26 अगस्त 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि अमेरिका चीन के साथ अपने संबंध बनाए रखने के पक्ष में है. बावजूद इसके दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे मयोंग के साथ व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान ट्रंप ने चीन को सीधी धमकी भी दी है. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि उनके पास कुछ ऐसे कार्ड्स हैं, जिसे उन्होंने इस्तेमाल किया तो चीन चुटकियों में तबाह हो जाएगा.

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार, तकनीक, सैन्य और क्षेत्रीय प्रभुत्व को लेकर तनाव लगातार बना हुआ है. ट्रंप एक तरफ जहां चीन को लेकर एक सॉफ्ट टोन दिखाते रहे हैं वहीं उनकी ये धमकी चीन के लिए काफी कुछ कहती है. अब तक अमेरिका भले ही चीन को अपना दुश्मन मानता हो, लेकिन वो उसे पूरी तरह से टकराव के रास्ते पर ले जाना नहीं चाहिए.

डोनाल्ड ट्रंप के पास क्या है कार्ड?

डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान चीन को लेकर एक टिप्पणी की, जिसमें वे चीन को लेकर दो तरह की बातें करते नजर आए. एक तरफ तो वे उससे संबंध भी रखना चाहते हैं, दूसरी तरफ वो उसे धमकी भी दे रहे थे. ट्रंप ने कहा – ‘हम चीन के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखेंगे.हालांकि हमारे पास कुछ ऐसे कार्ड हैं, जिन्हें अगर खेला जाए तो चीन को तबाह कर सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा’.

तेल और व्यापार पर दोहरा रवैया?

ट्रंप प्रशासन एक तरफ तो रूस की मदद करने वाले देशों को सजा देने की बात कहता है, दूसरी तरफ उसका रवैया दोगला दिख रहा है. खासतौर पर भारत पर लगाया गया नया आयात शुल्क इस रणनीति को और पेंचीदा बना देता है. भारत की ओर से रूस से तेल खरीद जारी रखने के कारण 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लागू किया जाएगा. ट्रंप ने अपने कार्यकारी आदेश में लिखा – ‘रूस से तेल खरीदने के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रयासों को देखते हुए भारत पर यह शुल्क आवश्यक है’.वहीं दिलचस्प बात यह है कि चीन, जो रूस से तेल का सबसे बड़ा आयातक है, उस पर कोई नया शुल्क नहीं लगाया गया है. चीन के लिए निर्धारित टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.

चीन को सिर्फ धमकी, जमीन पर कुछ नहीं

अमेरिका ने चीन पर पहले से ही फेंटेनिल से जुड़े उत्पादों पर 20 फीसदी शुल्क और 10 प्रतिशत बेस टैरिफ लगाया हुआ है, जिससे कुल टैरिफ 30 फीसदी हो जाता है. बावजूद इसके चीन-रूस के बीच संबंध अच्छे हैं लेकिन अमेरिका चीन के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. ऐसे में लगता है कि ट्रंप का चीन के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना एक रणनीतिक जरूरत है. अमेरिका को डर है कि किसी आक्रामक कार्रवाई से न केवल चीन को नुकसान होगा, बल्कि वैश्विक बाजार और खुद अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी हिल सकती है

Bharat Baani Bureau

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