11 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : ऋतुचर्या, क्या आप जानते हैं इसका मतलब क्या है? आयुर्वेद में मौसम के हिसाब से खानपान और लाइफस्टाइल बदलने को ही ऋतुचर्या कहते हैं। यानि ऋतु के हिसाब से आहार और दिनचर्या होनी चाहिए। क्या आप जानते हैं गट हेल्थ अच्छी रखने और इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आपको ऋतुचर्या का खास ख्याल रखना चाहिए। यानि आपको सीजन और मौसम के हिसाब से अपनी डाइट लेनी चाहिए। ऐसे में बाबा रामदेव से जानते हैं कि बरसात में आपकी ऋतुचर्या क्या होनी चाहिए। मॉनसून आयुर्वेदिक रूटीन में क्या होना चाहिए, जिससे बीमारियां शरीर से दूर रहें।

स्वामी रामदेव ने बताया कि बारिश में सिर्फ खाना ही काफी नहीं है। ऋतुचर्या के साथ योगचर्या भी जरूरी है यानि योग में पसीना भी बहाना है। अगर आप बारिश के इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचना चाहते हैं। बीमार नहीं पड़ना चाहते हैं, तो रोजाना योग की आदत बना लें। 

मॉनसून आयुर्वेदिक रूटीन क्या है?

दही कफ बढ़ाता है ,पाचन बिगाड़ता है
उड़द-राजमावात बढ़ता है, गैस-अपच की परेशानी होती है
बासी खानाभारीपन करता है,एसिड बनाता है
हरी पत्तेदार सब्ज़ियांनमी की वजह से कीटाणु बढ़ते हैं
तला-भुनाकब्ज और गैस एसिडिटी करता है
फ्रिज का पानी और छाछशरीर में वात दोष, कफ, जुकाम बढ़ता है
खट्टे फलपित्त-कफ दोनों बढ़ाते हैं
मांसाहारी भोजनपाचन कमज़ोर करता है

बारिश में क्या खाएं-पीएं 

बारिस के दिनों में हेल्दी और सुपाच्य खाना खाएं। इसके लिए डाइट में मूंग दाल, लौकी, परवल, तुलसी, अदरक काढ़ा, पुराना चावल, तुरई खाएं। इस तरह के खाने को पचने में आसानी होती है। इससे वात कंट्रोल होता है और इम्यूनिटी बूस्ट होती है। जौ-चने का सत्तू शहद घी के साथ पचने में आसान होता है इससे कफ कंट्रोल और वात शांत होता है। हल्दी त्रिकुटा, सौंठ, केला,सेब,अनार खाने से पित्त कंट्रोल होता है और पोषण भरपूर मिलता है। 

बरसात का मौसम, बीमारी का डर 

बारिश के दिनों में खाने, पानी और हवा से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ता है तो वहीं मच्छर से होने वाली बीमारियों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां होने लगती हैं टाइफाइड, डायरिया, वायरल-बैक्टीरियल, इंफेक्शन, स्किन एलर्जी डैंड्रफ, हेयरफॉल जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस मौसम में गट हेल्थ में दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

सारांश:
बाबा रामदेव ने बताया कि ऋतुचर्या यानी मौसम के अनुसार जीवनशैली और खानपान को बदलना आयुर्वेद में स्वस्थ रहने का मूल मंत्र है। इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियों से बचाव होता है।

Bharat Baani Bureau

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