04 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : इजरायल के नेशनल सिक्योरिटी मिनिस्टर इतामार बेन-गवीर अचानक अल-अक्सा मस्जिद पहुंच गए. वहां खुलेआम पूजा- प्रार्थना इसके बाद मिडिल ईस्ट में फिर तनाव की चिंगारी भड़क उठी. कई मुस्लिम देशों ने कहा कि यह दशकों पुराने समझौते का उल्लंघन है, जिसमें यहूदियों को इस पवित्र स्थल पर प्रार्थना करने से रोक दिया गया था. वे वहां जा तो सकते हैं लेकिन पूजा नहीं कर सकते. तो विवाद की जड़ है क्या? क्या किसी मस्जिद में प्रार्थना करना अपराध है?
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, अल-अक्सा मस्जिद मुस्लिम और यहूदी दोनों धर्मों में पवित्र मानी जाती है. यहूदी इसे ‘टेम्पल माउंट’ कहते हैं, क्योंकि यहां उनके अनुसार कभी बाइबल के दो मंदिर रहे. वहीं, मुसलमानों के लिए यह इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. मान्यता है कि पैगंबर मुहम्मद यहीं से स्वर्ग की यात्रा पर गए थे. यह इलाका ईस्ट यरूशलम में है, जिसे इजरायल ने 1967 के युद्ध में जॉर्डन से कब्जा कर लिया था.
बेन-गवीर का ‘पूजा’ प्रदर्शन क्यों बना आग में घी?
इतामार बेन-गवीर कोई सामान्य मंत्री नहीं हैं. वे कट्टरपंथी यहूदी विचारधारा के प्रतीक माने जाते हैं और बार-बार फिलिस्तीनियों के खिलाफ भड़काऊ बयान देते रहे हैं. इस बार उन्होंने पुलिस सुरक्षा में मस्जिद के भीतर प्रवेश किया और खुलेआम प्रार्थना की, जिसकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. वैसे तो वे पहले भी इस जगह जाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि उन्होंने मंत्री रहते खुलकर पूजा की है. इससे यह संदेश गया कि इजरायल की ओर से समझौते को धीरे-धीरे तोड़ा जा रहा है.
क्या पहली बार किसी इजरायली मंत्री ने अल-अक्सा में जाकर पूजा की है?
नहीं, यह पहली बार नहीं है जब किसी इजरायली मंत्री ने अल-अक्सा परिसर का दौरा किया हो. लेकिन इतामार बेन-गवीर पहले मंत्री हैं जिन्होंने अपने पद पर रहते हुए खुलकर यहूदी प्रार्थना की है और इसी बात से बवाल मच गया. इससे पहले मंत्री वहां घूमने या स्थिति का जायजा लेने जाते रहे हैं, लेकिन कभी प्रार्थना नहीं करते. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, बेन-गवीर पहले भी उस जगह पर हैं, लेकिन मंत्री बनने के बाद इस तरह खुलकर पूजा करने की यह पहली घटना मानी जा रही है.
दुनिया क्यों भड़की?
जॉर्डन को इस जगह का आधिकारिक तौर पर संरक्षक बनाया गया है, उसने तुरंत इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. यहां तक कहा कि ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. हमास ने इसे फिलिस्तीनियों के खिलाफ अटैक का नया फेज बताया. फिलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने कहा, इजरायल ने रेड लाइन पार कर दी है. जब बवाल मचा तो इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से तुरंत सफाई आई कि हमने स्टेटस को में कोई बदलाव नहीं किया है.
तो फिर संकेत क्या?
बेन-गवीर ने अल अक्सा मस्जिद में खड़े होकर गाजा पट्टी को पूरी तरह कब्जाने और फिलिस्तीनियों को स्वेच्छा से बाहर निकालने की बात दोहराई. बेन-गवीर इस्राइली राजनीति में सबसे ज्यादा कट्टर नेताओं में गिने जाते हैं. उनका मस्जिद में जाना, वहां प्रार्थना करना फिलिस्तीनियों को डरा रहा है. उन्हें लग रहा कि अगर यहूदी प्रार्थना की अनुमति दे दी गई तो धार्मिक तौर पर बंटावार होगा. यानी एक दिन यहूदी और मुस्लिम हिस्से अलग-अलग कर दिए जाएंगे. जॉर्डन को भी लगता है कि इजरायल धीरे-धीरे उसकी कस्टोडियल अथॉरिटी खत्म कर रहा है.
सारांश:
इजरायल के एक मंत्री ने यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद परिसर में जाकर ‘पूजा’ की, जिससे फिलिस्तीन और मुस्लिम देशों में गहरा आक्रोश फैल गया। अल-अक्सा इस्लाम धर्म का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है, और वहां यहूदियों की धार्मिक गतिविधियों को लेकर पहले से विवाद रहा है। इस घटना को मुस्लिमों ने उकसावे की कार्रवाई बताया, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।