका और इजरायल के ड्रोन और सटीक हमलों ने ईरान की सुरक्षा कमजोरियों को उजागर कर दिया. परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों को निशाना बनाने के साथ-साथ टेलीकॉम नेटवर्क में संभावित घुसपैठ की आशंका भी बढ़ी. यही वजह है कि अब ईरान सतर्क हो गया है.
रूस की राह पर ईरान
इतना ही नहीं ईरान ने 17 जून को नागरिकों से WhatsApp हटाने का आग्रह किया. इस ऐप पर आरोप लगाया जा रहा है कि यह इजरायल को संवेदनशील डेटा भेजता है. वहीं अमेरिका ने भी अपने सरकारी उपकरणों में WhatsApp पर प्रतिबंध लगा दिया है. ईरान को शक है कि व्हाट्सऐप से मिली जानकारी से ही इतना बड़ा कांड संभव हो पाया. पहले भी ये बात कही जा चुकी है कि इजरायल गाजा में जो हमले कर रहा है, उसकी सूचना भी सोशल मीडिया के जरिये लेता है.
क्या है चीनी नेविगेशन सिस्टम?
BeiDou सिस्टम चीन का नेविगेशन सिस्टम है. ईरान का उसे अपनाना केवल तकनीकी बदलाव नहीं बल्कि पश्चिमी खासकर अमेरिकी, प्रभुत्व को चुनौती देने की बड़ी रणनीति है. दशकों से GPS, इंटरनेट और दूरसंचार पर अमेरिका का नियंत्रण रहा है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके जरिये अवैध निगरानी की बात उजागर हो चुकी है. यही वजह है कि रूस और यूरोप ने भी अपने नेविगेशन सिस्टम– GLONASS और Galileo तैयार किए हैं, लेकिन चीन का BeiDou एक भरोसेमंद विकल्प साबित हो रहा है, जो 2020 में पूरी तरह वैश्विक हो गया.ईरान का यह कदम वैश्विक स्तर पर यह कदम एक नई टेक कोल्ड वॉर की शुरुआत हो सकती है, जहां देश तकनीक के साथ-साथ राजनीतिक गठजोड़ और सुरक्षा प्राथमिकताओं के आधार पर नेविगेशन और संचार प्रणाली चुनेंगे.
सारांश:
ईरान ने अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच बड़ा फैसला लेते हुए अमेरिकी GPS सिस्टम को अलविदा कह दिया है। अब वह चीन के BeiDou नेविगेशन सिस्टम को अपना रहा है। यह कदम अमेरिका के खिलाफ ईरान की तकनीकी जंग का हिस्सा माना जा रहा है।