02 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : प्रधानमंत्री का चीन दौरा कई मायनों में खास रहा. यहां भारत न सिर्फ शिखर सम्मेलन का हिस्सा बना बल्कि उसके बहुत से समीकरण भी बदलते नजर आए. खासतौर पर रूस-भारत और चीन की जो जुगलबंदी दिखाई दी, वो बेहद खास थी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले, बल्कि उनकी मुलाकात चीन के चाणक्य कहे जाने वाले केई ची से भी हुई.
उनकी इस मुलाकात की चर्चा चीनी मीडिया से लेकर भारतीय मीडिया तक है क्योंकि ये कोई आम मुलाकात नहीं थी. जिन केई ची से पीएम मोदी मिले, वे चीन के सबसे प्रभावी लोगों में से एक हैं. न सिर्फ उनके लोग मिलने की कोशिश करते हैं बल्कि उन्हें चीनी राजनीति में बेहद गंभीर व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता है. ऐसे में जब उन्हें पीएम मोदी के साथ देखा गया, तो चीन-भारत संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत मानी गई.
कौन हैं केई ची?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता के गलियारों में उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जो कभी हंसता नहीं है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दाहिने हाथ के रूप में जाने जाने वाले केई ची की बीजिंग में विदेशी कूटनीतिज्ञों के बीच सबसे ज्यादा मांग रहती है. वे आम लोगों के लिए वे पहुंच से बाहर हैं. केई पार्टी में कई महत्वपूर्ण पद संभालते हैं और बीजिंग में एक ताकतवर और प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते हैं. केई चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सचिवालय के उच्चतम सदस्य और पोलितब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य हैं, पर पद से ज्यादा उनकी शी जिनपिंग के करीब होने की वजह से अहमियत है.
45 मिनट हुई पीएम मोदी से मुलाकात
खुद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और भारत-चीन संबंधों पर चर्चा करने के लिए कहा, जिससे तियानजिन में एक बड़ी कूटनीतिक हलचल मच गई. केई ने पीएम मोदी से 45 मिनट से अधिक समय तक मुलाकात की और एशिया के दो दिग्गज देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने पर बात हुई.
मुलाकात की शुरुआत में केई ने मोदी से कहा कि उन्हें राष्ट्रपति शी ने उन्हें दोपहर का भोजन खिलाने के लिए कहा था, लेकिन फिर उन्हें पता चला कि मोदी को खाना ज्यादा पसंद नहीं. सबसे दिलचस्प बात तो ये रही कि आमतौर पर गंभीर नजर आने वाले केई इस दौरान मुस्कुराते हुए नजर आए.
दोनों ने बैठक में क्या बात की, इस पर कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात अपने आपमें काफी कुछ कहने वाली थी. केई को चीन में जिस तरह का सम्मान मिलता है, उसे देखकर लग रहा है कि भारत-चीन संबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का जिम्मा उन्हें मिला है.