12 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए डिनर पार्टी रखी. इस दौरान बिहार में कुछ ही महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) के लिए रणनीति बनाने के संकेत साफ दिखाई दिए. संसद भवन से चुनाव आयोग तक विरोध मार्च के बाद होटल ताज पैलेस में आयोजित इस डिनर में न कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, आरजेडी, शिवसेना (उद्धव गुट), डीएमके, यहां तक कि आम आदमी पार्टी के नेता भी शामिल हुए. यह बैठक महज एक ‘पॉलिटिकल सोशल गैदरिंग’ नहीं थी, बल्कि इसमें राहुल गांधी के मिशन में खरगे की भूमिका को लेकर एक स्पष्ट संदेश छिपा था… दलित वोट बैंक को साधना और बिहार जैसे जातिगत समीकरण वाले राज्यों में विपक्षी एकजुटता को मजबूती देना.

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी के लिए अब सिर्फ एक संगठनात्मक प्रमुख नहीं, बल्कि ‘तुरुप का इक्का’ बनकर उभरे हैं. राहुल गांधी, इंदिरा गांधी की उस राजनीतिक शैली को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें दलितों और सवर्णों को साथ लेकर चुनावी समीकरण साधा जाता था. बिहार जैसे राज्य में जहां जातीय आधार पर वोटिंग पैटर्न मजबूत है, वहां खरगे का दलित चेहरा कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन को अतिरिक्त बढ़त दिला सकता है.

राहुल का ट्रंप कार्ड खरगे

हाल ही में राहुल गांधी ने कई मौकों पर खरगे का बचाव करते हुए ‘दलित कार्ड’ खेला है, यहां तक कि उनकी भाषाई गलतियों को भी राजनीतिक हमलों से बचाने के लिए यह तर्क दिया कि दलित नेतृत्व पर सवाल उठाना असल में सामाजिक प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाना है. यह संदेश, खासकर उत्तर भारत के ग्रामीण और दलित बहुल क्षेत्रों में, कांग्रेस की छवि को मजबूती देने का प्रयास है.

‘इंडिया’ गठबंधन का मौजूदा विरोध अभियान बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित ‘वोट चोरी मॉडल’ को लेकर है. राहुल गांधी ने अपनी डिनर पार्टी में इस मुद्दे पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर विपक्षी वोटों को योजनाबद्ध तरीके से प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने इसे वोट चोरी की संज्ञा दी थी.

डिनर में खरगे का साफ मैसेज

मल्लिकार्जुन खरगे इस अभियान का चेहरा बनकर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच यह संदेश ले जा रहे हैं कि चुनावी प्रक्रिया से उन्हें वंचित करने की कोशिश हो रही है. डिनर में शरद पवार, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, जया बच्चन, मीसा भारती, संजय राउत, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे नेताओं की मौजूदगी ने साफ किया कि विपक्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भी अपने नेटवर्क को सक्रिय रखना चाहता है. आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और संदीप पाठक की उपस्थिति यह संकेत है कि ‘इंडिया’ के दायरे को लचीला रखकर मुद्दा-आधारित एकजुटता को प्राथमिकता दी जाएगी.

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘जिन लोगों को कांग्रेस पर विश्वास नहीं था या जो कांग्रेस के समर्थक नहीं हैं, वे भी देशभर में हो रहे इस मतदाता धोखाधड़ी पर चर्चा और चिंतन करने लगे हैं.’ उन्होंने कहा,
‘हमने पहले ही अपनी बात रख दी थी. आप सभी जानते हैं कि हमें वहां जाने नहीं दिया गया, क्योंकि बहुत लोग आ गए थे और उनके पास कोई जवाब नहीं था. हमने कहा कि एक बड़ा हॉल उपलब्ध कराएं, हम वहां अपनी बात रखेंगे और आपको बताएंगे कि क्या कमी है. लेकिन उन्होंने किसी को नहीं बुलाया, बल्कि कहा कि चुनिंदा लोगों को भेजो. अगर हमने चुनिंदा लोगों को भेजा होता, तो अलग-अलग पार्टियों के सदस्य नाराज हो जाते.’

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, ‘राहुल गांधी ने सबूत दिया है. एक विपक्षी नेता के रूप में उन्होंने ऐसा प्रमाण पेश किया है जिसे नकारा नहीं जा सकता. आज आपने देखा होगा कि राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद देशभर में जनजागृति आई है. लोग सतर्क हो गए हैं और खुद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जा रहे हैं.’

‘चुनाव आयोग को अपराधबोध हो रहा’

कांग्रेस सांसद गुलाम अहमद मीर ने कहा, ‘हमें लगता है कि अब चुनाव आयोग को अपराधबोध हो रहा है. आयोग की जिम्मेदारी हमेशा से मुक्त और निष्पक्ष चुनाव कराना रही है, जो हमारे लोकतंत्र की परंपरा और अपेक्षा है. लेकिन पिछले 8-10 सालों में कई रिपोर्टें सामने आई हैं. सिर्फ चार दिन पहले राहुल गांधी ने बड़ी मेहनत के बाद इसका एक नमूना पेश किया. अगर यह जांच आगे बढ़ी, तो भगवान ही जानता है कि और क्या सामने आएगा.’

वहीं समाजवादी पार्टी सांसद मोहिब्बुल्लाह नदवी ने कहा, ‘चुनाव आयोग किसी भी सवाल का जवाब नहीं देता. हमारी पार्टी की ओर से 18,000 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया.’ समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, ‘सब कुछ सरकार के इशारे पर हो रहा है. सरकार और चुनाव आयोग मिलकर लोकतंत्र खत्म करने का काम कर रहे हैं. लेकिन हम तय कर चुके हैं कि किसी भी हालत में लोकतंत्र को खत्म नहीं होने देंगे.’

राजनीतिक संकेत साफ

उधर राजद सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘प्रदर्शन के दौरान सांसदों के साथ बदसलूकी हुई और तीन महिला सांसद बेहोश हो गईं. चुनाव आयोग मिलना नहीं चाहता. मेरा मानना है कि चुनाव आयोग किसी न किसी तरह सरकार के दबाव में काम कर रहा है.’

विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए यह महज विरोध मार्च और डिनर पार्टी नहीं, बल्कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले का ‘ट्रायल रन’ है. खरगे को आगे रखकर कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि सामाजिक न्याय और जातीय संतुलन उसके चुनावी एजेंडे के केंद्र में है. इंदिरा गांधी ने जैसे दलितों और सवर्णों को साथ लेकर मजबूत जनाधार बनाया था, वैसे ही राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन में यह सामाजिक समीकरण दोहराया जाए और इसमें मल्लिकार्जुन खरगे उनका सबसे मजबूत पत्ता हैं.

सारांश:
बिहार चुनाव 2025 के मद्देनजर आयोजित डिनर पार्टी में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस दौरान राहुल गांधी के मिशन में कांग्रेस नेता अजीत सिंह खरगे की अहम भूमिका नजर आ रही है, जो उनकी रणनीति को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।

Bharat Baani Bureau

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