22 अगस्त 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : दुनियाभर में कैंसर तेजी से फैलने वाली बीमारी बन गई है। भारत में युवाओं में ओरल कैंसर यानि मुंह का कैंसर काफी बढ़ रहा है। पहले माउथ कैंसर या ओरल कैंसर ज्यादातर बुजुर्गों को होता था, लेकिन अब 30-40 साल की उम्र में युवाओं को ये तेजी से प्रभावित कर रहा है। डॉक्टर कुछ आदतों को ओरल कैंसर की बड़ी वजह मानते हैं। डॉक्टर अक्षत मलिक, प्रिंसिपल कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी (मैक्स अस्पताल, साकेत, दिल्ली) से जानते हैं ओरल कैंसर के बड़े कारण क्या हैं और ओरल कैंसर होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
ओरल कैंसर क्यों होता है, क्या हैं इसके कारण
बिना धुएं वाला तंबाकू- ओरल कैंसर का सबसे बड़ा कारण है बिना धुएं वाला धूम्रपान करना। जो लोग पान, गुटखा, खैनी और सुपारी जैसी चीजें खाते हैं उन्हें ओरल कैंसर का खतरा ज्यादा हो सकता है। ये सस्ते, आसानी से मिल जाने वाले नशीले पदार्थ हैं। युवा अवस्था में ही कई बार इनकी लत लग जाती है। जब उम्र 30-40 होती है तब तक ये चीजें कैंसर का कारण बन जाती हैं।
सुपारी- सुपारी को लोग अक्सर माउथ फ्रेशनर की तरह इस्तेमाल करते हैं। ये भी एक बड़ा कार्सिनोजेन है। यह ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक स्थिति पैदा करता है, जिसमें मुंह की परत सख्त हो जाती है और कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
लाइफस्टाइल- आजकल की लाइफस्टाइल में बढ़ता तनाव, कामकाज का माहौल, बढ़ता शराब और सिगरेट का नशा, फल और सब्जियों कम खाना, फिजिकल एक्टिविटी कम होना भी कैंसर के खतरे काफी बढ़ाते हैं।
HPV का असर- इसके अलावा अब ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) से जुड़े ओरल कैंसर के मामले भी सामने आ रहे हैं। खासकर ऐसे युवाओं में जिनके पास कोई जेनेटिक कारण नहीं है। इसके अलावा खराब डेंटल केयर, ओरल हाईजीन का ख्याल न रखना और पोषण की कमी भी खतरे को बढ़ाती है।
ओरल कैंसर के लक्षण
लोगों में यह गलतफहमी है कि हर्बल या फ्लेवर्ड प्रोडक्ट सेफ हैं। लोग चेतावनी को बिना पढ़े और जाने इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। नियमित मुंह की जांच कम ही लोग कराते हैं। लंबे समय तक न ठीक होने वाले छाले, सफेद या लाल धब्बे या अचानक मुंह से खून आना ओरल कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं। इन लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज करना स्थिति को खतरनाक बना सकता है।
क्यों खतरनाक है ओरल कैंसर
दुनियाभर में ओरल कैंसर के मामलों का एक-तिहाई हिस्सा भारत में है। इसका कारण है कि अभी भी लोग इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते हैं। गांव और कस्बों में अक्सर लोग देरी से समझ पाते हैं। अगर अर्ली स्टेज में कैंसर पकड़ में आता है तो बचाव की संभावना बढ़ जाती है।
ओरल कैंसर से कैसे बचें?
- बिना धुएं वाले तंबाकू पर कड़ी रोक
- शराब, सिगरेट से दूर रहें
- स्कूलों, कॉलेजों और वर्कप्लेस पर जागरुता
- नियमित मुंह की जांच करना जरूरी
- HPV वैक्सीन लगवाएं
- हेल्दी खाना और ओरल हाईजीन रखें