20 अगस्त 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप नया बयान रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर हलचल मचाने वाला है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के कुछ ही घंटे बाद ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘यूक्रेन फिर उठ खड़ा होगा. उसे बहुत जमीन मिलेगी.’ ट्रंप का यह दावा सीधे-सीधे संकेत देता है कि ट्रंप किसी लैंड स्वैप फार्मूले पर काम कर रहे हैं. सवाल यह है कि यह फार्मूला है क्या? इससे किसे फायदा होगा? इसके पीछे ट्रंप की स्ट्रैटजी क्या है?
ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने जेलेंस्की समेत अन्य नेताओं से लैंड स्वैप पर बातचीत की है, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए संकेत दिया कि यूक्रेन को भारी भरकम जमीन वापस मिल सकती है. उनका कहना था कि यह युद्ध था और रूस एक ताकतवर मिलिटरी नेशन है, चाहे कोई माने या न माने. इस वाक्य का मतलब साफ है कि ट्रंप रूस की शक्ति को मान्यता दे रहे हैं.
लैंड स्वैप फार्मूला क्या है?
लैंड स्वैप यानी जमीन के बदले जमीन का सौदा. आसान भाषा में कहतें तो एक देश अगर अपनी कोई जमीन खो देता है तो बदले में उसे दूसरी जमीन मिल सकती है.यूक्रेन के लिहाज से देखें तो इसका मतलब हो सकता है कि रूस के कब्जे वाले कुछ हिस्सों को यूक्रेन छोड़ दे और बदले में पश्चिमी देशों या किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत उसे नई जमीन मिले.
यह मॉडल नया नहीं
- 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय कई बार सीमा तय करते वक्त लैंड एक्सचेंज हुआ.
- यूरोप में जर्मनी और पोलैंड के बीच भी ऐतिहासिक रूप से “लैंड स्वैप” हुआ है.
- फिलिस्तीन-इजराइल विवाद में भी इसी फॉर्मूले की बात कई बार उठी.
- लेकिन सवाल यह है कि यूक्रेन को जमीन कहां से और कैसे मिलेगी?
ट्रंप का संभावित प्लान
डायरेक्ट सौदा: रूस और यूक्रेन के बीच समझौता, जिसमें रूस कब्जा किए गए कुछ हिस्से रखे और यूक्रेन को नई जमीन पश्चिमी सपोर्ट से मिले.
बफर जोन: ट्रंप बार-बार कहते हैं कि यूक्रेन रूस और यूरोप के बीच एक बफर है. इसका मतलब हो सकता है कि सीमा पर कुछ क्षेत्रों को फिर से तय कर बफर जोन बनाया जाए.
अंतरराष्ट्रीय गारंटी: अमेरिका और यूरोप सुरक्षा की गारंटी दें, लेकिन यूक्रेन को नाटो में शामिल न किया जाए. इस पर बात बनती दिख रही है. यूक्रेन भी इस पर तैयार है.
एयर सपोर्ट: ट्रंप का इशारा साफ है कि अमेरिकी सैनिक जमीन पर नहीं उतरेंगे, लेकिन हवाई निगरानी, एयर डिफेंस और संभवत: नो-फ्लाई जोन जैसी व्यवस्था पर विचार हो सकता है.
सुरक्षा गारंटी और ट्रंप की शर्तें
ट्रंप यह भी साफ कर चुके हैं कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि रूस कभी भी अपनी सीमा पर दुश्मन को बर्दाश्त नहीं करेगा. इसके बजाय वे सीमित सुरक्षा गारंटी की बात कर रहे हैं यानी अमेरिका और यूरोप की हवाई मदद, इंटेलिजेंस व सर्विलांस सपोर्ट (ISR) और हथियारों की सप्लाई. ट्रंप अच्छी तरह जानते हैं कि अमेरिकी जनता विदेशी युद्धों में उलझना नहीं चाहती. उन्होंने चुनावी कैंपेन में हमेशा कहा कि इराक और अफगानिस्तान जैसे लंबे युद्धों में अमेरिका ने अरबों डॉलर और हज़ारों सैनिक गंवाए.
सारांश:
डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के कुछ घंटे बाद दावा किया कि लैंड स्वैप (जमीन की अदला-बदली) से यूक्रेन को बहुत जमीन मिल सकती है।